संसद के बाद कृषि से संबंधित कानून पास करने के बाद पूरे भारत में हंगामा छाया हुआ है। कानूनों का विरोध करने के लिए लाखों की संख्या में किसान (30 से अधिक विभिन्न किसान यूनियन समूह) दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर इकट्ठे हुए हैं। यदि सरकार उन तीन कानूनों को वापिस नहीं लेती जो किसानों के अनुसार काले कानूनों जैसे हैं तो स्तिथि बहुत जल्द बिगड़ सकती है।
आइए जानें सरकार का इन कानूनों के बारे में क्या कहना है?
सरकार द्वारा लागू किये गए तीन फार्म कानूनों को भारत कृषि सेक्टर में एक महत्वपूर्ण सुधार के तौरपर पेश किये जा रहे हैं जो बिचौलों के काम को ख़तम करेगा।
पहला, किसान केवल APMC की मंडियों पर बेच सकते हैं-कृषि उत्पादन मार्केटिंग कमेटी, हालाँकि किसान उत्पादन व्यापार एक्ट, 2020 के लागू होने के साथ, किसान अपनी उपज APMC मंडियों के बाहर देशभर में कहीं पर भी बेच सकता हैं।
राष्ट्र, कौन से तीन कानूनों की बात कर रहा है ?
- किसानों का उत्पादन व्यापार (तरक्की और सुविधा)
- किस्मों (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमतों पर भरोसा और फार्म सेवाओं पर अनुबंध
- ज़रूरी चीज़ें(संपादित/बदलाव)कानून
आइये अभी तीनों कानूनों के कुछ फायदे और नुकसानों के बारे में विस्तारपूर्वक विचार करें।
1. किसानी का उत्पादन व्यापार और कानून 2020
लाभ:
- APMC मंडियों के बाहर, किसानों को अपनी फसल किसी भी जगह पर बेचने की आज़ादी मिलेगी।
- सभी व्यापारक रुकावटों को दूर करके एक राष्ट्र, एक बाज़ार की धारणा अंतरराज्य व्यापार को प्रेरणा मिलेगी।
- किसानों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्मों का प्रयोग करते व्यापार में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन करना, उनके मार्केटिंग और आवाजाई पर होने वाले खर्चों की बचत, विवाद के निपटारों के लिए नई विधि भी प्रस्तुत की गई है। जिसके अंतर्गत किसान अदालत में चल रहे मुकदमेबाजी से बच सकते हैं।
नुकसान:
- राज्य सरकारें जो ‘बाजार शुल्क’ एकत्र करती हैं, वह राज्य की आमदन का एक बड़ा स्रोत है। क्योंकि किसानों को APMC मार्किट से बाहर बेचने की आज्ञा दी जाएगी, इस साल राज्य काफी माली नुकसान झेलेंगे, जैसे कि यह नियम बिचौले लोगों की भूमिका को ख़त्म करता है, कमिशन एजेंटों का व्यापार बंद हो जायेगा और किसान सीधे रजिस्टर्ड व्यापारियों को बेच सकते हैं।
- यह नियम कई दशकों से भारत में चल रहे हैं। MSP आधारित खरीद प्रणाली और परंपरागत मंडी प्रणाली को ख़तम कर देगा।
2. किसान का (सशक्तिकरण और सुरक्षा) मूल्य बीमा और फार्म सेवाएं कानून, 2020 का समझौता
लाभ:
- किसान परचून विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, निर्यात करने वाले और खाद्य उत्पादों के निर्माता आदि के साथ व्यापारक समझौता कर सकते हैं। उनके शोषण की आशंकाओं को दूर करने और ग्लोबल बाजार तक पहुंचने की अनुमति दी जाएगी।
- यह नियम अब खरीददार- कृषि क्षेत्र में उद्यमियों को प्रोत्साहित करना और अनाज उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसान तकनीकी और बुनियादी ढांचे में निवेश करने में सक्षम होंगे। इसके साथ किसान खेती के ऊपर होने वाले खर्चे को कम करके ज़्यादा आमदन ले सकेगा।
- अनुबंध की शर्तों को पूरा करने के बाद, खरीददार किसानों को अच्छी फसल पैदा करने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध करेगा।
- यह कॉन्ट्रैक्ट विशेष रूप से कृषि उत्पादों से संबंधित होगा न कि इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली भूमि के लिए। इसके लिए किसान अपनी ज़मीन के मालिक बने रहेगें और ज़रूरत पड़ने पर वित्तीय संस्थानों से ऋण ले सकते हैं, ऋण सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं।
नुकसान:
- इस नियम के अनुसार ताकत कॉर्पोरेट और व्यापारियों के हाथ होने की संभावना है और वह किसान को अधिक मुनाफे का लालच देकर अपनी बातों में ले सकते हैं जबकि आमतौर पर किसानों के पास मुनाफे वाले सौदे को बंद करने के लिए बातचीत के कौशल बहुत कम हैं।
- जिन किसानों के पास कम ज़मीनें हैं उन किसानों को इस नियम का लाभ नहीं हो सकता, क्योंकि वे प्रायोजकों से वंचित हो जाते हैं।
