गन्ना उत्पादकों को एक बार फिर समय पर चोटी बेधक की रोकथाम कर लेनी चाहिए और यदि समाधान न किया गया तो किसान को भारी नुक्सान हो सकता है। खेती विज्ञानियों का कहना है कि यह एक बहुत गंभीर कीड़ा है। जो फसल को बहुत नुक्सान करता है। फसल के पूरे समय में इस कीड़े की 6 पीढ़ियां पलती है और सुंडी पुरानी फसल में ही मौजूद होती है। जोकि फरवरी महीने में नर और मादा पतंगो के रूप में नई फसल पर अंडे देती है। इस हालत में कीड़े का प्रसार होना शुरू हो जाता है, इस कीड़े की मादा 100 से 250 तक अंडे देने की समर्था रखती है।
इससे बने कीड़े गन्ने के बीच बनी नाड़ी में सुरंग बना कर अंदर जाते हैं और पौधे को खाते हैं। परिणामस्वरूप पौधा खराब हो जाता है। इसकी पहचान यह है कि पौधे के किनारे वाले पत्ते पर छेद दिखाई देता है। मार्च के आखिरी हफ्ते में दूसरी पीढ़ी की शुरुआत हो जाती है। मई में तीसरी पीढ़ी की शुरुआत हो जाती है। जिससे जून में फसल को बहुत नुक्सान होता है। इस बार पहली, दूसरी और तीसरी पीढ़ी के हमले की संभावना अधिक है। Co -0238 और ओर बहुत सी किस्मों में इसका हमला अधिक देखने को मिल रहा है। इसलिए शुरू के समय ही इसकी रोकथाम करें।
रोकथाम के लिए निम्न तरीकों का प्रयोग करें
- नर और मादा को सुबह 9 बजे तक पकड़ कर मार दें।
- प्रभावित टहनियों को अप्रैल और जून के दौरान काट दें।
- पत्तों पर जमा हुए अंडे वाले पत्तों को तोड़ कर नष्ट कर दें।
- Imidacloprid 17.8 SL @ 140 ml को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। खेत में फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
- Chlorantraniliprole 18.5 % w/w @60 ml प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। इसके अंडे खाना वाला trichogramma japonicum परजीवी को 4 से 5 लगातार ट्राई कार्ड हर 15 दिन पर खेतों में छोड़ें उस खेत में कोई भी कीटनाशक की स्प्रे न करें।
- जून के आखिरी हफ्ते या जुलाई के पहले हफ्ते (यदि हमला 5% से अधिक हो) प्रति एकड़ के हिसाब से 10kg फरटेरा 0.4 जी आर या 12 किलो फ्यूराडान / डाईफियूरान / फियूराकारब/ कार्बोसिल / फ्यूरी 3 जी के कैप्सूल (कार्बोफुरान) को साखा को जड़ के नजदीक डालें और जड़ को हल्की मिट्टी चढ़ा कर खेत को पानी लगा दें। इस तरह आग के गडूआ की तीसरी पीढ़ी खत्म हो जाएगी। जो सबसे अधिक नुक्सान करती है। जिस व्यक्ति ने इस कीटनाशक को खेत में डालने का काम किया हो वह कुछ खाने से पहले अपने हाथों को कई बार अच्छी तरह साबुन से जरूर धोये।
कमाद का घोडा (पाएरिल्ला ): यह कीड़ा कमाद की उपज और गन्ने की मिठास की मात्रा बहुत कम कर देता है। यह कीड़ा अप्रैल मई में पहली बार दिखाई देता है और अगस्त से सितम्बर में बहुत गंभीर हमला करता है। हमले वाले पौधे के पत्ते पीले हो जाते हैं हमले के अगले लेवल पर सभी आग काले हो जाते हैं और पशुओं को डालने की योग्य नहीं रहते। भारी फसल पर इसका हमला अधिक होता है और फसल का अधिक नुक्सान मध्य खेत में होता है। जिससे इसका हमला बहुत अधिक हो जाए तो गुड़ भी सही नहीं बनता। इसकी रोकथाम के लिए 600ml डरसबान 20EC (क्लोरोपायरीफास) को 400 लीटर पानी में घोल कर हाथ वाले पंप के साथ प्रति एकड़ छिड़काव करें।
चोटी बेधक: यह कीड़ा पूरा साल ही सरगर्म रहता है। इस कीड़े की सुंडियां सर्दी में नए जड़ में रहती है। इनका हमला अप्रैल, मई और जून में कुछ कम होता है पर जुलाई में बढ़ जाता है । अक्तूबर और नवंबर में यह सबसे सरगर्म रहता है। इस कीड़े की बाहरी कोई निशानी नहीं है। इस कीड़े का तने के अंदर जाने वाले छेदों को गन्ना छील कर ही देखा जा सकता है। एक सुंडी कई बार तीन गाँठ तक नुक्सान कर देती है और गन्ने पर कई जगह पर हमला करती है। गंभीर हमला होने पर गन्ने की उपज और मिठास वाले तत्व पर असर होता है । इसकी रोकथाम के लिए निम्न सिफारिशों पर अमल करें।
- हमले वाले खेत से बीज न लें।
- ट्राइकोडर्मा कीलॉन्स मीटर कीड़े वाला एक ट्राइको कार्ड (20,000 परजीवी अंडे प्रति एकड़) को 5×0.75 cm के आकार के 40 छोटे बरारबर भागों में काट कर जुलाई से अक्तूबर के दौरान (10 से 12 बार) 10 दिन अंतराल पर पत्तों के नीचे एक एकड़ खेत में 40 जगह पर शाम के समय डाल दें। हर छोटे भाग में लगभग 500 अंडे लगे होते हैं।
- रोकथाम के लिए ट्राइकोकार्ड की पहली सिफारिश अनुसार प्रयोग के साथ साथ जुलाई से अक्तूबर महीने के दौरान 10 फीरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ सिफारिश की गई है। फीरोमोन लिओर को एक महीने के अंतराल पर बदलें।
- फसल की कटाई के समय सभी प्रभावित टहनियों को काट दें।
- कीड़े वाली फसल की जड़ निकाल कर नष्ट कर दें और खेत की जुताई करें।
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