पशुओं के दूध में वसा का बढ़ना सही खुराक पर ही निर्भर करता है। गाभिन पशु की खुरली कभी भी खाली नहीं रहनी चाहिए। पशु का जब भी खाने को मन करे, उसके सामने हरा चारा हो, फिर ही वसा पर प्रभाव पड़ना शुरू होगा। सफल डेयरी पालक के लिए दिन में 4-5 बार हरा चारा/फीड देना जरूरी है।
कई डेयरी पालक फीड को गीला करके खिलाते हैं जिस कारण उनकी वसा हमेशा कम हो जाती है। कई बार मजबूरी होती है कि हरा चारा नहीं होता या सूखी तूड़ी और वितरण पशु नहीं खाता है। इसलिए गीली फीड खिलाई जाती है। जिससे जानवर जुगाली कम करते हैं और वसा की ग्रेवीटी कम हो जाती है। पशुओं की खुराक में अचानक परिवर्तन नहीं करना चाहिए।
अधिक वसा के लिए चारे का आकार भी देखना चाहिए। आजकल कुछ किसान भाई जो हरे चारे का आचार बनाते हैं, वे हरे चारे का आकार एक इंच से भी कम रखते हैं जिस कारण दूध में वसा की शिकायत रहती है।
वसा बढ़ाने के लिए बड़ेवें भी खिलाये जा सकते हैं पर यह ध्यान रखें कि रोजाना 250 ग्राम से अधिक ना डालें नहीं, तो चर्बी ज्यादा चढ़ने लग जाती है। यदि देसी कपास के बड़ेवें हो तो अच्छा है।
अंतत: यदि संतुलित खुराक का प्रयोग हो तो ऊर्जा, वसा और प्रोटीन पूरी मात्रा में मिलते हैं और वसा पर ग्रेविटी भी उचित मिलती है।
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