गेहूं और धान के फसली चक्र के अलावा किसानों को दालों की बिजाई की तरफ ध्यान देना चाहिए। किसान हर वर्ष फरवरी से जून महीनों के दरमियान आलू और मटर की फसल के बाद बहार ऋतु की मक्की की खेती को पहल दे रहे हैं जिसमें पानी की भी बहुत खप्त होती है। इसलिए किसानों को सही फसल की बिजाई की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे आय और मिट्टी की गुणवत्ता दोनों बढ़ें ऐसे समय में दालों की बिजाई का फैसला प्रशंसायोग है। इन फसलों की खेत में बिजाई और खेत की तैयारी किस तरीके से की जाती है निम्नलिखित विस्तार में दिया गया है-
खेत की तैयारी
खेत को दो-तीन बार जोताई कर हर बार सुहागा मारकर तैयार करें। खेत समतल और घास से रहित होना जरूरी है। गेहूं की कटाई के उपरांत गर्म ऋतु की मूंग को खेत की जोताई किए बिना बोया जा सकता है। यदि खेत में गेहूं की पराली नहीं है तो मूंग की बिजाई ज़ीरो टिल ड्रिल से करें। यदि गेहूं की कटाई कंबाइन से की हो और गेहूं की पराली खेत में हो तो बिजाई पी ए यू हैपी सीडर से भी की जा सकती है।
उन्नत किस्में
गर्म ऋतु की मूंग और मांह की बिजाई के लिए कम समय लेने वाली किस्मों का ही चयन करें।
मूंग- मूंग की एस एम एल 1827 किस्म पकने के लिए 62 दिन लेती है, इसकी उपज 5 क्विंटल प्रति एकड़ मिलती है। इस तरह बिजाई के लिए टी एन बी 37 किस्म की बिजाई के लिए सिफारिश की गई है। यह पकने के लिए 60 दिन लेती है और इसकी उपज 4.9 क्विंटल है। मूंग की एस एम एल 832 किस्म पकने के लिए 61 दिन लेती है, इसकी उपज 4.6 क्विंटल प्रति एकड़ है। इन तीनों किस्मों के लिए 12 किलो बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें। मूंग की एस एम एल 668 किस्म पकने के लिए 60 दिन लेती है और इससे 4.5 क्विंटल प्रति एकड़ उपज प्राप्त होती है। इस किस्म की बिजाई के लिए 15 किलो बीज प्रति एकड़ प्रयोग करने की ज़रूरत पड़ती है। मूंग की इन सभी किस्मों की बिजाई 20 मार्च से 10 अप्रैल तक कर लेनी चाहिए।
मांह- मांह 1137 किस्म पकने के लिए 74 दिन लेती है। इस किस्म से 4.5 क्विंटल प्रति एकड़ उपज प्राप्त होती है जबकि मांह 1008 किस्म 72 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है और इसकी 4.2 क्विंटल उपज प्राप्त होती है। मांह की फसल के लिए 20 किलो बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें और बिजाई 15 मार्च से अप्रैल के पहले सप्ताह तक कर लेनी चाहिए।
बीज का उपचार
बीज को जीवाणु खाद का टीका लगाने से उपज बढ़ती है। एक एकड़ के बीज को तकरीबन 300 मि.ली. पानी से गीला करके बीज को जीवाणु खाद के टीके के एक पैकेट मूंग के लिए राइज़ोबीयम एल एस एम आर-1 और राइज़ोबैक्टीरियम आर बी 3 और मांह के लिए राइज़ोबीयम एल यू आर-6 अच्छी तरह मिलाने के बाद, बीज को छांव में सुखा लें। एक घंटे के अंदर इस बीज की बिजाई करें।
खादें- मूंग की बिजाई के समय प्रति एकड़ 5 किलो नाइट्रोजन तत्व (11 किलो यूरिया) और 16 किलो फास्फोरस तत्व (100 किलो सिंगल सुपर फास्फेट) ड्रिल करें। आलू की फसल के बाद धान/मक्की, आलू, गर्म ऋतु की मूंग के फसली चक्र में) गर्म ऋतु की मूंग को कोई खाद डालने की ज़रूरत नहीं। मांह की बिजाई के समय प्रति एकड़ 5 किलो नाइट्रोजन तत्व और 10 किलो फास्फोरस तत्व ड्रिल करें।
खरपतवारों की रोकथाम
खरपतवारों की रोकथाम के लिए एक या दो गोडाई करें। पहली गोडाई बिजाई के 4 सप्ताह बाद और दूसरी गोडाई, यदि जरूरत हो तो उसके दो सप्ताह बाद करें।
सिंचाई
मौसम और ज़मीन की पानी संभालने की क्षमता अनुसार फसल को 3 से 5 पानी लगाएं। पहला पानी बिजाई के 25 दिनों के बाद लगाएं। मूंग की अंतिम सिंचाई बिजाई के तकरीबन 55 और मांह को 60 दिनों तक करें। इससे उपज बढ़ेगी और फलियां एकसमान पकेंगी। पानी की बचत के लिए मूंग की फसल में तुपका सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करें या बैड पर बिजाई करें।
बिजाई का ढंग
मूंग की बिजाई के लिए खालियों में फासला 22.5 सैं.मी. और पौधे से पौधे का फासला 7 सैं.मी. रखें। बीज ड्रिल, ज़ीरो टिल ड्रिल या हैपी सीडर से 4 से 6 सैं.मी. गहरा बोयें। मांह की बिजाई के लिए कतारों में 22.5 सैं.मी. और पौधों में 4-5 सैं.मी. फासला रखें और बीज 4 से 6 सैं.मी. गहरा बोयें। बीज ड्रिल, केरे या पोरे से बोया जा सकता है। दरमियानी और भारी ज़मीनों पर मूंग की बिजाई गेहूं के लिए प्रयोग किए जाते बैड प्लांटर से 67.5 सैं.मी. के फासले पर तैयार किए बैड (37.5 सैं.मी. बैड और 30 सैं.मी. खाली)पर की जा सकती है।
कटाई
फसल की उस समय कटाई कर लें जब तकरीबन 80 फीसदी फलियां पक जाएं। गहाई के लिए किल्लियों वाला गेहूं का थ्रैशर कुछ परिवर्तन करके प्रयोग किया जा सकता है।
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