कैसे की जाती है कंटोला की खेती

कंटोला सदियों से भारत में उगाई जाने वाली प्रसिद्ध और पोषण सब्जियों में से एक है।कंटोला गर्म और कम सर्द मौसम की फसल है। इस सब्जी की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए 27 से 32 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त है।यह सब्जी बिजाई के 70 से 80 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है

मिट्टी: कंटोला को रेतीली दोमट और चीकनी भूमि पर 5.5 से 7.0 की ph में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए मिट्टी अच्छी तरह से जल निकासी और अच्छे कार्बनिक पदार्थों के साथ सर्वोत्तम हो।

जलवायु: कंटोला गर्म और कम सर्द मौसम की फसल है। इस सब्जी की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है। इस फसल को बेहतर विकास और उपज के लिए अच्छी धूप की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए 27 से 32 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त है।

किस्में: Indira kankoda i (RMF 37) एक नई व्यावसायिक किस्म है, जिसे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है।इस हाइब्रिड किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, ओडीसा, छत्तीसगढ़ और झारखंड और महाराष्ट्र में की जा सकती है। यह बेहतर किस्म सभी प्रमुख कीटों और कीड़ों के लिए प्रतिरोधी है। यह कटाई के लिए 35 से 40 दिन में तैयार हो जाती है। यदि इसके बीजों को ट्यूबर्स में उगाते हैं तो यह 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसतन उपज पहले साल 4 क्विंटल/एकड़ है, दुसरे साल 6 क्विंटल/ एकड़ और तीसरे साल 8क्विंटल/एकड़ होती है।

ज़मीन की तैयारी: ट्रैक्टर या हल द्वारा भूमि को समतल और अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए। मिट्टी को बारीक करने के लिए 3 बार हल से जोताई करें। अंतिम बार हल से जोताई करते समय मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए 15 से 20 टन खाद डालें।

बिजाई और फासला: तैयार बेड्ड में 2 सेंटीमीटर की गहराई में 2 से 3 बीज बोएं, मेड़ से मेड़ का फासला लगभग 2 मीटर या पौधे से पौधे का फासला लगभग 70 से 80 सेंटीमीटर होना चाहिए।

सिंचाई: खेत में बेड्ड पर बीज बोने के तुरंत बाद सिंचाई करें। इसके बाद बीज के आधार पर ही सिंचाई करें। बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है और मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है। शुष्क मौसम की स्थिति में 1 या 2 सिंचाई सप्ताह के अंतराल पर करें।

कटाई: यह सब्जी बिजाई के 70 से 80 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह दूसरे वर्ष में 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाती है|

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