इस तरीके से बज़ुर्ग करते थे दुधारू पशु की पहचान

आमतौर पर जब किसान भाई कोई पशु खरीदते हैं उस समय उन्हें यह जांच कर लेनी चाहिए कि पशु दूध वाला है या नहीं। कई व्यापारी चालाकी से भोले भाले किसान भाइयों को उल्लू बनाकर अपना पशु बेच देते हैं। पर यदि कुछ साधारण बातों का ध्यान रख लिया तो इस होने वाले धोखे से बचा जा सकता है। जो तज़ुर्बेकार पशु पालक ये पढ़ेंगे शायद उनके लिए यह जानकारी नई ना हो पर नए पशु पालकों के लिए बहुत काम की है।

1. पशु के चारों थनों में जितना ज्यादा फासला होगा, उतना ही पशु दुधारू होगा इसलिए थनों में फासला एक जैसा और ज्यादा होना चाहिए ।

2. हमेशा दूध निकालने के बाद ही खरीदें हो सके तो तीन टाइम दूध दोहें ताकि पशु के दूध की सही योग्यता का पता चल सके और पशु की धार निकालते समय चारों धाराएं बाल्टी में सीधी गिरनी चाहिए मतलब कि धाराएं फैलनी नहीं चाहिए ।

3. यदि पशु की पूंछ को ऊपर को मरोड़कर देखें तो यदि आसानी से मुड़ जाये भाव कि जितनी लचकीली पशु की पूंछ होगी उतना ही पशु दुधारू होगा ।

4. पशु की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई भी ज्यादा होनी चाहिए क्योंकि जितनी लंबाई चौड़ाई ज्यादा होगी उतना ही खून का सर्कल ज्यादा होगा और पशु दूध ज्यादा देने वाला होगा।

5. पशु के लेवे की ओर खास ध्यान दें जैसे कि लेवा आगे की तरफ को नाभि तक और पीछे की तरफ योनि तक बढ़ा हुआ हो एक ओर से देखने पर यह चंद्रमा की तरह गोलाई में होना चाहिए।

6. गाभिन के कंधे छाती से एकसार जुड़े हुए होने चाहिए टांगे मजबूत और रीड़ की हड्डी एकसार सीधी हो क्योंकि कुब पड़े पशुओं में कैलशियम, फासफोरस या मैगनीशियम की कमी हो सकती है इस तरह के पशु को खरीदने से परहेज़ करें।

7. यदि पशु की चौड़ाई देखनी हो तो आगे से चौड़ाई से कम और पिछली ओर ज्यादा हो तो पशु ज्यादा दूध देने वाला होगा ।

8. पशु को चलवाते समय उसके पिछले खुर अगले खुरों के निशान पर आने चाहिए पशु की गर्दन और निचले जबड़े पर पूरे ध्यान से देखने पर यदि गलहीरों के निशान दिख पड़े तो ऐसा पशु ना खरीदें।

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