मनुष्य की खुराक में सब्जियों और फलों का बहुत महत्व है। फल और सब्जियों में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को पोषण प्रदान करके, हमारी स्वस्थ्य की मियार को ऊचा उठाने में मदद करते हैं। हर मनुष्य मौसम के अनुसार, इन फलों और सब्जियों का प्रयोग अपनी खुराक में करता है। कुछ फलों में पौष्टिक तत्वों की भरपूर मात्रा होने के बाद कम प्रयोग किया जाता है, जिसका मुख्य कारण इन फलों के पोषक गुणों के संबंधी जानकारी की कमी होना है। बेल भी इन फलों में से एक है जिसके तत्वों के बारे में लोगों को जागरूक होने की ज़रूरत है। बेल एक गुणकारी फल है। बेल फल में बहुत से क्रियाशील और बायोएक्टिव मिश्रण होते हैं। बेल में विटामिन, खनिज, सूक्ष्म तत्व, ऊर्जा और रसायन पदार्थ शामिल होते हैं जिनसे सेहत को बहुत लाभ मिलते हैं।
बेल में पाए जाने वाले मुख्य पोषक तत्व:
बेल का पौधा हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसके सभी हिस्से जैसे कि तना, जड़, पत्ते, फल आदि को पुराने समय से दवाई के तौरपर प्रयोग किया जाता है। बेल फल बाहर से सख्त और अंदर से घना, रेशेदार और गुद्देदार होता है। कुछ बेल फल इतने सख्त होते हैं कि इसे दात/टोके से काटना पड़ता है। आयुर्वेदिक औषधीय के ज़रिये बेल फल की तसीर ठंडी मानी गई है, जो पेट की गर्मी को शांत करती है। इसमें रेशे की मात्रा ज़्यादा होने से, यह पेट को साफ करता है। कब्ज़ ठीक करने में सहायक है और पेट की बिमारियों को ठीक करता है। बेल का प्रयोग आम तौरपर पके फल के तौरपर किया जाता है। बीज और गूंद की मात्रा ज़्यादा होने से इस फल की मात्रा कम होती है। बेल के प्रयोग करने के तरीके इस लेख में दिए गए हैं। हर व्यक्ति बेल को अपनी रोज़ाना की ज़िंदगी में इस्तेमाल करके सेहत संबंधी लाभ ले सकता है।
बेल से मूल्य वर्धक पदार्थ बनाना:
किसी भोजन पदार्थ के रंग, रूप, अकार या दिख को बदलने के साथ-साथ, उसे बीच के किसी भाग को, उस पदार्थ से अलग कर दें या उस पदार्थ में और भोजन पदार्थ या सामग्री मिलाने की प्रिक्रिया को मूल्य वर्धकता कहा जाता है। हम मूल्य वर्धक तकनीकें अपनाकर, बेल से नीचे दिए पदार्थ बना सकते हैं:
1. बेल का जैम
विधि:
- पके बेल के फल लें।
- धोनें और छीलने के बाद बेल का गुद्दा निकाल लें और इसे पहले मोटी छाननी के साथ छान लें।
- स्टील की कड़ाही में डालकर 15 मिनट के लिए गाढ़ा होने तक पकाएं।
- गाढ़ा होने बाद इसमें चीनी और नमक डालें।
- बेल का गुद्दा हल्का गर्म होने के उपरांत इसमें सिट्रिक एसिड मिलाएं।
- जैम तैयार होने पर इसे गर्म-गर्म कांच की साफ़ कीटाणु रहित बोतलों में भरें।
- अब ठंडा करके ढक्क्न लगाकर फ्रिज में रखें।
2. बेल स्कवैश
विधि:
- पके बेल के फल लें।
- धोनें और छीलने के बाद बेल का गुद्दा निकाल लें और इसे पहले मोटी छाननी के साथ छान लें।
- चीनी और पानी को मिलाकर चाशनी बना लें।
- चाशनी ठंडी होने पर इसमें बेल का गुद्दा मिलाएं।
- इस मिश्रण में सिट्रिक एसिड और पोटाशियम मैटा-बाईसल्फेट (फिटकरी/फटकरी) डालकर अच्छी तरह मिला लें।
- इसे गर्म-गर्म ही कांच की साफ़ कीटाणु रहित बोतलों में भरें।
3. बेल पाउडर
विधि:
- पके बेल के फल लें।
- धोनें और छीलने के बाद बेल का गुद्दा निकाल लें।
- सोडियम कार्बोनेट (2 ग्राम प्रति किलोग्राम बेल के गुद्दे के हिसाब से) बेल के गुद्दे में अच्छी तरह मिलाएं।
- बेल के गुद्दे को ट्रे में डालकर बिखेर लें और धूप में सूखा लें।
- सूख जाने के बाद रगड़ लें।
- छानकर पाउडर को पैकेट में बंद कर दें।
4. बेल कुकीज़/बिस्कुट
विधि:
- आटा/मैदा और बेकिंग पाउडर छान लें।
- इसके बाद बूरा चीनी और मक्खन को एक साथ फैंट लें।
- अब इसमें छाना हुआ आटा/मैदा मिलाते हुए, धीरे-धीरे इसमें बेल पाउडर मिलाएं।
- इसमें दूध मिलाकर इसे गूंध लें और 1/4 इंच मोटाई वाली रोटी बना लीजिये।
- बिस्कुट कटर के साथ अलग-अलग आकार की कुकीज़ को ट्रे में रखें।
- ट्रे में तेल या घी की पतली सी परत लगाकर इन कुकीज़ को ट्रे में रखें।
- ओवन को प्री-हीट करके, कुकीज़ को 170 डिग्री सेंटीग्रेड पर 15 मिनट तक बेक करें।
- 15 मिनट के बाद निकालकर ठंडा करके परोसें।
5. बेल की पंजीरी
विधि:
- बेल पाउडर, आटा और सूखे मेवों को भुन लें ।
- अब सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला दें।
- पंजीरी तैयार है।
उपरोक्त तकनीकों में मुहारत हासिल होने पर इस कार्य को रोज़गार से साधन के तौरपर अपनाना, किसानों और गृहिणियों के लिए फायदेमंद होगा। उम्मीद करते हैं कि बेल से सम्बंधित यह मूल्य वर्धक तकनीकें, तालाबंदी की स्तिथियों में आपके समय का सही प्रयोग करने में सहायक साबित होगा।
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