पंजाब में डेयरी फार्मिंग के व्यवसाय में सबसे ज़रूरी दो बाते हैं, पशु की नसल और पशु की सही खुराक। एक अच्छे नसल के पशु को उसकी क्षमता के मुताबिक खुराक देनी भी लाज़मी है, नहीं तो अच्छी नसल का होने के बावजूद भी उसकी दूध की पैदावार कम रहेगी। संतुलित खुराक तैयार करने के लिए सही जानकारी होना जरूरी है। जितना हो सके घर की बनायी हुई फीड ही दें। गाभिनों को अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के अलावा, दूध देने के लिए और पेट में पल रहे कटड़े/बछड़े की वृद्धि के लिए खुराक की जरूरत पड़ती है। यदि गाभिन पशुओं को जरूरत के मुताबिक खुराक ना मिले तो इनके अगले ब्यांत में दूध देने की क्षमता कम हो जाती है और कमज़ोर कटड़े/बछड़े पैदा होते हैं जो कि बीमारियों का ज्यादा शिकार होते हैं। इसलिए गाभिनों की खुराक बनाने और उसे प्रयोग करने के संबंधित कुछ नुस्खे शेयर कर रहे हैं।
• सात किलो दूध देने वाली गायों को 35-40 किलो हरे पठ्ठे और 2 किलो तूड़ी दें।
• 16 लीटर दूध देने वाली गायों को 7-9 किलो सूखा दाना डाल सकते हैं इससे ज्यादा ना डालें।
• अधिक दूध देने वाली गायों के लिए ब्यांत के पहले तीन महीने 50 प्रतिशत वितरण और 50 प्रतिशत चारा, बाद में 40 प्रतिशत वितरण और 60 प्रतिशत चारा और ब्यांत के आखिर में 30 प्रतिशत वितरण और 70 प्रतिशत चारा दें।
• एक बार में 20-30 दिनों का वितरण बनाकर रखें। ज्यादा समय स्टोर किए वितरण को फंगस लग जाती है। बरसातों में फंगस बहुत तेजी से बढ़ती है।
• दानों को ज्यादा मोटा ग्राइंड नहीं करना चाहिए। ग्राइंडर में 1.5 मि.ली. की छलनी सही रहती है। यदि गोबर में दाने के अंश दिखाई दें तो इसका अर्थ है कि छलनी का साइज़ ज्यादा है।
• एक से ज्यादा खलों का प्रयोग करना चाहिए ताकि सारे अमीनो एसिड सही मात्रा में मिल सकें।
• यदि वितरण अधिक मात्रा में देना हो जैसे कि 7-8 किलो प्रति दिन या साइलेज़ भी पशु की खुराक में शामिल हो तो 100 किलो वितरण में 1-2 किलो मीठा सोडा मिला दें। इससे पशु बद हज़मी से बचा रहेगा और दूध में फैट की मात्रा भी कम नहीं होगी।
संतुलित खुराक सिर्फ दुधारूओं के लिए ही नहीं बल्कि कटड़ियों, बछड़ियों और गाभिन पशुओं के लिए भी बहुत जरूरी है।
स्त्रोत – गुरू अंगद देव यूनिवर्सिटी, लुधियाना
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