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गन्ने की खेती – बिजाई, उत्पादन और कटाई

Saccharum officinarum L नाम से जानी जाने वाली गन्ने की मुख्य फसल है, यह भारत में चीनी का मुख्य स्रोत है और यह लाभकारी फसलों में से एक महत्वपूर्ण स्रोत स्थान रखती है। गन्ना में विश्व में उगाई जाने वाली व्यापारक फसलों में से एक प्रमुख्य फसल है। भले ही इसके लिए बहुत ज़्यादा सख्त मेहनत की ज़रूरत नहीं होती, फिर भी गन्ने की खेती के लिए किसान को बहुत ही ज़्यादा सावधानी प्रयोग करने की ज़रूरत होती है क्योंकि गन्ने की फसल जलवायु की स्तिथि, खाद की मात्रा, मिट्टी की किस्म, सिंचाई के ढंग, कीट आदि से बहुत संवेदनशील होती है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी का खपतकार है और गन्ने के उत्पादन में भारत ब्राज़ील के बाद दूसरे स्थान पर आता है। भारत में लगभग 2.8 लाख किसान 4.4 लाख एकड़ क्षेत्र में गन्ने की खेती करते हैं। 11 करोड़ से ज़्यादा लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चीनी उद्योग पर निर्भर हैं। इसलिए यह सभी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल बनाता है। इसलिए, आइए गन्ने की खेती के बारे में विस्तार से विचार करें। खेत तैयार करने के लिए दो तरीके हैं जो नीचे दिए गए हैं।

गन्ने की खेती के लिए ज़रूरी शर्तें

गन्ना एक सदाबहार वाली फसल है जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय वाले क्षेत्रों में विकसित हो सकती है जहाँ तापमान 20 डिग्री से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहता है। इसके अलावा यह फसल उच्च स्तर की नमी के साथ बहुत बढ़िया प्रतिक्रिया करती है। इस फसल के सबसे बढ़िया विकास और उत्पादन के लिए वार्षिक 1500 मिलीलीटर से 2500 मिलीलीटर वर्षा की ज़रूरत होती है। हालाँकि आज-कल अनुकूल सिंचाई स्तिथियों के साथ गन्ना उगाना संभव है।

 

ज़मीन की तैयारी

गन्ने की खेती के लिए गहरी जोताई की ज़रूरत होती है और सुहागा के साथ खेत को तैयार किया जाता है, जिन किसानों के पास ट्रेक्टर नहीं हैं वह लकड़ी के आधारित सरकारी टीन का प्रयोग कर सकते हैं। गन्ना आम तौर पर नमी वाले क्षेत्रों में लगाया जाता है क्योंकि पौधे को नमी की ज़रूरत होती है और कतार की चौड़ाई 3-5 फ़ीट होनी चाहिए।

 

जोताई

यह खेत तैयार करने का परंपरागत ढंग है। हल की मदद के साथ मिट्टी पलटायें और तवियों की सहायता के साथ 50 से 60 सेंटीमीटर गहरी जोताई 2-4 बार करें।

 

तवियां लगाना

यह एक अन्य जोताई की विधि जिसके साथ जटिल मिट्टी को नरम किया जाता है ताकि मिट्टी की नमी बनाई रखी जा सके। इस तरीके में गड्ढे की पुटाई 12 से 15 सेंटीमीटर गहरी की जाती है।

 

ज़रूरी बातें

 

जलवायु

गन्ने की खेती गर्म और नमी के साथ भरपूर जलवायु वाले स्थानों में लंबे समय तक की जा सकती है। गन्ने के विकास को 50 डिग्री से ज़्यादा और 20 डिग्री से कम तापमान प्रभावित करता है।

 

मिट्टी

गन्ने की फसल दरमियानी भारी मिट्टी में बढ़िया विकास करती है। हालाँकि, हल्की मिट्टी में भी उगाई जा सकती है यदि सिंचाई की बढ़िया सुविधाएं मौजूद हो। यदि पानी के निकास की अच्छी व्यवस्था हो तो चिकनी मिट्टी पर भी गन्ने की बिजाई की जा सकती है।

