भारत का इतिहास इसकी खेती कुशलता, उत्तम जलवायु स्थितियां और कुदरती स्त्रोतों की उपलब्धता के बारे में बताता है। भारत (जो अपनी धरती का सबसे अधिक भाग गेहूं, धान, कपास उगाने के लिए प्रयोग करता है) विदेशी मंडी में मसाले, दालें और दूध उत्पादन में भी मुख्य देश हैं।
कुछ दशक पहले, खेती क्षेत्र ने भारत की GDP में 75 प्रतिशत योगदान डाला है, जो कम होकर 14 प्रतिशत (वर्तमान) हो गया है। CIA की विश्व फैक्टबुक 2014 के अनुसार, हालांकि चार देशों में से चीन($ 1,005 बिलियन) के बाद भारत का दूसरा बड़ा उत्पादक ($ 367 बिलियन) है, जो विश्व कृषि आउटपुट का 42% – $ 4,771 बिलियन रखता है। स्त्रोत
संक्षेप में, भारत विश्व स्तरीय प्रभावशाली खेती कारोबार है, जिसकी रीड़ की हड्डी इसके किसान और संबंधित सहकारी हैं। अन्य क्षेत्रों की तरह, खेती भी कई दशकों से लंबी चलती आ रही समस्याओं और कभी ना सोची चुनौतियों का सामना करती है, जिन्हें सुधारना ज़रूरी है। आइये भारतीय किसानों को पेश आती मुख्य समस्याएं और संभावी हल पर चर्चा करें।
भारतीय किसानों को पेश आती मुख्य समस्याएं
1. पानी की सप्लाई की कमी
खेती क्षेत्र में सिंचाई के लिए भारत में पानी की उपलब्धता आवश्यकता से अधिक है, पर समस्या यह है कि हमें आज भी पानी की उचित सप्लाई और प्रयोग के लिए सस्ते और अनुकूल हल ढूंढने पड़ेंगे। कई कारणों के कारण या तो किसानों को सही मात्रा में पानी नहीं मिलता या उन्हें सही समय पर सप्लाई नहीं मिलती, ज्यादातर किसान बारिश के पानी पर निर्भर हैं।
2. आधुनिक कृषि यंत्रों का कम प्रयोग
ज्यादातर क्षेत्रों में, आज भी किसान प्राचीन खेती ढंग अपनाते हैं, परंपरागत तरीके से प्रयोग किए जाते हैं और मूल यंत्रों या औजारों का प्रयोग करना ज्यादा पसंद करते हैं। कुशल उपकरणों और मशीनरी की कोई कमी ना होने के बावजूद आधुनिक उपकरणों का प्रयोग बहुत कम है, क्योंकि ज्यादातर किसानों के पास उन्नत उपकरण, भारी मशीनरी का प्रयोग करने के लिए अनुकूल ज़मीन नहीं है।
3. रवायती फसलों पर निर्भरता
भारतीय किसान कई क्षेत्रों में सदियों से अभी तक धान और गेहूं उगा रहे हैं। इन दो अनाजों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन अक्सर भंडारण और विक्री समस्याएं बढ़ाता है और अन्य खेती उत्पादों में कमी लाता है।
भारत वर्ष 2020—21 के लिए गेहूं की कटाई और धान उत्पादन में चौथा रिकॉर्ड बनाने की तरफ बढ़ रहा है — यू एस का खेती विभाग । स्त्रोत
ज्यादातर किसानों का इन रवायती फसलों पर निर्भर होना, देश स्तरीय खेती योजना की प्रभावशाली कमी की तरफ संकेत करता है।
4. घटिया भंडारण सुविधाएं
ग्रामीण क्षेत्रों में, भंडारण सहूलतें या तो बहुत कम हैं या बिल्कुल ही नहीं हैं। ऐसे हालातों में, ज्यादातर किसानों के पास फसल तैयार होने पर मंडी रेट, जो अक्सर बहुत कम होता है, पर उपज बेचने के अलावा और विकल्प नहीं होता। वे जायज़ आय से बहुत दूर हैं।
5. परिवहन समस्याएं
ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ते और कुशल परिवहन साधनों की कमी देखी गई है, जो कि बहुत बड़ी समस्या है छोटे किसान अभी भी अपनी उपज के भार ढोने के लिए पशु गाड़ियों का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा,लाखों गांव जो अस्थाई सड़क से हाइवे और मंडी केंद्रों से जुड़े हैं, वे बारिश होने पर चीकड़ वाले और ना उपयोग होने वाले हो जाते हैं। फलस्वरूप, किसान अपनी उपज केंद्रीय मंडी तक नहीं पहुंचा पाते और ना चाहते हुए भी उन्हें स्थानीय मंडी में कम मूल्य पर इसे बेचना पड़ता है।
6. अधिक ब्याज दर
