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टिड्डी दल का हमला- कृषि क्षेत्र पर प्रभाव और इसके बचाव

मनुष्य के लिए अगर कोई उद्योग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, तो वह है खेतीबाड़ी उद्योग। हमें जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है और इसे संसार भर के मेहनती किसानों की तरफ से दिन-रात मेहनत करके तैयार किया जाता है। पर अफ़सोस की बात यह कि इन सभी प्रयासों के बाद भी किसान को बढ़िया फसल लेने के लिए कीड़ों को नियंत्रित करने के साथ-साथ प्रकृति पर निर्भर होना पड़ता है।

यदि हम मौजूदा समय की बात करें तो टिड्डी दल ने उत्तर-भारत के बहुत से राज्यों पर हमला किया और बड़ी संख्या में फसलों को नुकसान पहुँचाया, जिससे बहुत से भारती किसानों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। टिड्डियों का हमला पिछले 27 साल में सबसे नुकसानदायक माना गया है।

टिड्डियों के हमले से निपटना

इस हमले को दोबारा आने और अन्य राज्यों में रोकने से बचाव के लिए सरकार कई सावधानियां प्रयोग कर रही है। इसके लिए विभिन्न ज़िलों/राज्यों में बहुत से कंट्रोल रूम स्थापित किये गए हैं और किसानों को यह भी कहा गया है कि टिड्डियों की किसी भी गतिविधि के बारे में जितना जल्दी हो सके रिपोर्ट करें। टिड्डियों के बढ़ते हमले को रोकने के लिए सूबा सरकार की तरफ से 1 करोड़ रूपये की राशि मंज़ूर की गई है और जिला खेतीबाड़ी अफसरों की तरफ से बड़े स्तर पर रसायन खरीदे जा रहे हैं। खेतीबाड़ी के यूनियन मंत्री के अनुसार, राजस्थान और पंजाब के 14000 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों के जमले को कंट्रोल कर लिया गया है।

यह सब निश्चित योजना के तहत खेतीबाड़ी अफसरों की मेहनत के साथ हासिल हुआ है। इसके अलावा इस समस्या के मुख्य कारण ढूंढने के लिए राजस्थान और पाकिसतन बॉर्डर क्षेत्र में सर्वे किये जाएंगे और स्थानक किसानों को टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए स्प्रे पंप दिए जाएंगे।

रेगिस्तानी टिड्डियाँ क्या हैं ?

रेगिस्तानी टिड्डियाँ विश्व के सबसे खतरनाक एक से दूसरी जगह जाने वाले कीटों में गिनी जाती हैं। यह इसलिए क्योंकि इसका एक झुंड जो 1 किलोमीटर के रेडियस में आता है, में लगभग 8 करोड़ टिड्डियाँ होती हैं जो इस क्षेत्र में आती फसल को 30 मिनट में नष्ट कर देती हैं।

कृषि अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

फसलों वाले खेतों ऊपर टिड्डियों के इस किस्म के हमले आदर्शक तौरपर टिड्डियों के प्लेग के वरतारे की तरफ ले जाते हैं। इसका मतलब है कि इस तरह के बड़े हमलों के कारण पूरे सीज़न में किसानों की तरफ से की गई मेहनत व्यर्थ हो जाती है। जब भी ऐसे हमले होते हैं तो किसान यह सोचने के लिए मज़बूर हो जाते हैं कि गर्मी ऋतु में बोई मूंग की फसल नष्ट हो जाएगी, जिससे बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। इस समय जब खेती आर्थिकता को कोरोना वायरस ने बुरी तरह हिला दिया है, इन परिस्थितियों में टिड्डियों के हमले अधिक मुश्किलें लेकर आएंगे।

