माल्टे की बीमारियां और उनकी रोकथाम

माल्टे की बीमारियां और उनकी रोकथाम

पंजाब में नींबू जाति के फल जिनमें किन्नू, माल्टा, ग्रेपफ्रूट और गलगल शामिल है, का मुख्य आर्थिक महत्त्व है। रकबे और पैदावार के हिसाब से किन्नू पहले नंबर पर और इसके बाद माल्टा,नींबू और गलगल आते हैं। राज्य के किन्नू के निम्न रकबे का आधे से अधिक रकबा होशियारपुर, फिरोजपुर,फाजिल्का और फरीदकोट ज़िले में है। माल्टे की खेती खास तौर पर पंजाब के शुष्क संजू इलाके जिसमें फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, बठिंडा, मानसा आते हैं, में की जाती है। नींबू जाति के फल के 100gm रस में 25 से 60ml विटामिन C होता है।

हवा पानी और जमीन

नींबू जाति के पौधे गर्म और नमी वाला जलवायु के कारण लंबे समय तक ठंड का सामना नहीं कर सकते हैं। यदि 2 से 0 डिग्री सेंटीग्रेड तक का कम तापमान अधिक समय के लिए रह जाए तो नींबू जाति के पौधे के लिए हानिकारक होता है। बहुत अधिक तापमान भी नींबू जाति के फल के लिए सही नहीं है। इस हालातों में पत्तियाँ सूख जाती हैं और बहुत सी पत्तियाँ झड़ जाती हैं। बढ़ते मौसम के दौरान गर्म रहने वाले क्षेत्र में माल्टे का फल जल्दी पक जाता है और फल में मिठास की मात्रा भी अधिक होती है।

नींबू जाति के पौधे लगभग पूरे पंजाब में उगाये जा सकते हैं।यदि अच्छी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो पंजाब के शुष्क क्षेत्रों में नींबू जाति वाले फलों की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। नींबू जाति के पौधे गहरी, अच्छी हवादार जमीनें जो जड़ क्षेत्र में कठोर पत्थर या कैल्शियम कार्बोनेट की सतह से रहित हों, में बढ़िया होती है।

नींबू जाति के पौधे का विकास खारी और कालराठी जमीनों में ठीक नहीं होता।इन जमीनों में चुने की मात्रा अधिक होने के कारण पौधे के पत्ते पीले हो जाते है और फास्फोरस, मेंगनीज और जिंक की कमी आ जाति है। वह जमीनें जिसमें सेम हो या पानी की सतह ऊपर और उतार चढ़ाव वाली हो, नींबू जाति के पौधे की खेती के लिए ठीक नहीं। वह जमीनें जिसमें, EC 0.5ml /cm तक, कैल्शियम कार्बोनेट 5 प्रतिशत तक, चूने की मात्रा 10 प्रतिशत और PH 8.5 तक हो, नींबू जाति के पौधे की खेती के लिए अनुकूल है। नींबू जाति के पौधे की खेती करने के लिए 5.5 से 7.5 PH वाली जमीन सबसे बढ़िया होती है।

माल्टे की किस्में

  • वालेंसिया(1968) : फल आकार में मध्यम, अंडाकार, त्वचा गहरे सुनहरे पीले रंग की है, पर्याप्त रस, कुछ खट्टा, सुगंधित कॉफी और 2 से 7 बीज। यह किस्म फरवरी-मार्च में पक जाती है और प्रति पौधा 38.9 किलोग्राम उपज देता है।
  • मौसमी(1962): फल छोटे से मध्यम, आकार में थोड़ा गोलाकार, त्वचा मुलायम और लंबी धारियों वाली, नीचे की ओर गोल निशान, गूदा मीठा, पीला या सफेद, रस में कम खट्टा और एक फल में 20 से 25 बीज होते हैं। फल नवंबर में पकता है और पौधे की औसत उपज 41.3 किलोग्राम है। पेक्टिनिफेरा जड़ों पर लगाए गए पौधे दूसरों की तुलना में बेहतर रहते हैं।
  • जाफ़ा(1962) : फल मध्यम से बड़े अकार का होता है, आकार में गोल, रंग संतरी पीले से संतरी लाल, खट्टास मिठास आपस में घोले हुए, अच्छी खुशबू और बीज 8 से 10 होते हैं।यह किस्म दिसंबर के महीने में पक्ति है और औसतन उपज 54 किलो प्रति पौधा है ।
  • ब्लडरेड(1962): फल मध्यम से बड़े, गोल या थोड़े तिरछे, त्वचा पतली, रंग में गहरा नारंगी, सख्त, गुदा पकने पर लाल, सुगंधित, मीठास और खट्टास अच्छी तरह से मिश्रित, बीज 8 से 10 और पकने का समय दिसंबर से जनवरी है। कैलियूपैट्रा जड़ और पियोंद किये गए पौधे दूसरों से बढ़िया रहते हैं। इस किस्म की उपज प्रति पौधा 42.3 किलो है।

जमीन के साथ लग रहे पौधे के भाग का गलना

हमले वाले पौधे नीचे से गलने लग जाते हैं, गूंद 50gm स्ट्रेप्टोसाइक्लिन+25 gm कॉपर सल्फेट के तीन छिड़काव, पहले अक्तूबर और दूसरा दिसंबर और तीसरा फरवरी में 500 लीटर पानी में घोल कर करें। बोर्डो पेस्ट (2:2:250) या 50 प्रतिशत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) का छिड़काव भी किया जा सकता है।

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