यह हमेशा मिट्टी में रहता है और इसे नंगी आंख से देखना मुश्किल होता है यह पौधे की जड़ों में से तत्वों का रस चूस लेता है जिससे पौधे का विकास रूक जाता है और पौधा सूख जाता है। यह मादा निमाटोड एक बार में 250-300 अंडे देती है जिससे यह बहुत तेजी से आगे बढ़ती है।
निमाटोड के हमले की पहचान :
जिन पौधों पर निमाटोड का हमला होता है उस पौधे को उखाड़ने के बाद मिट्टी झाड़कर देखने पर जड़ों में गांठे बनी हुई होती हैं। जिससे कि पौधे का विकास रूक जाता है और पौधा सूख जाता है।
निमाटोड की रोकथाम :
1. इसकी रोकथाम के लिए फॉरमलिन का मिट्टी के ऊपर छिड़काव करें। इसके अलावा कार्बोफियुरॉन के प्रयोग से इसे रोका जा सकता है।
2. इसके अलावा निमाटोड की रोकथाम हरी फसलें उगाकर भी कर सकते हैं जैसे कि मूंग, सनई और जंतर। इन फसलों को एक विशेष किस्म की फंगस लगती है जो कि निमाटोड को नष्ट कर देती है और इन फसलों के कारण मिट्टी का उपजाऊपन भी बढ़ता है।
3. इसका तीसरा इलाज यह है कि बीज बोने से पहले उसे जीवाणु टीके से जरूर उपचार करें। बीज का उपचार करने से भी यह फसल के ऊपर कम हमला करता है।
इस निमाटोड का कोई भी पक्का इलाज नहीं है, जिससे इसे पक्के तौर पर रोका जा सके। इसे सिर्फ थोड़े समय के लिए ही नियंत्रित किया जा सकता है।
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