हज़ारों किसान कर्जे के बोझ (जिसमें अन्य कारण भी जुड़े होते हैं) कारण अपनी जान ले लेते हैं। अनुचित तरीके से अधिक ब्याज दरों को गैर कानूनी घोषित करना चाहिए और सरकार को लालची लोन देने वालों के खिलाफ तुरंत सख्त और उचित कार्यवाही करनी चाहिए। एक और समस्या, छोटे और सीमांत किसानों को संस्थागत कर्ज़ा लेने के लिए मुश्किल प्रक्रियाओे (जिनके बारे में उन्हें पता भी नहीं होता) में से गुज़रना पड़ता है।
7. सरकारी स्कीमें अभी तक छोटे किसानों तक नहीं पहुंची
2008 में सरकार 36 मिलियन किसानों को लाभ देने के लिए माफी और कर्ज़ राहत स्कीम लेकर आई। इस योजना में तनाव ग्रस्त किसानों को सीधा खेती कर्ज़ा भी दिया गया। हालांकि ऐसे प्रोग्राम और सब्सिडी केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की तरफ से घोषित की गई, पर अभी तक भी छोटे किसानों तक नहीं पहुंची, जबकि बड़े और अमीर ज़िमींदारों ने इसका भारी फायदा उठाया।
इन समस्याओं के संभावित समाधान
1. एक से अधिक फसलें
अच्छी उपज और मुनाफे वाले परिणामों के लिए किसानों को अधिक फसलें जैसे कि सेब, अनानास, केला, नारियल, अदरक, हल्दी और अन्य फसलें उगाने की सलाह दी जाती है।
2. खेती में आधुनिकता
यदि हम युवाओं को खेती और संबंधित कामों के बारे में में उत्साहित करें तो ये क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ सकता है। उनके पास बुनियादी संस्थागत शिक्षा और ज्ञान है, वे तेजी से सीखने के साथ साथ विकास कर सकते हैं। जैसे कि उन सभी के पास स्मार्ट फोन है, जिसमें वे आधुनिक खेती एप प्रयोग करके अपने खेतों में और बढ़िया काम कर सकते हैं।
इसके अलावा, छोटे किसानों को आधुनिक तकनीकों और उन्नत उपकरणों के बारे में बताने से कुशलता, उत्पादन और क्वालिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
3. किसानों की शिक्षा महत्तवपूर्ण है
ज्यादातर किसान फसली चक्र के बारे में जागरूक नहीं हैं। संपूर्ण खेती क्षेत्र में से शहरी क्षेत्रों में शिक्षा में बहुत सुधार आया है, पर सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी कमी को अनदेखा किया है। यही कारण है कि किसान कई सरकारी स्कीमों और फायदों से वांछित रह जाते हैं।
4. फसल बीमा की जरूरत
फसल बीजा जरूरी है, पर आसान और तुरंत भुगतान महत्तवपूर्ण है। इसमें पारदर्शी सूचकांक—आधारित बीमे की आवश्यकता है, जो पॉलिसी धारकों को एक परिभाषित भूगोलिक क्षेत्र में एक जैसा रखता है। सूचकांक आधारित बीमा प्रणाली में परिचालन और अंतर राष्ट्रीय लागत कम आती है और तुरंत भुगतान निश्चित होता है।
5. उचित पानी प्रबंधन
पानी प्रबंधन और अंतर राज्य कॉर्डीनेशन से पानी के स्त्रोतों को सही तरीके से प्रयोग किया जा सकता है, जिन क्षेत्रों में पानी की ज्यादा जरूरत है, वहां पानी आसानी से पहुंचाया जा सकता है। मॉनसून में वर्षा ना होने पर नदियों और राष्ट्रीय वॉटरवे/चैनल बनाकर पानी सप्लाई की समस्या को हल किया जा सकता है और सिंचाई सहूलतों को सुधारा जा सकता है
निष्कर्ष
जब पानी की विश्वसनीय सप्लाई दी जाएगी, साधारण बीजों की जगह अच्छी किस्में प्रयोग की जाएंगी। इसी तरह गेहूं और धान की जगह किसान औरों की तरफ बढ़ेंगे। तिलहनी फसलों की खेती के लिए अनुकूल जलवायु होने के बावजूद, हम विदेश से पकाने वाला तेल आयात करते हैं। किसान ऐसी कई फसलें उगा सकते हैं।
खेती माहिरों की तरफ से बताए समाधान इस प्रकार हैं, जिन्हें हम सिर्फ अपनाना है। भारत के किसान अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ऐसी कई समस्याओं का सामना करते हैं और हां हम उन्हें ठीक कर सकते हैं। किसान होने के तौर पर यदि आपको बीज का चयन, सिंचाई, पानी की मात्रा, यंत्र—उपकरण या कीटनाशक का प्रयोग और खेती से संबंधित कोई समस्या आता है तो अपनी खेती एप पर आएं, अपना सवाल पूछें और हल पाएं। अभी एप डाउनलोड करें।
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