 

बिजाई और खेती

 

बिजाई

लगातार खेती की विशेषताएं यकीनी बनाने के लिए गन्ने की गुल्ली या पनीरी के साथ प्रजनन किया जाता है। आमतौर पर बिजाई सबसे मेहंगी प्रक्रिया मानी जाती है। डंठल भाग जिसको billets, setts और बीज के टुकड़े भी कहा जाता है जिसमें एक या एक से ज़्यादा कलियाँ होती हैं,  इनकी ज़्यादातर बिजाई गर्मी के अंत में की जाती है। सर्दियों के मौसम में एक स्टैंड पर विकसित होते हैं।

इस समय के दौरान कलमें सड़ने का सबसे ज़्यादा खतरा होता है। इसलिए किसानों को पौधे लगाने से पहले कीटनाशकों और फंगीनाशक दवाइयों का छिड़काव करने के लिए सुझाव दिया जाता है।

 

बीज उपचार

गन्ने के बढ़िया विकास के लिए 10 से 11 महीने के बीजों का उपयोग करना चाहिए, यह अंकुरण और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। बीज के उपचार के लिए  2.5% यूरिया, 2.5% KCI, 1% Hadron और 0.05% बाविस्टिन का इस्तेमाल किया जा सकता है। किसान उपरोक्त बताये गए रसायनों के प्रयोग के साथ बीजों का उपचार करने के बाद गुल्लियों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा बीज से पैदा होने वाली बिमारियों से बचाव के लिए गर्म पानी के साथ भी उपचार किया जा सकता है।

 

बिजाई

गन्ने की बिजाई आमतौर पर बसंत और पतझड़ में की जाती है। एक एकड़ रकबे के लिए 10-12.5 हज़ार तीन आँखों वाली गुल्लियों की ज़रूरत होती है।

 

बिजाई का ढंग

गन्ने को एक अवस्था तक पहुँचने के लिए 9 से 24 महीने का समय लगता है, यह मुख्य तौरपर इलाके के जलवायु पर निर्भर करता है। बुनियादी फसल की कटाई केवल एक बार की जाती है और फिर जड़ों या बढ़े हुए भाग की तीन या चार बार कटाई होती है। जिन इलाकों में वार्षिक बारिश 1500 मिलीमीटर से कम होती है ऐसे इलाकों में तुपका सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।

 

पकना

इस फसल को पकने में तीन महीने का समय लगता है। इस समय में डंठल सूख जाते हैं और यह चीनी के संश्लेषण और भंडार को बढ़ाता है। एक ठंडा और शुष्क मौसम पकने के लिए तरजीह दी जाती है और पकने के दौरान fructose जैसे साधारण शक़्कर आमतौर पर sucrose में बदल जाते हैं।

 

कटाई

किसान मशीन की सहायता से गन्ने को छोटे हिस्सों में काट सकता है। गन्ने की कटाई करने वाली हार्वेस्टर मशीन के पीछे ट्राली में छोटे टुकड़ों को इकठ्ठा कर लिया जाता है।

गन्ना भारत में सबसे अधिक उगाई जाने वाली व्यापारक फसलों में से एक हैं। यह 3.93 मीटर प्रति हैक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है और भारत वार्षिक 170 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है। भारतीय गन्ने की उत्पादकता लगभग 67 टन हैक्टेयर है। गन्ने की खेती फ़ूड-कम-कैश फसलों में से एक प्रमुख्य फसल होने के साथ-साथ कई लोगों के लिए रोज़गार का स्रोत भी बन गया है।

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यदि आप भी गन्ने की खेती करना चाहते हैं तो बिलकुल सही फैसला लिया है। गन्ने की खेती के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए या गन्ने को पेशेवर स्तर पर शुरू करने के लिए या इसके बारे में हमारे माहिरों के साथ बात करने के लिए www.apnikheti.com पर जाएं या अपनी खेती ऐप डाउनलोड करें।

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