कीटनाशक

जैविक कीटनाशक कैसे किये जाते हैं तैयार

खेती लागत में हो रही वृद्धि के कारण किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है जिसमें सबसे ज़्यादा किसानों का खर्च कीटनाशक और नदीन नाशक पर होता है। यदि किसान इनका प्रयोग कम करके जैविक खेती की तरफ बढ़े तो किसान अपना खर्च बचा सकते हैं। किसानों के घर में मौजूद गोबर, पशु मूतर, खट्टी लस्सी और कई तरह के पौधों के रस से घोल तैयार किये जा सकते हैं जिससे कीड़ों की रोकथाम की जा सकती है। जैसे अब धान की फसल आ रही है तो फसल में अलग-अलग तरह के कीड़ों का हमला होता है। जिसकी रोकथाम के लिए नीचे दिए तरीके अपना सकते हैं:-

तना छेदक की रोकथाम:- फसल में तना छेदक सुंडी की रोकथाम के लिए 10 लीटर पानी में हरी मिर्च, तंबाकू, प्याज़ और हींग का मिश्रण तैयार करें। इसमें 50ml खट्टी लस्सी मिलाकर प्रति पंप 1.5 लीटर इस घोल का छिड़काव करें। इससे सुंडी की रोकथाम हो जाती है। खेत में देसी अक के पत्तों का कुतरा डालने से भी सुंडी की रोकथाम होती है।

सीताफल के पत्तों का घोल:- सीताफल के 2 किलो पत्तों को 10 लीटर पानी में आधे घंटे तक उबालें। उबालते समय लगातार हिलाते रहें। ठंडा होने पर इस घोल को कपडे से छानकर इसमें 200 ग्राम रीठा पाउडर मिला दें। अब इस घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ फसल पर शाम के समय छिड़काव करें। यह हर फसल में रस चूसने वाले कीड़ों की रोकथाम करती है। फसल पर कीटों के हमले के अनुसार 2-3 बार छिड़काव करें।

हल्दी का घोल:- एक किलो हल्दी को पीसकर इसे 4 लीटर गाय मूतर में घोल दें। इस मिश्रण को कपडे से छानकर इसमें 200 ग्राम रीठा पाउडर मिलाकर 100 लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें। यह तेला, चेपा, तंबाकू सुंडी और तना छेदक की रोकथाम करती है। ज़रूरत अनुसार हर फसल पर इसके 2-3 छिड़काव किये जा सकते हैं।

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