खस क्या है — यह एक खुशबूदार घास होती है, जिसे अंग्रेजी में vetiver कहा जाता है। गुच्छों में उगने वाले इस पौधे की ऊंचाई 5—6 फीट तक हो सकती है, इसके पौधे देखने में सरकंडे या सरपत के पौधे जैसे लगते हैं। पुराने समय में गर्मी से बचाव के लिए खस के पर्दे बनवाए जाते थे, जिसे पानी से भिगोकर रखते थे। जब गर्मियों में गर्म लू जैसी हवा इनसे गुजरकर कमरे में आती तो ठंडी हो जाती, और इसकी अच्छी खुशबू से कमरा महक जाता था। आज भी खस की घास, गर्मियों में कूलर की दुकान पर मिलती है। जब भी आप अपने कूलर की घास भरवाएं, तो साथ में थोड़ा खस की घास भी मिक्स करवा लें। इससे गजब की खुशबू और ठंडक मिलती है।
खस का पौधा — खस का पौधा पानी वाली जगह जैसे झील, तालाब, नदी आदि के किनारे पर अपने आप उग आता है। उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार व दक्षिण भारत में केरल, कर्नाटक आदि राज्यों में खस की खेती की जाती है।
खस का तेल — खस की जड़ों से तेल निकाला जाता है। इससे इत्र, परफ्यूम, शर्बत, दवाइयां, साबुन और कॉस्मेटिक्स बनाए जाते हैं। खस का अत्तर अरब व अन्य देशों में बहुत पसंद किया जाता है। यह तेल कई देशों में निर्यात भी किया जाता है।
आइये जानें खस के फायदों के बारे में
• खस की खुशबू से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, नर्वस सिस्टम शांत होता है। खस के तेल की खुशबू तनाव को दूर करने, नींद लाने में मददगार होती है।
• इसके अलावा खस का प्रयोग दिल के रोग, उल्टी, त्वचा रोग, बुखार, सिरदर्द, रक्त विकार, पेशाब की जलन, सांस के रोग, पित्त रोग, मांसपेशियों की ऐंठन, हार्मोनल समस्याओं में भी फायदेमंद है।
• खस की तासीर ठंडी होती है, इस वजह से खस का प्रयोग गर्मियों में खस का शर्बत बनाने में किया जाता है। इससे दिमाग और शरीर में तरावट आती है व गर्मियों में त्वचा की समस्याएं भी ठीक होती हैं।
• खस के तेल की मालिश करने से कमरदर्द, मोच में आराम मिलता है। खस के तेल का अरोमाथेरेपी में भी प्रयोग किया जाता है।
• खस के पौधे लगाने का सबसे बड़ा फायदा तो वातावरण को होता है। पुराने समय से भारतीय किसान खस के पौधे लगाकर भूमि के कटाव रोकने यानि मृदा संरक्षण, जल संरक्षण करते आ रहे हैं|
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