barseem varieties

रबी में हरे चारी की भरपूर उपज लेने वाली किस्में

रबी के चारे की बिजाई सितंबर-अक्तूबर के महीनों में की जाती है, पंजाब प्रांत में रबी में चारे की फसलों की खेती 361 लाख हैक्टेयर में की जाती है। जिसमें से लगभग 707 लाख टन के मुकाबले बहुत कम है। इसलिए एक पशु को 31.04 किलो हरा चारा प्रति दिन मिलता है जो कि ज़रूरत के अनुसार (40 किलो/पशु/दिन) कम है। इसलिए प्रति इकाई क्षेत्र में से प्रति इकाई समय चारे का उत्पादन ज़रूर बढ़ाया जा सकता है। यदि पशुओं को दाने की जगह अच्छी किस्म का चारा शामिल किया जाये। रबी में ना केवल हरे चारे की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की तरफ से सिफारिश की किस्मों की बिजाई करनी चाहिए बल्कि हरा चारा दूध की पैदावार बढ़ाता है।

रबी के चारे को मुख्य 2 किस्मों में बांटा जा सकता है फलीदार चारे (जैसे कि बरसीम, लूसर्न, शफतल, सेंजी) और गैर फलीदार चारे (जैसे कि जई और राई घास)।

बरसीम रबी की महत्वपूर्ण फसल है जिसकी 2.31 लाख हैक्टेयर में खेती की जाती है। यह एक फलीदार फसल है जो नवंबर से लेकर जून के मध्य तक पौष्टिक और स्वादिष्ट चारे की बार-बार कटाई देने के सक्षम है। पैदावार में दूसरे नंबर जई आती है। जई एक गैर फलीदार चारे की फसल है जो कि पौष्टिक और स्वादिष्ट चारा प्रदान करती है। आज कल डेयरी वाले राई घास और लूसर्न की बिजाई भी करते हैं। लूसर्न को रिजका भी कहा जाता है जो कि बार-बार कटाई में प्रोटीन का भरपूर हरा चारा देती है। लूसर्न मई-जून के महीनों में बहुत बढ़िया चारा देने वाली फसल है और इसकी अंतिम कटाई जुलाई के पहले सप्ताह तक की जाती है।

राई घास बार-बार कटाई में बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट चारा प्रदान करने वाली गैर फलीदार चारे की फसल है जो कि 5-6 कटाई देती है।बल्कि अकेला बरसीम दुधारू पशुओं की ज़रूरत को पूरा करता है जो कि 6 -7 लीटर दूध देते हैं पर फिर भी आपको फलीदार और गैर फलीदार हरे चारे किए मिश्रण का प्रयोग करने की तरजीह देनी चाहिए क्योंकि इस तरह करने से चारा गुणकारी हो जाता है। कोशिश यह करनी चाहिए कि फलीदार और गैर फलीदार हरे चारे का मिश्रण पशुओं को डाला जाये जैसे बरसीम या लूसर्न को जई या राई घास के खमीरे के साथ मिलाकर डाला जा सकता है।

पंजाब में रबी के चारे की मुख्य फसलों की किस्में और उनकी खेती का विवरण नीचे लिखा गया है:-

फलीदार चारे की किस्में जैसे बरसीम की किस्में जैसे बी एल 43 या बी एल 42 या बी एल 10 या बी एल 1 की बिजाई कर सकते हैं। इनकी पैदावार लगभग 390 से 440 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से हरा चारा निकलता है। लूसर्न की किस्में जैसे एल एल कंपोजिट 5 की बिजाई कर सकते हैं। इसकी पैदावार 280 क्विंटल प्रति एकड़ के हिस्बा से हरा चारा निकलता है इसके बीज मोटे होते हैं।

गैर फलीदार चारा जैसे कि जई और राई घास की बिजाई कर सकते हैं। जाई की किस्में जैसे कि ओ एल 12, ओ एल 10, कैंट की बिजाई कर सकते हैं इसकी उपज 210 से 275 क्विंटल हरा चारा होता है। राई घास की किस्म जैसे पंजाब राई घास नंबर 1 की बिजाई कर सकते हैं।

चारे की बढ़िया पैदावार लेने के लिए ज़रूरी नुस्खे:- चारे की फसलों को हमेशा दूसरी फसलों जिन पर कीटनाशकों का ज़्यादा प्रयोग होता है, से दूर ही बुवाई करें। चारे की सही समय बिजाई करें और बिजाई से पहले बीज का उपचार करें। बरसीम और लूसर्न से अच्छी उपज लेने के लिए बिजाई से पहले बीज को राइजोबियम का टीका लगाएं। चारे में खादों का संतुलित प्रयोग करें। बढ़िया गुणवत्ता और खुराकी तत्व के साथ भरपूर चारा लेने के लिए कटाई सही अवस्था पर करें। चारे में गैर सिफारिश रसायनों का प्रयोग ना करें। बरसीम की फसल से बीज की उपज लेने के लिए पोटाशियम नाइट्रेट या सैलीसाइलिक एसिड का प्रयोग करें ।

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