मूल अनाज अक्सर पकने वाली फसलों के रूप में उगाया जाता है, जहां अन्य फसलें प्रतिकूल मौसम के कारण विफल हो जाती हैं। मूल अनाज अच्छी तरह से सूखा दोमट मिट्टी पर अच्छी तरह से उत्पादन करते हैं। वे पानी से भरी मिट्टी या अत्यधिक सूखे नहीं खड़े होंगे।
1) रागी
रागी की सीधी बिजाई भी की जा सकती है और पनीरी भी लगाई जा सकती है। पनीरी के ज़रिये रागी की खेती अधिक सफल और आसान है। रागी की पनीरी की बिजाई 1 जून को करें। एक समान्य क्यारी तैयार करें, बीज को बीज अमृत से उपचार करके, सूखाकर, क्यारी में छींटा दें और बीज हल्का सा मिट्टी में मिलाकर ऊपर से पानी निकाल दें, 15 दिनों की पनीरी की पुटाई करके खेत में लगा दें। कतार से कतार और पौधे से पौधे का फासला 1 फ़ीट रखें। रागी की फसल पकने के लिए 4 महीने का समय लेती है। इसका कद 2 से 2.5 फ़ीट तक होता है, पौधे का फुटाव बहुत हो जाता है, इसकी कटाई 2 बार हाथ से करनी पड़ती है, पके हुए छींटे दात्री से काटने पड़ते हैं। उसके बाद छींटों का ढेर लगाकर दाबड़ा दिया जाता है और गोहाई करके दाने निकाले जाते हैं और छाँटकर सफाई की जा सकती है। कुछ जगह पर रागी की कटाई कंबाइन से भी की जा रही है और हवा कम करके हडंबे से भी रागी के दाने निकाले जा सकते हैं।
2) कंगनी
कंगनी की खेती की बिजाई सीधी की जाती है। कंगनी की खेती मक्की या कपास या किसी अन्य उपयुक्त फसल के साथ अंतर फसली के तौरपर की जा सकती है। इसकी बिजाई अप्रैल महीने में कर देनी चाहिए। कंगनी पकने के लिए 4 महीने का समय लेती है। इसका कद 3-4 फ़ीट हो जाता है, पौधे की शाखाएं बहुत होती हैं इसकी बिजाई इकट्ठे खेत में 1X1 फ़ीट पर कतारों के फासले पर करें या किसी फसल में अंतर फसल के तौरपर बिजाई करें ताकि इसके गिरने की समस्या ना आये। कंगनी को पकने के समय पक्षी भी नुकसान पहुंचते हैं।
3) कोधरा
कोधरा की खेती पनीरी के ज़रिये की जाती है, पंजाब में इसके बीज की अंकुरण शक्ति कम होती है, इसलिए इसकी बिजाई समय पर करें। जून के शुरू में पनीरी की बिजाई करें। कोधरे के पौधे की शाखाओं की संख्या काफी होती है और इसकी पनीरी 1X1 फ़ीट पर लगाएं। कोधरे को पकने के लिए बहुत कम पानी की ज़रूरत होती है और यह पकने के लिए 5 महीने का समय लेती है। कोधरे की कटाई अच्छी तरह सूखने के बाद करें, यदि नमी वाले की कटाई की जाये तो इसके दानों के अंदर उल्ली पड़नी शुरू हो जाती है। यदि यह उल्ली वाले दाने कोई खा ले तो उसका पेट खराब होने का खतरा रहता है।
4) हरी कंगनी
इसकी कतारों में सीधी बिजाई भी की जा सकती है या छींटा भी दिया जा सकता है। कतार से कतार का फासला 1 फ़ीट रखकर पोरा हल से बिजाई करें। यह पकने के लिए 3 महीने का समय लेती है।
5) स्वांक
3 किलो बीज प्रति एकड़ बिजाई के लिए ज़रूरत होती है, 3 किलो बीज को 3 किलो रेत या वर्मी कम्पोस्ट में मिलाकर कतारों में बिजाई की जा सकती है। कतार से कतार का फासला 1 फ़ीट रखें।
स्वांक की खेती पनीरी के ज़रिये भी की जा सकती है। मई के अंतिम सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक पनीरी की बिजाई करें। जितनी छोटी उम्र की पनीरी की पुटाई करके खेत में लगाई जा सके उतना ही बढ़िया है। लगभग 10-15 दिनों की पनीरी की पुटाई करके खेत में 1 फ़ीट X 1 फ़ीट के फासले पर लगाएं।
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