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पशुओं के अंदरूनी परजीवियों की रोकथाम के लिए यह देसी नुस्खे हो सकते हैं कामयाब

आमतौर पर परजीवियों की रोकथाम के लिए सारे किसान भाई अपने अपने तरीकों से पशुओं की डीवॉर्मिंग करते होंगे। परजीवियों की रोकथाम के लिए बहुत सारी कंपनियों के प्रोडक्ट मार्किट में आते हैं। नवजात कटड़े/बछड़े को 7 दिन की उम्र के बाद हर सप्ताह एक महीने की उम्र तक परजीवी रहित करना शुरू कर देना चाहिए और बड़े पशुओं को हर तीन महीने बाद परजीवी रहित करना बहुत जरूरती है। पर सफल डेयरी किसानों का मानना तो ये हैं कि यदि पशुओं को कौड़ तुम्मे का चूर्ण लगातार खिलायें तो डीवॉर्मिंग करवाने की जरूरत नहीं पड़ती।

इसके साथ कुछ और घरेलु नुस्खे आपसे शेयर कर रहे हैं जो पशुओं को मलप रहित करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं :

लगभग 50 ग्राम तारामीरा को कूटकर उसमें 250 ग्राम लस्सी मिलाकर पशुओं को खिलाने से परजीवी मरकर बाहर आ जायेंगे। तेल चिकनाई का स्त्रोत होने के कारण प्रयोग में लाया जाता है।

नीम के पत्तों को रगड़ कर अरिंड के तेल में मिलाकर पेस्ट बनाकर खुराक के द्वारा पशु को खिला दिया जाता है। इससे आंतड़ियों में स्थित परजीवी मर कर बाहर आ जाते हैं।

नीम के पत्तों को रगड़ कर पानी निकाल लिया जाता है और पशु को पिलाकर गुड़ की चाशनी भी दी जा सकती है जिससे पशु के मुंह में खुष्की नहीं होती।

लगभग 1 किलो टमाटर का जूस छोटे कटड़े बछड़े को दिया जाता है जिससे पेट के सारे कीट मर जाते हैं या फिर कई बार कटड़े/बछड़े को मोक लग जाती है जिससे परजीवी बाहर आ जाते हैं।

लस्सी, तारामीरा और सरसों के तेल को मिलाकर 250 ग्राम मिश्रण बनाकर पशु को देने से परजीवी मर कर बाहर आ जाते हैं पर ये ज्यादातर कटड़ों/बछड़ों में प्रयोग किया जाता है।

नोट – बाकी आप कोई भी तरीका प्रयोग करने से पहले किसी माहिर डॉक्टर की सलाह जरूर लें क्योंकि इनकी ज्यादा मात्रा पशुओं के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है।

स्त्रोत- गुरू अंगद देव वैटनरी यूनीवर्सिटी, लुधियाना

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