कटड़ों और बछड़ों के जन्म से लेकर पहले दो सप्ताह सब से महत्तवपूर्ण होते हैं। जन्म के समय बच्चे का भार मां के भार के तकरीबन 10 % होता है। एक तंदरूस्त बच्चा हर रोज़ तकरीबन 500 ग्राम तक शारीरिक वृद्धि करता है। आइये अब जानते हैं सबसे मुख्य जरूरी बातें:
1. जन्म के तुरंत बाद बच्चे के मुंह और नाक के आस-पास को अच्छे से साफ करें, ताकि बच्चा आराम से सांस ले सके।
2. ब्याने के तुरंत बाद कटड़े/बछड़े को उसकी मां से चटाना चाहिए। यदि मां अपने बच्चे को ब्याने के बाद ना चाटे तो बच्चे के ऊपर गुड़/ शक्कर/चोकर छिड़क दें ताकि इन्हें खाने के लालच में मां बच्चे को चाट सके।
3. जन्म के 2 घंटे के अंदर ही बच्चे को बाउली पिलानी चाहिए पर ध्यान रखें कि बाउली उसके शरीर के भार के दसवें हिस्से तक पिलायें। यदि एक कटड़े का जन्म के समय, भार 27 किलो है, तो उसकी एक दिन की खुराक 2 किलो 700 ग्राम है। सर्दियों में 2 बार और गर्मियों में 3 बार बाउली, पहले 3-4 दिनों तक दें।
4. यदि किसी कटड़े या बछड़े की मां, ब्याने के बाद मर जाये तो किसी अन्य गाय के दूध में 5 मि.ली. अरिंड का तेल, 5 मि.ली. मछली का तेल और एक अंडा घोलकर दें।
5. कटड़े/बछड़े को जन्म के बाद तुरंत दूध पीने लगा देना चाहिए, जेर पड़ने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए, क्योंकि बच्चे के दूध पीने के साथ ही मां के दिमाग से एक हार्मोन गिरता है, जिससे बच्चेदानी में हरकत होती है और जेर जल्दी पड़ जाती है।
6. उबाली हुई कैंची के साथ शरीर से 5-10 सैं.मी. दूरी से बच्चे के नाड़ू को काट देना चाहिए और ऊपर टिंकचर आयोडीन नाम की दवाई तब तक लगाएं तब तक नाड़ू सूख ना जाये।
7. यदि कोई बच्चा जन्म से 3-4 घंटों तक खड़ा ना हो, तो उसे सहारा देकर खड़ा कर दें। यदि जरूरी लगे तो मां के दूध की एक धार बच्चे के मुंह में मार दें।
8. मुंह खुर से बचाव के लिए पहला टीका 3 महीने की उम्र पर, दूसरा टीका पहले टीके से 21 दिनों के बाद और हर 6 दिन बाद टीकाकरण करवा ही लें।
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