सोयाबीन को गोल्डन बीन भी कहा जाता है, जोकि फलीदार प्रजाति से संबंध रखती है। यह प्रोटीन के साथ साथ रेशे का भी अच्छा स्रोत है।
किसानों को सोयाबीन की खेती की जानकारी होना बहुत अनवार्य है क्योंकि यह आमदन का बढ़िया स्रोत है। आएं जानें सोयाबीन की खेती कब की जाती है और कौन-सी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
भूमि: इस फसल को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन अच्छी जल निकासी, नमक और खार रहित उपजाऊ मिट्टी इसकी खेती के लिए बहुत अच्छी होती है।
फसल चक्क्र: सोयाबीन-गेहूं/जौ, सोयाबीन गोभी सरसों (पनीरी द्वारा)
उन्नत किस्में:
- SL 958
- SL 744
- SL 525
खेती के तरीके:
जमीन की तैयारी
जमीन को दो बार जुताई करके और पीछे हर बार सुहागा मार कर तैयार करें। खेत में मिट्टी की गांठ न रहने दें। खेत समतल हो ताकि बीज का अंकुरित अच्छे से हो।
बीज की मात्रा
25-30 किलो बीज प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।
बीज को टीका लगाना
एक एकड़ के बीज को कम से कम पानी में भिगो कर इसमें ब्रेडराइजोबियम (LSBR 3) के एक पैकेट को अच्छी तरह मिलाएं और इसे छांव में सूखा कर जल्दी बिजाई कर दें। इस टीके के प्रयोग के साथ 4 से 8% अधिक उपज ली जा सकती है।
बीज को रोग रहित करना
बीज का रसायनों द्वारा उपचार करने से जमीन में बीमारियां नहीं लगती। बीज उपचार बिजाई से पहले किसी भी समय किया जा सकता है। एक किलो बीज के लिए 3gm कैप्टान या थीरम दवा का प्रयोग करें। जब सोयाबीन पहली बार खेत में बोना हो तो बीज को टीका लगाना चाहिए।
बिजाई का समय और तरीका
फसल को अच्छी तरह बोएं। अगर बारिश नहीं होती है, तो पहले रौणी कर लें। बुवाई के बाद बारिश होना फसल की वृद्धि पर प्रभाव डालती है। जून के पहले पखवाड़े में बुवाई करें। बीजों को 2.5 से 5cm गहरा बोएं और पौधों और पंक्तियों के बीच की दूरी लगभग 4-5cm और 45cm रखें।
बिना निराई के बुवाई
सोयाबीन को बिना जुताई के जीरो टिल ड्रिल के साथ या बिना निराई की गेहूं के बाद बिजाई की जा सकती है। जिन खेत में नदीन अधिक हों वहां आधा लीटर ग्रामेक्सोन 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से बिजाई से पहले उनकी रोकथाम कर सकते हैं।
मेंढ़ पर सोयाबीन की बिजाई
मध्यम और भारी मिट्टी पर सोयाबीन की बुवाई गेहूँ के लिए प्रयोग किये गए बेड प्लांटर के साथ 67.5cm फासले पर तैयार किए बैड (37.5cm बैड और 30cm खाली) पर की जा सकती है। सोयाबीन की दो कतारें प्रति बेड पर बोयें। बाकि काश्तकारी तरीके, बीज, खाद आधी की मात्रा पहली की गई सिफारिश मुताबिक प्रयोग करें। सिंचाई खाली द्वारा ही की जाए ताकि अपनी मेंढ़ पर न हों।
ऐसा करने के साथ फसल को खास तौर पर उगने के समय न सिर्फ बारिश से बचाया जा सकता है बल्कि समतल बिजाई के मुकाबले अधिक उपज प्राप्त होती है और 20 से 30 प्रतिशत पानी की बचत भी होती है। फसल के सही समाव के लिए बिजाई के समय पूरा पानी सूखना जरुरी है और ऐसा न होने की स्थिति में बिजाई के 2 से 3 दिन बाद ख़ालियों में पानी लगा देना चाहिए।
मिश्रित फसलों की बिजाई
सोयाबीन को बड़ी सफलता के साथ मक्की में उगाया जा सकता है। सोयाबीन की एक एक लाइन 60cm के फासले पर बोई गई मक्की की लाइनों में बिजाई करें।
