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कुत्तों को भी गर्मियों में ठंडा वातावरण देना है बहुत जरूरी — वैटनरी माहिर

गर्मियों का मौसम कुत्ते और उसके पालक के लिए इक्ट्ठे बाहर समय बिताने या व्यायाम करने के लिए बड़ा अनुकूल है पर यहां इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि ज्यादा गर्मी में कुत्ते के तापमान को संतुलित रखने की जरूरत पड़ती है। यह विचार डॉ. चरनजीत सिंह रंधावा, मुखी, वैटनरी, मैडीसन विभाग, गुरू अंगद देव वैटनरी और एनीमल साइंसज़ यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने गर्मी के बढ़ते प्रभाव में कुत्तों को सेहतमंद रखने के लिए शेयर किए। उन्होंने कहा कि इस मौसम में गर्मी का दौरा पड़ना या पानी की कमी हो सकती है। कई बार हम कुत्तों को गर्म मौसम में कार में छोड़ जाते हैं। कार का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है और भट्ठी की तरह हो जाता है। इसलिए कुत्ते को कभी भी बंद कार या थोड़े खुले शीशों वाली कार में भी नहीं छोड़ना चाहिए।

कुत्ते का शारीरिक तापमान 100.5 डिग्री से 102.5 फार्नाहीट तक रहता है। इससे अधिक तापमान गर्मी के दौरे में परिवर्तित हो जाता है। कुत्तों को मनुष्यों की तरह पसीना नहीं आता इसलिए वे अपना तापमान स्थिर रखने के लिए हांफना शुरू कर देते हैं। जब कुत्ता अधिक मुंह खोलकर और तेज सांस से क्रिया कर रहा हो तो मालिक को समझ लेना चाहिए कि उसे ठंडा करने की या पानी देने की जरूरत है। ज्यादा बुखार होने की स्थिति में कुत्ते के अंगों को पक्के तौर पर नुकसान हो सकता है और मृत्यू भी हो सकती है। गंभीर स्थिति होने से पहले वैटनरी डॉक्टर का मशवरा लेना ज़रूरी बन जाता है।

डॉ. रंधावा ने सुझाव दिया कि कार में कभी भी कुत्ते को ना छोड़ें। बहुत भाग दौड़ वाली व्यायाम ज्यादा गर्मी में ना करवायी जाए। कोशिश की जाए कि छांव में वृक्ष के नीचे रहा जाए। ठंडा ताजा पानी हर समय कुत्ते के पास होना चाहिए गर्मी का दौरा पड़ने पर उसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि कुत्ता आनंद महसूस करता हो तो किसी टब में पानी भरकर उसमें भी छ़ोड़ा जा सकता है।

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मालिक कोशिश करें कि उनका कुत्ता उनकी नज़र के सामने ही रहे। ऐसे गर्मियों में हम अपने कुत्ते को खुशी और आनंद वाला माहौल दे सकते हैं।

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