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बरसीम की उन्नत खेती कैसे की जाती है?

पशुओं के लिए चारा खुराक का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके लिए कई तरह की चारे वाली फसलों की बिजाई की जाती है पर बरसीम में बाकि चारे वाली फसलों के मुक़ाबकले सबसे ज्यादा प्रोटीन मौजूद होता है। इस ब्लॉग के जरिये जाने कैसे की जाती है बरसीम की उन्नत खेती।

बरसीम की फसल पशुओं के चारे के लिए वरदान साबित होती है। इसलिए आवश्यक पूर्ति के लिए किसानों को पशुओं के लिए कुछ क्षेत्र में इसकी बिजाई लाज़मी करनी चाहिए। यह फसल नवंबर से जून मध्य तक पौष्टिक हरे आहार के रूप में कई कटाइयों में पशुओं के लिए प्राप्त की जा सकती है। बिजाई के लिए खेत को 2—3 बार जोताई कर और सुहागा मारकर तैयार करें। ध्यान रहे खेत अच्छी तरह समतल और नदीन रहित होना चाहिए। अधिक उपज लेने के लिए बीज को राइज़ोबियम के टीके से उपचारित कर लें। एक एकड़ के बीज को कम से कम पानी में भिगो लें और टीके का एक पैकेट भीगे हुए बीज से साफ फर्श पर मिला लें। छांव में बीज को सुखाकर उसी शाम खड़े पानी में बुरकाव करें 8 से 10 किलो बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें। बरसीम की बिजाई खड़े पानी में बुरकाव करके करें। हवा चलती हो तो सूखे खेत में बीज का बुरकाव करें और बाद में सुहागा फेरकर पानी लगा दिया जाए। पशुओं के लिए अच्छा संतुलित चारा लेने के लिए 1 एकड़ बरसीम के बीज में 750 ग्राम सरसों का बीज भी मिलाकर बोया जा सकता है। जई भी बोयी जा सकती है। 1 एकड़ में जई का आधा और बरसीम का पूरा बीज मिलाकर बिजाई की जा सकती है। ऐसा करने के लिए सबसे पहले जई का बीज हल की मदद से ज़मीन में जोताई कर और बरसीम बाद में सिंचाई करके छींटा खड़े पानी में दिया जाता है। इसके अलावा यदि 2—3 किलो राई घास और 8 से 10 किलो बरसीम के बीज को मिलाकर बोया जाए, तो भी बहुत गुणकारी चारा प्राप्त किया जा सकता है। बिजाई के समय 6 टन रूड़ी की खाद और 20 किलो फास्फोरस तत्व (125 किलो सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। देसी रूड़ी का प्रयोग ना करने की स्थिति में 10 किलो नाइट्रोजन तत्व (22 किलो यूरिया) और (30 किलो फास्फोरस तत्व) (185 किलो सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ में डालें। सुपरफास्फेट खाद के प्रयोग से सल्फर तत्व भी खेत में मिल जाता है। जहां बरसीम में राई घास मिलाकर बोया हो, 10 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ (22 किलो यूरिया खाद) हर कटाई के बाद डालें।

बढ़िया फसल के लिए समय से पानी बहुत ज़रूरी है। बढ़िया फसल के लिए पहला पानी जल्दी दें। हल्की ज़मीनों में 3—5 दिनों के बाद और भारी ज़मीनों में 6—8 दिनों के बाद पानी लगाएं। बिजाई के लगभग 50 दिनों के बाद बरसीम का पहली कटाई तैयार हो जाती है, उसके बाद सर्दियों में 40 दिनों के बाद और बाद में 30 दिनों के अंतराल पर कटाई ली जा सकती है।

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