पशु पालक किसान अपने पशुओं की कीमत जानते हैं, क्योंकि अपनी रोज़ाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह इस पर निर्भर हैं। तो ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि अपने और दूसरों के पशुओं में अलग सा किया जाए। हज़ारों सालों से लोगों की तरफ से कई तरह के पशु पहचान के तरीके अपनाये जाते हैं, बल्कि इन दिनों में पशु पालन के विकास के साथ कई नई तकनीकें प्रसिद्ध हो गई।
किसान आम तौरपर पशु के जन्म से कुछ घंटे या दिन के बाद पशु को पहचान चिन्ह लगाते हैं। पशु पहचान ज़्यादातर ज़रूरी ना समझा जाने वाला पशु पालन का महत्वपूर्ण काम है। आइए पशु टैगिंग के कुछ मुख्य तरीकों और इसके फायदों के बारे में जानते हैं।
पशु पहचान के तरीके
- टेटू बनाना
पहचान के लिए टेटू बनाना सबसे पुराना तरीका है, जिसमें सुई के साथ पशु की चमड़ी, ज़्यादातर कान पर छेद बनाये जाते हैं। फिर इन छेद में स्याही भरी जाती है और जख्म भर जाने पर टेटू दिखना शुरू हो जाता है। इस तरीके से प्रयोग किये जाने वाला सामान अच्छी तरह कीटाणु रहित होना चाहिए और ध्यान रखें कि पशु को इसके साथ कोई इन्फेक्शन या बीमारी न हो। आम तौर पर इस तरीके में पुराने टेटू की पहचान करना मुश्किल होता है और इसे देखने के लिए तेज रौशनी की जरुरत होती है।
- कानों में टैग लगाना
कानों वाले टैग टेटू से अलग होते हैं और दूर से पढ़े जा सकते हैं; आपको पशु की पहचान करने के लिए पशु को पकड़ने की जरुरत नहीं। कानों वाले टैग पशुओं की पहचान के लिए प्रयोग किये जाते हैं। किसान पशु के लिए निर्धारित किया नंबर नोट करने पर और टैग डालने से पहले कान की नर्म हड्डी पर निशान लगाएं।
- कान काटना
कान काटना पशु पहचान का आसान तरीका है, जो आमतौर पर बकरियों, खरगोशों, सुअर, भेड़ आदि में प्रयोग किया जाता है। इस तरीके में एक अनुभवी पशु पालक पशु के कान से छोटा भाग काट कर निशान बनाता है। हर एक कट एक नंबर दर्शाता है जो इसके निशान पर आधारित होता है, जैसे कि ऊपरी भाग, नीचे का भाग, बिलकुल बाएं और अधिकतर बाएं/दाएं कान से पशुओं को अलग किया जा सकता है।
- ब्रैंडिंग
ब्रैंडिंग पशु पहचान का एक और प्रभावशाली तरीका है जो अक्सर पशुओं की छोटी उम्र में अपनाया जाता है। इस तकनीक में एक गर्म औज़ार जिस पर नंबर या निशान बने होते हैं, को पशु के शरीर, आमतौर पर पीछे आराम से दबाया जाता है। एक बार जब चमड़ी के टिशू सड़ जाती है और ठीक हो जाते हैं तो नंबर/निशान दिखने शुरू हो जाते हैं और अधिक समय तक रहते हैं। ऐसा ही तरीका, पेंट ब्रैंडिंग भी अस्थाई तौर पर प्रयोग किया जाता है।
- नाक प्रिंटिंग
नाक प्रिंटिंग कुछ उचित टिकाऊ पहचान में से एक है, इसमें पहचान को बदलना लगभग मुश्किल होता है। यह उन किसानों के लिए आम प्रक्रिया है जो पशु और भेड़ों की प्रदर्शनी और बेचने के लिए जाते हैं। नाक प्रिंटिंग लगभग फिंगर प्रिंट की तरह ही होती है। जिसमें हर एक पशु के नाक पर बिंदिया या लाइनें बनाई जाती है जिससे पहचान करना आसान हो जाता है।
- नंबर टैगिंग
नंबर टैगिंग में बड़े धातू के टैग प्रयोग किये जाते हैं, जो उचित दूरी से पहचाने जा सकते हैं। किसान आम तौर पर धातू टैग को गले की संगली के साथ लटका देते हैं। यह पुराना तरीका है, जिसमें टैग खो सकते हैं और यदि इसका मुख्य कारण है यह तरीका अधिकतर खच्चर, भेड़, बकरियां, पशुओं और खरगोश में प्रयोग किया जाता है।
- माइक्रोचिप डालना
माइक्रोचिप द्वारा पहचान का तरीका तकनीक अनुसार आधुनिक तरीका है। इसमें एक माइक्रो चिप पशु के कान या पूंछ में डाली जाती है, जिसमें मालिक और जगह की स्थाई पहचान होती है। पशु माहिर आजकल इस तरीके की सिफारिश करते हैं, क्योंकि इस तकनीक में चिप डालने के समय हल्का सा दर्द ही महसूस होता है। चिप बनाने के बाद यह जरुरी है कि यह यकीनी बनाया जाए कि स्कैन हो रही है या नहीं, कुछ पशु मेले और प्रदर्शनियों में माइक्रो चिप जरुरी होती है।
पशु टैग के फायदे
- पशु पालक और ब्रीडर आसानी से पशुओं के रिकॉर्ड तैयार कर सकते हैं।
- इससे पशु के पुराने रिकॉर्ड देखकर इलाज करने में आसानी होती है।
- ब्रीडिंग सीजन (समय) आने पर बदलने वाले स्टॉक का चयन आसानी से हो सकता है।
- पशुओं के व्यवहार और क्रियायों को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।
- मालकियत स्थापित करना बीमा राशि लेने के समय पशु की ट्रैनिंग होती है।
- पशुओं पर (रिसर्च के लिए) पढ़ाई और प्रबंधन के लिए एहम।
पशुओं की टेगिंग की प्रक्रिया और इसके फायदे के बारे में जानने के लिए यह वीडियो देखें
हो सकता है कि आपने पशुओं को नाम दिए हो और उनकी पहचान भी इसी के साथ करते हूँ, पर यह तरीका छोटे फार्म पर ही प्रयोग किया जा सकता है, बड़े पशु फार्मों पर यह संभव नहीं। इसलिए पशुओं की टैगिंग जरुरी है और आज कल यह बहुत आसान भी है। आप ऊपर दिए किसी भी अनुकूल तरीके को अपना सकते हैं। हो सकता पशु टैगिंग से संबंधित आपके बहुत से सवाल भी हों पर चिंता करने कोई जरुरत नहीं। अपने स्मार्ट फ़ोन से अपनी खेती ऐप डाउनलोड करें और प्रयोग करें, अपने सभी सवालों के जवाब पाएं और खेतीबाड़ी से संबंधित सभी समस्याओं के हल पाएं। अभी एप डाउनलोड करें
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