फल वाली मक्खी

किस तरह की जा सकती है फल वाली मक्खी की रोकथाम

जब भी बाज़ार या बाग़ से लाये फलों से कीड़े निकलते हैं तो यह एक तरह का भ्रम होता है कि सही दिखने वाले फल में कीड़े किस तरह से पैदा हो गए तो इसका कारण फल वाली मक्खी होती है। फल वाली मक्खी और फल चूसने वाले कीट नींबू जाति के फल के केरे के मुख्य कारण में से एक है। फल वाली मक्खी पंजाब में नींबू जाति के फल पर फल की मक्खी की दो जातियां बैक्ट्रोसैरा डार्सलिस और बैक्ट्रोसैरा ज़ोनाटा का हमला देखा गया है।

मादा जवान मक्खी अपने अंडे देने वाली सुई वर्गे तीखे भाग के साथ रंग बदल रहे फल में छेद करके ऊपरी सतह के नीचे अंडे देती है। नर मक्खी कोई नुक्सान नहीं करती। छेद किये गए फल में ओवीपॉजिटर करके गहरे बन जाती है और इनका रंग गहरा हरा दिखाई देता है। धीर धीरे फल में हुए छेद के आस पास का खराब भाग फैलने लग जाता है और पीला हो जाता है। सफेद पीले रंग वाली सुंडियां अंडे से निकल कर फल के गुद्दे  में चली जाती है और उसे अंदर से खाना शुरू कर देती है। यदि हमले वाले फलों को काट कर देखा जाए तो उनमें बहुत सी सुंडी बिना टांगो के दिखाई देती है, हमले वाले फल पर मक्खी के प्रकोप के कारण छेद हो जाते हैं जिसके कारण फल पर जीवाणु और उल्ली का हमला हो जाता है। इस तरह से फल गल जाते हैं और धीरे धीरे नीचे गिर जाते हैं और खाने योग्य नहीं होते।

बारिश के मौसम में इसका हमला बहुत गंभीर होता है, नुकसान वाल को दबाने से रस बाहर निकलता है। किन्नू के फल के इलावा इन मक्खियों का हमला ग्रेप्फ्रूईट, मौसमी और नींबू पर भी देखा गया। नीबू जाति के फल के इलावा इन मक्खियों का हमला अमरुद, आड़ू, नाशपाती, आम, अलूचा, लुकाठ, अंगूर, चीकू और ओर फलों पर भी देखा गया है। नीम पहाड़ी क्षेत्रों में लगे बागों में हमला केन्द्री ज़िले और शुष्क सेंजू ज़िले के मुकाबले अधिक होता है। यदि किन्नू के बाग के नजदीक अमरुद, नाशपाती, आड़ू, अलूचा और आम के बाग़ हों तो वहां फल की मक्खी का गंभीर हमला होता है। नींबू जाति के बाग़ में हमले का मुख्य समय आमतौर पर अगस्त से अक्तूबर तक होता है।

फल वाली मक्खियों की रोकथाम: इन मक्खियों की रोकथाम मुश्किल है क्योंकि यह बहुत से फलदार पौधे पर हमला करती है, एक साल में इनकी कई पीडियां पैदा हो जाती है, बालग मक्खियां लंबी उड़ान मारने की समर्था रखती है और मक्खियां तीन महीने से अधिक जीवित रहती हैं। इसके इलावा एक मादा मक्खी अपने जीवन काल में 1000 से अधिक अंडे दे देती है। इसके अंडे और सुंडियां फल में होती है, सुंडियां फल में पूरी तरह से विकसित होने के बाद मिट्टी में चली जाती है जहां जाकर यह पिऊपा बन जाती है और मक्खियां बन कर निकलती है।

बाग़ की साफ सफाई: फल वाली मक्खी की रोकथाम के लिए बाग़ की साफ सफाई और प्रभावित फलों को दबा कर नष्ट करना या जला देना बहुत फायदेमंद है। प्रभावित सभी फलों को नष्ट कर देना चाहिए। सुंडी वाली फल जोकि पौधे के नीचे ज़मीन पर गिरे होते हैं मक्खी की संख्या बढ़ाने में सहायक होते है।  इसलिए इन सुंडी वाले फल को नष्ट करना जरुरी है इस तरह करने से सीजन के आखिर में मक्की की संख्या बहुत कम हो जाती है। इस मक्खी की रोकथाम करने के लिए ज़मीन पर गिरे फल को नष्ट करना बहुत जरुरी है। नुक्सान फलों को 60cm गहरा गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए।

गड्ढे को मिट्टी के साथ अच्छे से बंद कर देना चाहिए और बहुत अधिक समय के लिए गड्ढे ढके रहने देने चाहिए। इस तरह करने से मक्खी की अलग अगल अवस्था मिट्टी से बाहर नहीं निकल सकती। बागों में इस तरह करना बहुत जरुरी है नहीं तो गिरे हुए फलों की सुगंध फल वाली मक्खियां दूर से ही फलों की तरह चली जाती है जिससे हमला गंभीर होने की संभावना रहती है। बागबान करने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि फलों की तुड़ाई के बाद बचे हुए छोटे फल को भी तोड़ कर नष्ट कर दें। इस तरह करने से मक्खियों की संख्या बे मौसम फलों पर नहीं पलती।

फल वाली मक्खियों की वातावरण सहाई रोकथाम के लिए अगस्त के दूसरे हफ्ते फ्रूट फ्लाई ट्रैप (16 ट्रैप प्रति एकड़ के हिसाब से लगाएं। जरुरत पड़ने पर 30 दिनों के बाद फिर से ट्रैप लगाएं।

इसमें आपने जाना कि फल वाली मक्खी की रोकथाम किस तरह की जा सकती है इसके इलावा यदि आप माहिरों से किसी ओर चीज के बारे में जानकारी लेना चाहते है तो आप डाउनलोड करें अपनी खेती एप

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