नमी की संभाल
लाइनों को गेहूं के नाड या धान की पराली के साथ ढक दें ताकि नमी बनी रहे जिससे बीज अच्छी तरह से उग सके और पौधे ठीक उगें।
नदीनों की रोकथाम
घास की रोकथाम के लिए दो गुड़ाई, बिजाई के 20 से 40 दिन बाद करें। stop 30EC (पेन्डीमेथलीन) 600ml प्रति एकड़ सोयाबीन की बिजाई के 1 से 2 दिन के अंदर स्प्रे करके भी नदीनों की रोकथाम की जा सकती है। बताई गई दवा की मिक़्दार को 150 से 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में घोल कर स्प्रे करें। यह दवा घास और चौड़े पत्ते वाले नदीन को मारती है। यदि दवा की स्प्रे के बाद भी कुछ नदीन न मरे तो 40 दिनों के बाद एकड़ गुड़ाई कर दें। इसके बदले घास, चौड़ी पत्ती और मोथे की रोकथाम के लिए बिजाई के 15 से 20 दिनों के बाद प्रिमेज 10 SL (इमेजेथापायर) 300ml प्रति एकड़ का छिड़काव करना चाहिए।
सिंचाई
यदि वर्षा अच्छी और सही समय पर हों तो पानी की जरुरत नहीं होती। आमतौर पर फसल को 3 से 4 पानी चाहिए होते हैं। एक पानी फलियों में दाने पड़ने के समय देना बहुत जरुरी है।
खाद
सोयाबीन से अधिक उपज लेने के लिए बिजाई से पहले 4 टन प्रति एकड़ के हिसाब से रूडी खाद का प्रयोग करें। फसल को 28 किलो यूरिया और 200 किलो सिंगल सुपरफास्फेट प्रति एकड़ बिजाई के समय डालें। गेहूं के बाद बोई गई फसल को 150 किलो सिंगल सुपरफास्फेट प्रति एकड़ डालें, यदि गेहूं को फास्फोरस तत्व की सिफारिश मात्रा डाली है। अधिक उपज के लिए उपरोक्त खाद मात्रा के इलावा, फसल की बिजाई के 60 से 75 दिनों के बाद 2% यूरिया (3kg यूरिया 150 लीटर पानी में प्रति एकड़ के हिसाब से) छिड़काव करें।
हरी खाद के रूप में प्रयोग करने के लिए सण (20 किलो बीज प्रति एकड़ के हिसाब से) अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में बिजाई कर दें। हरी खाद की फसल को 40 से 45 दिनों के बाद खेत में सोयाबीन की बिजाई से 5 से 7 दिन पहले दबा दें। सोयाबीन की पूरी उपज लेने के लिए हरी खाद के साथ-साथ नाइट्रोजन खाद की पूरी मात्रा (13 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ के हिसाब से ) डालें। हरी खाद मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखती है।
यदि फास्फोरस और जिप्सम उपलब्ध न हों तो फास्फोरस और गंधक की कमी वाली जमीनों में गंधकी फास्फेट खाद (13 किलो नाइट्रोजन, 33 किलो फास्फोरस और 15 किलो गंधक तत्व प्रति 100 किलो खाद होती है) के बदलते रूप में डाला जा सकता है।
कटाई
फसल की कटाई उस समय करें जब बहुत से पत्ते झड़ जाएं और फलियों का रंग बदल जाए। कटाई में देरी नहीं करनी चाहिए ताकि दाने न गिरें। दानों को फलियों से बाहर निकालने के काम को प्रचलित तरीके के साथ ओर दालों की तरह ही करना चाहिए, पर इस बात का ध्यान रहें कि फसल को अधिक पीसा न जाए जिससे उपज की क्वालिटी ओर बीज की उगने की शक्ति में फर्क पड़ता है।
स्टोर करना
स्टोर करने के समय बीज में नमी 7 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। बीज को सूखे घड़े में बोरी में या लकड़ी के बक्से पर रखें।
यह थे सोयाबीन की खेती के बारे में कुछ ख़ास नुस्खे। इसके बारे में माहिरों से अधिक जानकारी के लिए डाउनलोड करें अपनी खेती एप।
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