रबी की फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए फसल की बिजाई करने से पहले बीज का उपचार करना बहुत ज़रुरी है। अगर किसान बीज का उपचार कर फसल की बिजाई करेंगे तो फसल कई तरह की बीमारियों और कीड़े–मकौड़ों से बच जाती है, जिसके कारण फसल की उपज बढ़िया होती है। दीमक और बीज से लगने वाली बिमारियों की रोकथाम केवल बीज का उपचार करके ही की जा सकती है। खेतीबाड़ी माहिरों का कहना है कि फसल की बिजाई करने से पहले उल्लीनाशक और कीटनाशक दवाइयों के साथ उपचार करना उतना ही ज़रुरी होता है जितना किसी छोटे बच्चे को बिमारियों से बचाने के लिए पोलियो की बूंदे पिलाना ज़रुरी है।
गेहूं रबी की मुख्य फसल है। गेहूं की कांगियारी, पत्तों की कांगियारी और दाने के छिलके की काली नोक आदि कुछ ऐसी बीमारियां है, जिसकी रोकथाम सिर्फ फसल की बिजाई से पहले बीज को उल्लीनाशक रसायनों के साथ उपचार करके ही की जा सकती है। यदि खेतों में दीमक की समस्या है तो सबसे पहले 160 मि.ली. क्लोरोपाइरीफोस 20 इ.सी या 240 मि.ली. फिप्रोलिन 5% एस.सी को एक लीटर पानी में घोल कर 40 किलो बीज को पक्के फर्श, तरपाल या प्लास्टिक की शीट पर पहली सतह बिछा कर छिड़काव कर सुखा लें।सूखाने के बाद गेहूं के सभी किस्मों के बीजों (WHD 943, PDW 291, PDW 233, और TL 2908 को छोड़ कर) को रेक्सल इ जी / ऑरियस 6 FS (टेबुकोनाज़ोल) 13 मि.ली. प्रति 40 किलो बीज (13 मि.ली. दवाई को 400 मि.ली. पानी में घोल कर 40 किलो बीज को लगाएं) या विटावेक्स पावर 75 WS (करबोक्सन+टेट्रामेथाइल थाईयुरम डाइसल्फाइड) 120 ग्राम या विटावेक्स पावर 75 WS (कार्बोक्सिन) 80 ग्राम या सीडेक्स 2 DS/एक्सज़ोल 2 DS (टेबुकोनाज़ोल) 40 ग्राम प्रति 40 किलो बीज के हिसाब से उपचार कर लें।
बीज को जीवाणु खाद का टीका लगवाना – आधा किलो कंसोर्शियम जीवाणु खाद को एक लीटर पानी में घोल कर गेहूं के 40 किलो बीज के साथ अच्छी तरह मिला दें।उपचार किये बीज को पक्के फर्श पर बिछा कर सूखा लें और जल्दी बिजाई कर लें। बीज को यह टीका लगाने से प्रति एकड़ उपज बढ़ती है । कंसोर्शियम का यह टीका पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना के माइक्रोबायोलॉजी विभाग/कृषि विज्ञान केंद्र/ किसान सलाहकार और सेवा केंद्र से मिल सकता है।
सर्दी की मक्की – सर्दी में बिजाई करने वाली मक्की में बीज का सड़ना और पुंगार का झुलस रोग ऐसे रोग हैं जिसकी रोकथाम बीज का उपचार करके की जा सकती है । इस मकसद के लिए मक्की की बिजाई से पहले बीज को बाविस्टिन या डेरोसिल या एग्रोजिम 50 WP (कार्बेन्डाजिम) तीन ग्राम प्रति किलो के हिसाब से बीज का उपचार कर लेना चाहिए।
चने – रबी की दालों वाली फसलों में से चने की मुख्य फसल है, जिसे कुछ ऐसे कीड़े और बीमारियां जैसे भूरी कुंगी, झुलस रोग और दीमक नुकसान पहुंचाता है, जिसकी रोकथाम करने के लिए बिजाई से पहले उपचार करना बहुत जरुरी है।
बीज को जीवाणु खाद का टीका लगाना – 15-18 किलो बीज को पानी के साथ गीला करके फर्श पर पतला पतला बिछा लें। मिजो राइजोबियम (LGR 33) और राइज़ोबैक्टीरिया (RB 1) जीवाणु खाद के एक–एक पैकेट को मिलाकर एक एकड़ के लिए आवश्यक बीज के साथ अच्छी तरह मिला लें।बीज को छांव में सुखा कर एक घंटे के अंदर–अंदर बीज लगाएं। कीटनाशक, उल्लीनाशक और जीवाणु खाद को इकठे भी प्रयोग किया जा सकता है।
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