बची-खुची मछलियों से तैयार यह एक ऐसा ग्रोथ प्रमोटर है जिसका जापान, कोरिया आदि के जैविक किसान बहुत इस्तेमाल करते हैं।
सामग्री
1. कोई भी देसी मछली या मछली के बचे कुचे टुकड़े (कचरा)
2. गुड़ या शीरा
3. बोरी या सूती कपड़ा
4. छाननी
5. एक मटका या बाल्टी और एक ढक्कन वाला डिब्बा
विधि
1. मछली के टुकड़े कर लें। बराबर आकार के बर्तन में बराबर मात्रा में मछली और गुड़ या शीरा माप लें। मछली की जगह यदि मछली का कचरा है तो गुड़ की मात्रा आधी लें।
2. भाव 1 किलो मछली के लिए 1 किलो गुड़ और 1 किलो मछली के कचरे के लिए आधा किलो गुड़ लें।
3. दोनों को मिलाकर बर्तन को बोरी या सूती कपड़े से कस कर बंद कर दें। पहले चार दिनों में बड़ी दुर्गंध आती है। इसलिए बर्तन को घर से दूर परंतु कुत्ते आदि जानवरों से बचा कर रखें। 5वें दिन से अगले 20 से 30 दिनों तक रोज़ एक बार इस मिश्रण को हिला दें। इसी बीच आप देखेंगे कि कैसे दुर्गंध सुगंध में बदल जाती है।
4. लगभग 10 दिनों में दुर्गंध खत्म हो जायेगी परंतु आप इसे 15 से 20 दिनों के लिए और रख सकते हैं। जब दुर्गंध गायब हो जाये तब यह प्रयोग करने के लिए तैयार है। इसके बाद इसे छान लें। यह शहद जैसा दिखाई देगा। इसे ढक्कन वाले शीशे या प्लास्टिक के डिब्बे में डालकर बंद करके रख दें। इसे 6 महीने तक रखा जा सकता है।
5. यदि मछली का प्रयोग किया है तो छानने के बाद बचे हुए टुकड़ों का 2—3 बार प्रयोग कर सकते हैं। दोबारा बची हुई मछली के बराबर गुड़ का प्रयोग करें। और 15—20 दिनों के लिए रख दें। परंतु मछली के कचरे का प्रयोग एक ही बार किया जा सकता है।
लाभ
मछली का अर्क एक बहुत ही बढ़िया टॉनिक है। पौधे की जरूरत का 8 से 10 प्रतिशत नाइट्रोजन देने के कारण वृद्धि में सहायक होता है। इसमें मौजूद, अमीनो एसिड, सूक्ष्म और स्थूल पोषक तत्व मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। यह एक कुदरती ग्रोथ प्रमोटर और कीटों को दूर भगाने वाला साबित हुआ है और उपायों के साथ मिलकर यह जड़ों के कीटों की रोकथाम में कारगर साबित हुआ है।
मछली के कचरे से प्राप्त यह प्रोटीन पशु चारा और पौधों के लिए पूर्ण पोषण, दोनों का काम देता है। यह बहुत बढ़िया खुराक है क्योंकि इससे मछली की आंतों और सिर में पाये जाने वाले कई तरह के जरूरी स्थूल पोषक तत्व (जैसे N, K, Ca, Mg, P और S ) और सूक्षम पोषक तत्व (जैसे Cl, Fe, B, Mn, Zn, Cu, Mo और Ni) मिल जाते हैं।
प्रयोग विधि
इसे पत्तों के ऊपर छिड़काव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 100 लीटर में 3 से 5 लीटर मिलाकर किसी भी फसल के ऊपर सुबह शाम को छिड़काव करें। इससे वृद्धि, फूल और फल लगने में फायदा होगा। प्रति 100 लीटर में 2 लीटर मिलाकर सिंचाई भी की जा सकती है। 3 से 10 किलो मछली से एक एकड़ के लिए घोल तैयार हो जाता है।
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