- विवादों के मामले में कॉर्पोरेट, निर्यात करने वाले और प्रायोजक का एक लाभ होगा।
- यह कानून कॉरपोरेट्स को आज़ादी देता है किसानों को नहीं। चल रहे विरोध के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि इसमें कहीं भी MSP का उल्लेख नहीं है।
3. ज़रूरी चीज़ें (बदलाव) कानून, 2020
लाभ
- यह कानून कृषि क्षेत्र में निजी निवेश का मार्ग खोल देता है जिससे किसानों को बड़े स्तर पर धनराशि दी जाएगी और उत्पादन में भी सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
- यह कानून किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
- सरकार ने प्याज, आलू, अनाज, दालें, तिलहन आदि को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया है और स्टॉक सीमा भी हटा दी गई है।
- इससे कोल्ड स्टोरेज में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा, जिससे श्रृंखला आधुनिकीकरण की तरफ बढ़ेगी।
- स्टॉक सीमा को हटाने के साथ, किसान बुनियादी ढांचे और परिवहन में निवेश करने के लिए एक बड़े बाजार को आकर्षित कर सकते हैं क्योंकि अब सरकार द्वारा लगाए गए कई प्रतिबंधों से किसान को राहत मिल चुकी होगी।
नुकसान:
- अनाज के भंडारण की कोई सीमा नहीं है, बड़ी कंपनियां बहुत अधिक मूल्य ले सकती हैं, जिससे किसानों का शोषण होना संभव है।
- सरकार ने “असाधारण परिस्थितियों” में जो मूल्य की कीमतें लागू की है वह बहुत ज़्यादा है और असल में कभी भी लागू नहीं की जा सकती।
- पंजाब की किसान यूनियन, जो “दिल्ली चलो” मार्च का भी हिस्सा है, केंद्र द्वारा पास किये गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रही है। मार्च का मुख्य उद्देश्य उनकी मांगों के प्रति आवाज उठाना है, जो किसानों के आगे केंद्र के आत्मसमर्पण की मांग कर रहे हैं। सरकार ने दिल्ली-हरियाणा सीमा क्षेत्रों में भारी सुरक्षा बल तैनात किए हैं जो कि विरोध के मुख्य स्थान हैं।
“दिल्ली चलो” मार्च: किसानों की नाराजगी का मुख्य कारण ?
किसान नए तीन कानूनों का पालन करने से इनकार कर रहे हैं। किसानों के अनुसार, मंडी प्रणाली के ख़त्म होने के साथ उन्हें अपनी फसलों की MSP मिलने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही।
उनकी मांग है कि सरकार को MSP लिखित रूप में गारंटी देनी चाहिए, अन्यथा निजी कॉरपोरेट घरानों को दिए जाने वाले हाथों का परिणाम उनके शोषण का नतीजा होगा।
कमिशन के एजेंट, जिन्हें आमतौर पर ‘आहडती’ के रूप में जाना जाता है और किसान बंधन को बनाए रखना चाहते हैं जो दशकों से चला आ रहा है। हर आहडतिया लगभग 300 किसानों के वित्तीय ऋणों की संभाल, उचित मूल्य सुनिश्चित करना और उनकी फसलों की समय पर खरीद सुनिश्चित बनाता है।
किसानों का मानना है कि नए कानून आहडतियों के साथ उनके रिश्तों को तोड़ देंगे और कॉर्पोरेट उनके प्रति इतनी सहानुभूति नहीं रखेंगे और उनकी समस्याओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे।
किसानों की मांगें
- सभी तीन कानून के उल्ट
- मंडी प्रणाली को जारी रखें
- उनके कर्ज माफ किए जाने चाहिए।
MSP को उत्पादन की औसत लागत से 50% अधिक बनाने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए; “निर्धारित MSP का भुगतान ना करना” एक दंडनीय अपराध बनाया जाना चाहिए।
एक कानून बनाया जाना चाहिए जिसके अनुसार बिचौलियों द्वारा फसल का भुगतान सुनिश्चित किया जाये। हमेशा से यह नियम रहा है कि बैंक कर्ज वसूली के नाम पर किसानों के खातों से पैसे की कटौती नहीं करती।
परिणाम
कानूनों ने किसानों के प्रति सरकार में विश्वास पैदा किया है जो कानूनों के सकारात्मक पहलुओं को उजागर कर रहा है जो भारत में कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण में मदद करेंगे। हालांकि, सरकार को ऐसे कानूनों को पास करने से पहले किसानों और राज्यों के विचारों पर चर्चा करनी चाहिए।
इसके अलावा, सरकार को किसानों की भलाई के लिए सबसे पहली बात जिस पर ध्यान देने की ज़्यादा जरूरत है कि APMC मंडियों को मजबूत करना और उनमें कमियों को दूर करना।
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