किसानों के घर में गाय मूतर और गोबर आम ही होता है जिसका प्रयोग वह कीटनाशक बनाने में कर सकते हैं और इसका रिजल्ट भी बढ़िया मिलता है। इसके अलावा कई पौधे भी घर में उगाये होते हैं जिसका इस्तेमाल भी कीटनाशक बनाने में किया जा सकता है। कीटनाशक बनाने के तरीके:-
नीम के पत्तों का घोल:- इसका प्रयोग रस चूसने वाले कीड़ों की रोकथाम के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह उनके अंडों को भी नष्ट कर देता है।
घोल बनाने के लिए सामग्री:- नीम के पत्तों या निमोलियों को पीसकर तीन लीटर पशु मूतर में 2-3 दिन तक घोलकर रखें। 3 दिनों के बाद इसे पतले कपडे की मदद से छान लें और इसमें 250 ग्राम रीठा पाउडर मिलाएं और यह घोल तैयार है। इसका घोल आधा लीटर प्रति पंप में डालकर छिड़काव करें। यह समस्या खत्म हो जाती है।
सुंडी का हमला रोकने के लिए:- फसलों पर सुंडी का हमला एक आम समस्या है इसकी रोकथाम के लिए आप पशु मूतर (10 लीटर), नीम के पत्ते (2 किलो), कनेर के पत्ते (2 किलो), अरिंड के पत्ते (2 किलो) और अमरुद के पत्ते (2 किलो) से बने घोल की स्प्रे कर सकते हैं।
बनाने की विधि:- सभी तरह के पत्तों की चटनी बनाकर 10 लीटर पशु मूतर में मिलाएं। अब इस घोल को लोहे या पित्तल के बर्तन में डालकर 4 उबाले देकर ठंडा कर लें। ठंडा होने पर मिश्रण को कपडे से छान लें और साफ़ बर्तन में रखकर भर लें। इसे आप 6 महीनों तक प्रयोग कर सकते हैं। हर फसल पर प्रति पंप 1 से डेढ़ लीटर इस घोल का प्रयोग करें। पत्ते खाने वाली सुंडियों की रोकथाम हो जाएगी।
तना छेदक, टिंडे और फल की सुंडी की रोकथाम:- इस घोल को बनाने के लिए पशु मूतर देसी गाय या भैंस (10 लीटर), नीम की निमोलियाँ (3 किलो) और हरी मिर्च (2 किलो) आदि।
घोल बनाने की विधि:- उपरोक्त दी गई वस्तुओं को लोहे या पित्तल के बर्तन में डालकर 4 उबाले दें। ठंडा होने पर इसे कपडे से छान लें। घोल तैयार है और फसल पर कीट के हमले के अनुसार आधा लीटर प्रति पंप के हिसाब से प्रयोग करें।
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