टिड्डियों के हमले का फसलों पर प्रभाव

  • टिड्डियाँ बड़े स्तर पर भोजन को नष्ट करेंगी।
  • लगभग 1 टन टिड्डियाँ (औसतन छोटा झुंड) 2500 लोगों, 25 ऊठ या 10 हाथियों के बराबर खाने की समर्था रखती हैं।
  • टिड्डियाँ फल, तने के छिलके, बीज, पत्ते, फूल और गोभ आदि को खाकर नष्ट कर देती हैं।। यह अपने व्यर्थ के साथ पौधों को नष्ट कर देती हैं और ज़्यादा संख्या में पौधे पर बैठकर अपने भार से पौधे को तोड़ भी देती हैं।
  • यह खास तौरपर देखा गया है कि छोटी टिड्डियों का झुंड ज्यादातर फलों वाले पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिनमें अंगूर, नींबू, खजूर, संतरा और पपीता आदि आते हैं।

टिड्डियों के हमले पर सर्वे और भारत में बचाव

यह पहल टिड्डी चेतावनी संस्था की तरफ से की गई है, पौध सुरक्षा, क्वारंटीन और स्टोरेज, खेतीबाड़ी और खेती विभाग, भारत के डायरेक्टरेट के अंतर्गत काम करती है। यह संस्था टिड्डियों से बचाव और मुक्ति के लिए राजस्थान, पंजाब हरियाणा के ज़िलों में लगातार काम कर रही है।

सर्दियों में टिड्डियों का हमला

आम स्तिथियों में टिड्डियों का हमला मध्य सितंबर में खत्म हो जाता है, पर इस बार इसका असर बढ़ता जा रहा है। मौसम में बदलाव टिड्डियों  में बहुत मदद कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप लगातार हमले देखने को मिलते हैं।

खेती विभाग, राजस्थान और टिड्डी चेतावनी संस्था, श्री गंगानगर के अधिकारीयों के अनुसार, सर्दियों के बाद भी टिड्डियों का हमला जारी रहने में लंबा मानसून और कंट्रोल से बाहर तेज हवा मुख्य कारक हैं।

गर्मियों में टिड्डियों का हमला

जब तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस होता है, टिड्डियाँ अंडे देना शुरू कर देती हैं। जब तापमान बढ़ना शुरू होता है तो भविष्य में जोखिम बढ़ जाता है, गर्मी का मौसम और समस्याएं लेकर आता है, जिसके गवाह ईरान और पाकिस्तान हैं।

ऐसे हमलों से बचाव के लिए समय पर सर्वे करना ज़रूरी है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन ने पाकिस्तान में पंजाब की टिड्डियों के विकास की स्थिति का हाल जानने के लिए डॉ.मुहम्मद अशरफ, चेयरमैन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, फैसलाबाद, पाकिस्तान से सम्पर्क में हैं।

डॉ.मुहम्मद अशरफ जी अनुसार, मौसम का अनुकूल न होना टिड्डियों की वृद्धि का कारक है, जिससे फसल की भारी बरबादी हो सकती है।

आइए माहिरों से जानते हैं कि कैसे किसान टिड्डियों के हमले से बच सकते हैं

टिड्डी दल से बचने के लिए क्या करें किसानराजस्थान से टिड्डी दल संबंधित अहम जानकारीजनिये किन फसलों पर करता है टिड्डी दल…

Apni Kheti यांनी वर पोस्ट केले रविवार, ३१ मे, २०२०

परिणाम

टिड्डियों का हमला निश्चित रूप से फसलों और पूरे कृषक समुदाय के लिए हानिकारक है, क्योंकि सीधा प्रभाव प्रणाली ऊपर भी पड़ता है। इसका मुख्य कारण मौसम का अनुकूल होना जो टिड्डियों की वृद्धि में सहायक साबित हो सकता है और बड़े पैमाने पर फसलों की तबाही का कारण बन रहा है।

यदि आप किसान हैं और टिड्डियों के हमले से परेशान हैं, पर कोई हल नहीं मिल रहा तो अब चिंता करनी की ज़रूरत नहीं। अपनी खेती के माहिरों की टीम आपकी मदद करेगी। इसके लिए आप अपनी खेती ऐप डाउनलोड कर सकते हैं या वेबसाइट पर लॉग-ऑन कर सकते हैं और आपके टिड्डियों के हमले और बचाव के संबंधी सभी सवालों के हल जल्दी ही मिलेंगे।

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