छोटे पत्तों का रोग (लिटल लीफ): यह माइकोप्लाज़मा का रोग है। जो बैंगनों की फसल का काफी नुकसान करता है। इस रोग का ज्यादा पता पौधे के फूल निकलने के समय लगता है और यह रोग शुरूआती फसल से अधिक होता है। पत्ते बहुत छोटे निकलते हैं। तने में अधिक गांठे और टहनियों की बजाय फुटाव बहुत ज्यादा होता है जिस कारण पौधे झाड़ीनुमा शक्ल के हो जाते हैं। ऐसे पौधे को फूल और फल नहीं लगते, यदि लगते हैं तो हरे और छोटे आकार के होते हैं। यदि बीमारी अगेती आ जाये तो फसल की उपज बहुत कम हो जाती है।
बीमारी कैसे फैलती है: बीमारी कई प्रकार के पौधों जैसे धतूरा आदि पर पलती रहती है। पत्तों के टिड्डे, रोगी से सेहतमंद पौधे पर जाकर इस बीमारी को आगे फैलाते हैं।
रोकथाम: इस बीमारी को रोकने के लिए सबसे पहले बीमार पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें। टिड्डे की रोकथाम के लिए फसल पर मैलाथियोन मैटासिसटॉक्स 250 मि.ली. 100—125 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
विषाणु रोगों से छुटकारा पाने के लिए बीज हमेशा रोग रहित फसल से ही तैयार करें। बूटे निकलने के बाद लगभग हर रोज अपने खेतों का निरीक्षण करते रहें और बीमार पौधे उखाड़कर नष्ट करें क्योंकि विषाणु जीवित सैलों में बढ़ता—फूलता और जानदार होता है। यदि संभव हो सके तो पनीरी को रस चूसने वाले कीटों से मुक्त रखने के लिए जाली का उपयोग किया जा सकता है। यदि आपने शुरू में इन प्रभावित पौधों को नहीं उखाड़ा तो कीट इन रोगों को सारे खेतों में फैलाकर आपकी उम्मीदों पर पानी फेर देंगे क्योंकि बीमारी वाली फसल को फल बहुत कम और घटिया गुणवत्ता वाला लगता है। इसका मंडी में पूरा मूल्य भी नहीं मिलता। ज्यादातर विषाणु रोग रस चूसने वाले कीटों के द्वारा आगे फैलते हैं। इसलिए खेत में ऐसे कीटों की रोकथाम के लिए सिफारिश की कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करें।
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