पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा बीटल बकरियां पाली जा रही हैं। इस नसल को कुछ क्षेत्रों में अमृतसरी भी कहते हैं। इस नसल के ज्यादा होने का कारण है कि यह दोहरे फायदे वाली नसल है। क्योंकि यदि इसे मीट के लिए पालना है तो भी बढ़िया है और यदि दूध के लिए पालना है तो भी अच्छा मुनाफा देती है। बकरी फार्म बनाने के लिए सबसे जरूरी काम है सही नसल। इसलिए इस नसल की पहचान आपसे शेयर कर रहे हैं ताकि आप स्वंय आसानी से पहचान कर सकें।
सही पहचान की निशानियां
• बीटल बकरी का नाक तोते के नाक की तरह उभरा हुआ होता है।
• बीटल नसल की चमड़ी कई रंगों की हो सकती है ज्यादातर 90 प्रतिशत काले और 8 प्रतिशत गहरे लाल रंग के चितकबरे रंग की होती हैं।
• इस नसल के सींग दरमियाने, चपटे और ऊपर की तरफ होते हैं।
• कान लंबे पान के पत्ते की तरह होते हैं। इसकी पूंछ छोटी और पतली होती है और किनारे से ऊपर की तरफ मुड़ी होती है।
• इसके थनों की लंबाई 5-6 इंच तक होती है।
• इस नसल की टांगे लंबी होती हैं।
• यदि दूध के हिसाब से देखना हो तो बीटल बकरी 170-180 दिनों के ब्यांत में 150-190 किलो दूध दे सकती है और प्रति दिन औसतन 2.0 किलो और अधिक से अधिक 4.0 किलो भी हो सकती है।
• जो बीटल बकरा होता है उसके थोड़ी दाढ़ी होती है।
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