पनीरी तैयार करने वाली जगह वह होती है जहाँ सब्जियों के बीज की बिजाई करने के बाद पौधों को खेत में लगाने तक रखा जाता है।
अच्छी पैदावार लेने के लिए बढ़िया पौध होना बहुत ज़रूरी है हालाँकि हर सब्जी के लिए पनीरी तैयार करने की ज़रूरत नहीं होती है पर बैंगन, टमाटर, मिर्च, गोभी, प्याज़ आदि की नर्सरी तैयार किये बिना बढ़िया और मुनाफे वाली खेती नहीं की जा सकती। नर्सरी में पौधों की जड़ों का बढ़िया विकास होता है जिसके कारण वह पौष्टिक तत्वों को अच्छी तरह ग्रहण करती है और बढ़िया पैदावार का मुख्य कारण बनती है।
सब्जियों की पनीरी तैयार करने के क्या हैं फायदे:-
- सब्जियों की पनीरी तैयार करने के साथ अंकुरण बढ़िया होता है।
- कम ज़मीन में ज़्यादा पौधे तैयार किये जा सकते हैं।
- मौसम, मिट्टी, पानी और अन्य चीज़ों को संभालना आसान हो जाता है।
- पौधों की बिमारियों और कीड़ों से बचाव करना आसान हो जाता है।
- बीज की बचत होती है ज़मीन का सही इस्तेमाल होता है।
- नर्सरी में से बढ़िया और सेहतमंद पौधों का चयन करके खेत में लगाए जाते हैं जिसके कारण खेत में से बढ़िया पैदावार ली जा सकती है।
नर्सरी के लिए जगह का चयन कैसे करें ?
- नर्सरी के लिए खुली, हवादार, सूर्य की रौशनी से भरपूर होनी चाहिए।
- किसी घर या वृक्ष नीचे की ज़मीन का चयन इस काम के लिए ना करें। यह जगह छाया रहित होनी चाहिए।
- ऊँचा उठा हुआ नर्सरी बेड बढ़िया माना जाता है क्योंकि यह पानी को बेड ऊपर खड़ा नहीं रहने देता।
- नर्सरी के लिए जगह पानी के स्रोत के नज़दीक होनी चाहिए।
- नर्सरी के नज़दीक ही इसकी देखभाल करने वाली व्यक्ति का कमरा होना चाहिए।
- नर्सरी की जगह रास्ते के नज़दीक हो तो ज़्यादा बढ़िया है।
- आमतौर पर सब्जियों के लिए एक हेक्टेयर की नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग 250 वर्ग फ़ीट मीटर जगह की ज़रूरत होती है।
नर्सरी तैयार करने का सही समय:
फसल कोई भी हो, बढ़िया बीज उसकी सफल खेती के लिए रीड की हड्डी होता है। बीज निरोगी, बढ़िया उपज देने वाला हो और किसी भरोसेमंद से खरीदा गया हो। नर्सरी तैयार करने का सही समय फसल पर निर्भर करता है पर मुख्य तौरपर पतझड़-रबी की ऋतु की सब्जी के लिए जून-जुलाई और बसंत- गर्मी की ऋतु के लिए नवंबर-जनवरी में तैयार की जाती है।
नर्सरी बेड के प्रकार: नर्सरी बेड 3 तरह के होते हैं:-
समतल नर्सरी बेड:- यह बसंत या गर्मी की फसलों की लिए प्रयोग किया जाता है जब बारिश का डर ना हो। यह उन इलाकों के लिए भी अनुकूल है जहाँ मिट्टी रेतली-रेतली दोमट हो।
ऊँचा उठा हुआ:- यह नर्सरी बेड ज़्यादा प्रयोग किया जाता है। यह बरसात मौसम के लिए प्रयोग किया जाता है। इस बेड में पानी ठहरने की संभावना बहुत कम होती है। इसकी उचाई 10-15 सेंटीमीटर रखी जाती है।
गहरा नर्सरी बेड:- यह नर्सरी बेड आमतौर पर ज़्यादा नहीं प्रयोग किया जाता है। यह सर्दी के मौसम में ज़्यादा प्रयोग किया जाता है। इसकी गहराई ज़मीन से 10-15 सेंटीमीटर नीचे रखी जाती है। पौधों को ठंडी हवाओं से बचाने के लिए इसे पॉलीथीन की शीट से ढका जाता है।
नर्सरी बेड तैयार करना और बिजाई:-
सबसे पहले ज़मीन अच्छी तरह समतल कर लें। मिट्टी में मौजूद पत्थर, कंकर या गैर ज़रूरी पत्तों आदि को निकाल दें। मिट्टी के बड़े टुकड़ों को बारीक कर दें और नर्सरी बेड को समतल कर लीजिये। नर्सरी बेड की लम्बाई अपनी सुविधा के अनुसार रखी जा सकती है पर इसकी चौड़ाई 1 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए ताकि बेड के बीच में काम करना आसान हो। बिजाई के लिए कतार में 5 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। बिजाई करने के समय बीज के आकार के लगभग 3-4 गुना गहराई पर बुवाई करनी चाहिए। बिजाई के बाद बीज को छाने हुए गले-सड़े हुए गोबर की बहुत हल्की परत से ढक देना चाहिए। उसके बाद हल्की सिंचाई बहुत ज़रूरी है। उसके बाद पौधों की देखभाल करते रहें। आम तौरपर गर्मियों में पौधे लगभग 4 सप्ताह और सर्दियों में 6-8 सप्ताह के बाद मुख्य खेत में रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। इस समय पौधों की लंबाई लगभग 15 सेंटीमीटर हो जाती है और 4-6 सेंटीमीटर पत्ते निकल आते हैं।
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