पानी किसी भी फसल के विकास और उसके उत्पाद में बहुत महत्त्व रखता है और यदि खेत में पानी खारा या शोरे वाला है तो यह फसल के विकास के साथ साथ यह उपज को भी कम कर सकता है। इसके लिए किसी फसल की बिजाई के समय बीज का चुनाव करने के साथ साथ पानी की जांच और उसके सुधार की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। जिसका सबसे पहला काम पानी का टेस्ट करवाना है जिसके लिए आप इसका नमूना निम्नलिखित तरीके के साथ ले सकते हैं।
- सबसे पहले ट्यूबवेल 15 मिनट के लिए चलाएं।
- एक साफ बोतल लेकर उसे 3 से 4 बार पानी के साथ साफ कर लें, (बोतल को कभी भी साबुन या सोढे के साथ नहीं धोना चाहिए) इसे ट्यूबवेल के पानी के साथ भर लें।
आप ऊपर दी गई मिट्टी और पानी का परीक्षण प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दें
- मालिक का नाम और पूरा पता (गांव, डाकखाना, ब्लाक और ज़िला)
- मिट्टी की किस्म जिसके लिए पानी का प्रयोग करना है।
- पानी में किसी भी नुक्स को यदि आप जानते हैं तो लिख कर भेज दें।
- बोर करने के समय भी पानी का नमूना भरा जा सकता है।
जब पानी कम हो जाए तो पानी को किसी बाल्टी में भर लें और जल निकासी के बाद सैंपल को बोतल में भर लें।
पंजाब के लगभग 40 प्रतिशत रकबे में ट्यूबवेल द्वारा प्राप्त किए जमीनी पानी में नमक की मात्रा बहुत होती है। इस तरह का पानी (सोडियम के क्लोराइड या सल्फेट वाले) या खारे (सोडियम के कार्बोनेट या बाईकार्बोनेट वाले) होते हैं। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि ट्यूबवेल के पानी की जांच करने वाली प्रयोगशाला से करवाई जाए ताकि यह पता लग सके कि इसमें कौन सी और कितनी खराबी है, इस पानी को सिंचाई योग्य कैसे बनाया जा सकता है।
यकीनी जल निकासी
सिंचाई के लिए खराब पानी वाले इलाके में जमीन में से जड़ क्षेत्र में अधिक घुलनशील नमक का घुल जाना और नीचे जाना यकीनी बनाना कि इस भाग में नमक और पानी का संतुलन ठीक रह सके। इस काम के लिए जमीन के ऊपर निकास नाली जमीन में नीचे निकास नाली बनाने से सस्ती पड़ती है।
जमीन को समतल करना
पूरे खेत में पानी की मात्रा को एक सार करने के लिए जमीन को समतल होना चाहिए। समतल जमीन में घुलनशील नमक और पानी समान रूप से जमीन सोख लेती है।
हलकी जमीनों में खराब पानी का प्रयोग करें
भारी जमीन में पानी जमाव की दर कम होती है, और पानी सतह पर अधिक समय खड़ा रहने से वाष्पीकरण के बाद नमकीन पानी/खारापण तेज़ी से बनता है, इसके लिए खराब पानी का प्रयोग को हल्की जमीन में महत्ता देनी चाहिए।
फसल का सही चुनाव
खराब पानी के साथ सिंचाई के अधीन रकबे में ऐसी फसलों और किस्मों को ही पहल दें जो नमक सहनशील या अर्ध सहनशील हो जैसे जौ, गेहूं, सरसों, ग्वार, सेंजी, पालक, शलगम, चकुंदर, राई,, और मोटे अनाज । खराब पानी कपास के उगने के समय असर करता है पर अच्छे पानी के साथ रौणी करके फसल अच्छी होती है। दाल पर खारे और नमकीन पानी का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके लिए दाल को खारा पानी न दें। ज्यादा पानी वाली फसलें जैसे धान, कमाद और बरसीम को खारे पानी के साथ सिंचाई न करें।
जिप्सम का प्रयोग
जमीन में अधिक सोडियम के बुरे प्रभाव को जिप्सम द्वारा दूर किया जा सकता है। जब सिंचाई वाले पानी की RSC 2.5 ME प्रति लीटर से ऊपर हो तो जिप्सम के प्रयोग की सिफारिश की जाती है। RSC की हर ME प्रति लीटर के पीछे 1.50 क्विंटल जिप्सम प्रति एकड़ चार सिंचाई पर बनता है। यदि हर सिंचाई 7.5 cm हो तो पूरा जिप्सम पहले पानी के साथ दें। जिप्सम को जमीन की ऊपरी सतह (0-10 cm) में मिलाकर पानी लगाएं ताकि अगली फसल की बिजाई से पहले घुलनशील नमक जमीन में रिस जाए।
जीवक खाद का प्रयोग
चूने या पत्थरीली जमीन जिनमे कैल्शियम कार्बोनेट 2 प्रतिशत से अधिक हो, में जैविक खाद जैसे देसी रूडी 8 टन प्रति एकड़ या हरी खाद या गेहूं का नाड 2.5 टन प्रति एकड़ हर साल डालें।
खारा और अच्छा पानी इक्क्ठा लगाएं: खराब और अच्छा पानी एक साथ भी प्रयोग किया जा सकता है या दोनों बदल कर प्रयोग किए जा सकते हैं। फसल की शुरुआत में अच्छा पानी और बाद में फसल के विकास के समय खराब पानी का प्रयोग भी लाभदायक है।
गांव के छप्पड़ के पानी से सिंचाई
छप्पड़ के पानी में भी फसल के लिए खराकी तत्व होते हैं इसलिए यह पानी का प्रयोग करने से पहले मिट्टी और पानी की जांच प्रयोगशाला से परीक्षण करवा लेनी चाहिए और सिफारिश अनुसार सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए।
ऊपर दिए तरीके के साथ आपने जाना कि खारे या नमकीनी पानी को सिंचाई के लिए किस तरह से प्रयोग किया जा सकता है पर इसके इलावा यदि आप माहिरों से कोई ओर जानकारी लेना चाहते हैं तो आप डाउनलोड करें अपनी खेती एप।
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