खुम्ब बेचना भी एक ख़ास काम है। उगाने वालों को अपनी फसल आप ही बेचनी पड़ती है क्योंकि खुम्ब जल्दी ही खराब हो जाती हैं और यह देर तक नहीं रखी जा सकती। असल में जो छोटे किसान हैं वह बड़े पैमाने वाले उत्पादकों को खुम्ब बेचते हैं। जिनका अपना ही खुम्ब बेचने का ज़रिया बनाया होता है क्योंकि खुम्ब जल्दी ही खराब होने वाली फसल है, इसलिए इनकी पुटाई के बाद इन्हे जल्दी से जल्दी बेच देना चाहिए। खुम्ब ज़्यादातर पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की तरफ से आती है। ढींगरी ताज़ी, सूखी और डब्बों में बंद कर बेची जा सकती है।
इनकी बेच–खरीद नीचे लिखे अनुसार होती है:
- ताज़ी खुम्ब
- डब्बों में बंद खुम्ब
- सुखाई और पीसी हुई (ग्राम ऋतु) खुम्ब
ताज़ी खुम्ब की खपत बढ़ाकर इनकी बिक्री के लिए स्थानीय मार्किट में संभावनाएं बनानी पड़ेगी। इस तरह की बिक्री पंजाब और नज़दीक के राज्यों में भी बढ़ाई जा सकती है। क्योंकि इस इलाके में खुम्ब उगाने और बीजने के केंद्र नज़दीक होते हैं। दुनिया भर में 50% खुम्ब ताज़ी बेची जाती हैं जिनको जहाज के ज़रिये या ट्रक में बड़े–बड़े शहरों में पहुंचाकर बेचा जाता है। भले ही इसकी मात्रा बहुत कम है पर पंजाब में ताज़ी खुम्बों को रेलगाडी या बस के ज़रिये दिल्ली या नज़दीक लगते राज्यों में भी बेचा जाता है। पिछले कई सालों से देखा गया है कि भारत में खुम्ब की बिक्री और खपत काफी मात्रा बढ़ी है, पर फिर भी भारत में प्रति मनुष्य खपत 30 ग्राम से भी कम है। जबकि बाहरले देशों में यह 2 किलो से भी ज़्यादा है। इस तरह यह पता लगता है कि घरों में ताज़ी खुम्ब की खपत बढ़ाई जा सकती है।
डब्बों में बंद कर खुम्ब बेचना भी एक फायदे वाला तरीका है। जिसके साथ खुम्ब की अवधि बढ़ाई जा सकती है और ज़्यादा आवश्यक विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है। गर्म मौसम में खुम्ब पंजाब और उसके पास के इलाकों में अप्रैल से अगस्त के कुदरती मौसम में आसानी से सुखाई जा सकती है। सूखी खुम्ब को पीसा और सूप बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इनको पॉलिथीन के लिफाफे में मुँह बंद कर कुछ समय के लिए रखा जा सकता है। इस तरफ इनकी उम्र काफी बढ़ाई जा सकती है और जब ज़रूरत हो इसे बेचने के लिए आयात और निर्यात किया जा सकता है। ढींगरी ताज़ी, सूखी और डब्बों में बंद कर बेची जा सकती है।
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