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क्या हैं गेहूं के पीले होने के कारण

आज के समय में गेहूं पीला पड़ने के कई कारण हैं जिसमे तत्व की कमी या उन तत्व की कमी को पूरा करने के लिए खाद डालने के समय की गई गलतियों का नतीजा होता है कि गेहूं पीला पड़ जाता हैं।

 

इनका वर्णन नीचे दिया गया है:-

 

जरुरत से अधिक पानी लगना

गेहूं को पहला पानी लगाने के बाद खासतौर पर भारी जमीन में गेहूं पीला होने समस्या आ जाती है। इसका कारण यह होता है कि भारी जमीन में पानी के जमाव की दर बहुत कम होती है। अधिक पानी लगने के कारण फसल की जड़ को हवा सही मात्रा में नहीं मिलती। जिसके कारण जड़ें काम नहीं करती और फसल पीली पड़ जाती है।

इस समस्या के समाधान के लिए किसानों को यह सलाह दी जाती है कि गेहूं की फसल को अधिक पानी नहीं लगाना चाहिए। हैप्पी सीडर के साथ गेहूं में पानी पराली के नीचे से जाता है और पारंपरिक विधि द्वारा बिजाई की गई गेहूं के खेत की तरह नहीं दिखाई देता। इसलिए किसान उतना समय पानी बंद नहीं करते जितना पानी पराली के ऊपर दिखाई नहीं देता और इस तरह सिंचाई भारी हो जाती है। इसके लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि भारी जमीन में पानी लगाने के लिए प्रति एकड़ 8 कियारियां और हलकी जमीन में 16 कियारियां बनाकर सिंचाई करें। हैप्पी सीडर द्वारा बिजाई की गई गेहूं को पानी लगाने के समय ध्यान रखें की जरुरत होती है क्योंकि खेत में पराली की सतह होने के कारण पानी जल्दी सूखता नहीं है। इसलिए हैप्पी सीडर वाली गेहूं में पहला पानी हल्का और कुछ समय बाद लगाने की सलाह दी जाती है।

हैप्पी सीडर वाली गेहूं में हल्का पानी लगाने के लिए धान की बिजाई के समय छोटी कियारी बनाएं या गेहूं की बिजाई के बाद खेत में कम से कम दो कियारियां जरूर बनायें। हल्की जमीन में गेहूं को पहला पानी लगभग 25 से 30 दिन और दरमियानी से भारी जमीन में 30 से 35 दिनों में लाना चाहिए। इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाए कि पानी मौसम की बारिश को ध्यान में रख कर ही लगाया जाए।

 

नाइट्रोजन की कमी

नाइट्रोजन की कमी भी गेहूं की फसल का पीला पड़ने का कारण बन जाती है। नाइट्रोजन की कमी पुराने पत्तों से शुरू होती है, जिससे नीचे वाले पुराने पत्ते पीले पड़ जाते हैं। नाइट्रोजन तत्व की कमी का मुख्य कारण खादों की सही मात्रा और सही समय पर प्रयोग न होना, जमीन में नाइट्रोजन तत्व की शुरू से ही कमी होना, और अधिक बारिश होने के कारण नाइट्रोजन तत्व का कम हो जाना आदि होता है।

इस कमी को पूरा करने के लिए सिफारिश किए गए अनुसार यूरिया खाद का प्रयोग करना चाहिए। खाद डालने के समय और मात्रा का गेहूं की फसल पीली होने पर क्या करें? ध्यान रखना बहुत जरुरी है. हैप्पी सीडर द्वारा बिजाई की गई गेहूं के लिए बिजाई के समय 65 किलो DAP प्रति एकड़ पोर दें। 40 किलो यूरिया की दो बराबर किश्तें पहले पानी और दूसरे पानी से पहले छींटे द्वारा डालें। यूरिया डालने के बाद पानी लगा दें, भारी जमीन में दूसरा पानी देरी से लगने के डर से 35 किलो यूरिया बिजाई से पहले और बाकि बची यूरिया पहले पानी से पहले छींटे द्वारा डालें। माड़ी और कालराठी जमीन में गेहूं को सिफारिश की गई मात्रा से 25% अधिक नाइट्रोजन डाली चाहिए।

फसल को खुराकी तत्व की पूर्ति के लिए व्यापक तरीके अपनाए जाने चाहिए। खड़ी फसल में नाइट्रोजन तत्व की कमी पूरी करने के लिए 3% यूरिया के घोल (3 किलो यूरिया 100 लीटर पानी में) का छिड़काव किया जा सकता है।

 

मेंगनीज की कमी

मेंगनीज की कमी आमतौर पर धान-गेहूं फसली चक्र्र वाली रेतली जमीन में अधिक देखने में आती है। इससे भी गेहूं की फसल पीली हो जाती है। निशानियां पौधे में बीच वाले पत्ते पर दिखाई देती है। पत्तों पर हल्के पीले सलेटी रंग से गुलाबी भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। पत्तों के शुरू के 2/3 भाग में यह कमी अधिक दिखाई देती है। बाद में यह धब्बे पत्ते के बीच जो हरा रहता है, एक साथ होकर एक लंबी पट्टी का आकार बना लेते हैं। मेंगनीज की कमी पूरी करने के लिए 0.5% मेंगनीज सल्फेट (एक किलो मेंगनीज सल्फेट 200 लीटर पानी में ) का छिड़काव पहले पानी से 2-4 दिन पहले और 3 छिड़काव हफ्ते हफ्ते के फर्क से धुप वाले दिन करनी चाहिए।

 

गंधक की कमी

गंधक की कमी रेतली जमीनों में अधिक आती है जब गेहूं के विकास के शुरुआत में सर्दियों की बारिश अधिक समय तक हो तो यह कमी और भी अधिक होती है। इसकी कमी के कारण पौधे के नए पत्ते का रंग ऊपर वाले भाग को छोड़कर हल्का पीला हो जाता है। जबकि नीचे वाले पत्ते अधिक समय तक हरे ही रहते हैं। आमतौर पर किसान इसकी कमी और नाइट्रोजन की कमी से भ्रमित रहते हैं।

इट्रोजन की कमी से इस कमी का यह फर्क है कि नाइट्रोजन की कमी नीचे वाले पत्तें पीले होने से शुरू होती है। जहां फास्फोरस तत्व सिंगल सुपरफास्फेट के तौर पर ना डाला हो, वहां 100 किलो जिप्सम प्रति एकड़ के हिसाब से बिजाई से पहले डालें से गंधक की कमी पूरी की जा सकती है। यदि खड़ी फसल में गंधक की कमी दिखाई दें तो इस समय भी जिप्सम का पय्रोग किया जा सकता है। जिप्सम के प्रयोग के समय इस बात का ध्यान रखना जरुरी है कि इसे जब ओस न हो तब डालना चाहिए।

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