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पशुओं का कृषि में क्या महत्व है ?

सदियों से मनुष्य किसी न किसी तरीके से पशुओं पर निर्भर है। पुराने समय से ही मनुष्य पशुओं को सीधे या असिधे तरीके से प्रयोग में ला रहे हैं। यदि खेती की बात करें तो पशुओं का इसमें बहुत बड़ा योगदान है जैसे  किसान पुराने समय में खेती के कामों में प्रयोग करता था जैसे बैल की सहायता से खेत की जोताई कर फसल की बिजाई की जाती है और कौए में से पानी निकालने के लिए बैल सहायक होते थे।  वर्तमान समय में भी पशु एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। देश की अर्थ व्यवस्था में 16% लगभग पशुओं का योगदान है । 

कैसी होते हैं पशु खेती में सहायक :

1. यदि छोटी सी मधु मक्खी की बात करें तो यह फसलों में प्रसार के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि यह अपना काम सही तरीके से न करें तो फसल की उपज कई गुणा कम हो जाता है और दूसरी तरफ यह शहद बनाती है । जिसका मनुष्य के द्वारा सेवन किया जाता है। यदि इस धरती से मधु मक्खी आलोप हो जाएं तो  मनुष्य भी इस धरती पर सिर्फ 4 साल तक जीवन व्यतीत कर सकता है । कई किसान फसल की उपज बढ़ाने के लिए मधु मक्खियों के बक्से को फसल में रखते हैं ताकि फसल की उपज बढ़िया निकले ।

2. मुर्गियां भी मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसके लिए मुर्गियों के बीठ को खेती की तैयार के समय डाला जाता है ताकि जो फसल की बिजाई के समय मिट्टी में जरुरी तत्व की मात्रा बढ़ जाए और फसल सही तरीके से बढ़ सके। इसके इलावा मुर्गियों का एक और बहुत महत्वपूर्ण योगदान है खेतों में यदि मुर्गियों को फसल में छोड़ा जाता है तो यह फसल में कीड़े को खा जाती है जिससे किसान का कीटनाशक खरीदने का खर्चा बच जाता है।

3. बकरियों के दूध और मेंगन (लीद) दोनों ही बहुत फायदेमंद होती है। बकरी की मेंगन (लीद) किसान का बहुत खर्चा बचा देती है क्योंकि यदि कोई किसान अपने खेत में मिट्टी बदलता है या नई मिट्टी खेत में डाली जाती है तो नई फसल की बिजाई के समय उसे काफी मुशिकल आती है क्योंकि मिट्टी फसल के लिए तैयार नहीं होती । ऐसे समय में बकरियों की मेंगन  (लीद) रामबाण का काम करती है। यदि बकरी की मेंगन (लीद) का प्रयोग खेत की तैयार से पहले किया जाता है तो नई मिट्टी भी फसल की बढ़िया उपज देती है।

4. यदि भैंस और गाय की बात करें तो इनका जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण योगदान है । इनके मल मूत्र से खाद तैयार की जाती है। इनके गोबर से ही ही वर्मीकम्पोस्ट तैयार की जाती है। इसके इलावा कीटनाशक बनाने में भी इनका मूत्र (पेशाब) प्रयोग किया जाता है। यदि किसान के घर पशु हैं तो उसका खेती में बहुत कम खर्चा होता है क्योंकि वह खाद भी घर में ही तैयार कर सकते हैं और कीटनाशक भी।

गांव में अभी भी एक जगह से दूसरी जगह चारा या ओर अनाज को लेकर जाने के लिए पशुओं की जरुरत पड़ती है।  जिसके साथ उनके यातायात के साधन भी पशु है। खेती विभिन्ता की यदि बात की जाती है तो  किसानों को जरुरत है इसे अपनाने की क्योंकि इसके साथ किसानों को कई फायदे हैं जिसके साथ किसानों को आमदनी भी आती आती है और वह जिस पशु को पालते हैं उसके साथ उसकी खेती में भी सहायता होती है। किसानों की सहायता पशु तो करते हैं पक्षी भी करते हैं जो किसानों की सहायता करते हैं।  खेतों में चिड़ियें भी कीड़े को खाती है और किसानों का नुकसान होने से बचाती है।

अंत में यही कहा जा सकता है कि जो किसान खेती के साथ साथ पशु पालन करते हैं उन्हें दोगुना मुनाफा होता है और खेती में आमदन कम हो जाती है। 

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