हिमाचल प्रदेश के नौणी विश्वविद्यालय के बागवानी विशेषज्ञ डॉक्टर विशाल डोगरा ने बताया कि अंग्रेज जब भारत में आए तो कैप्सीकम का बीज भी साथ ले आए। शिमला की पहाड़ियों की मिट्टी और यहां के मौसम को इस सब्जी की खेती के लिए अनुकूल देखते हुए उन्होंने यहां इसका बीज रोपा।
शिमला मिर्च के नाम को लेकर लोगों की राय है कि इसकी खेती शिमला में होती है। इस वजह से इसका नाम शिमला मिर्च पड़ गया। शिमला मिर्च (कैप्सीकम) मूल रूप से दक्षिणी अमेरिका की एक सब्जी है। यह भी कहा जाता है कि वहां करीब तीन हजार सालों से इसकी खेती की जा रही है। हिमाचल प्रदेश के नौणी विश्वविद्यालय के बागवानी विशेषज्ञ डॉक्टर विशाल डोगरा ने बताया कि अंग्रेज जब भारत में आए तो कैप्सीकम का बीज भी साथ ले आए। शिमला की पहाड़ियों की मिट्टी और यहां के मौसम को इस सब्जी की खेती के लिए अनुकूल देखते हुए उन्होंने यहां इसका बीज रोपा।
इस सब्जी के उगने लिए यहां का मौसम बेहतर रहा और इसकी बंपर फसल होने लगी। लोगों ने बस यहीं से धारणा बना ली कि यह सिर्फ शिमला में होती है और इसे शिमला मिर्च के नाम से बुलाने लगे। पहले यह सिर्फ हरे रंग की होती थी जबकि आज शिमला मिर्च लाल और पीले रंग में भी उपलब्ध है। बागवान लाल और पीली शिमला मिर्च की भी खेती कर रहे हैं जिसके उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं।
लाल और पीले रंग की शिमला मिर्च सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जिससे आप तनाव से बचे रहते हैं। धमनियों में रक्त संचार भी बेहतर तरीके से होता है। डॉक्टर विशाल डोगरा ने बताया कि जितनी भी कलरफुल सब्जियां होती हैं उनमें एंटीऑक्सीडेंट बहुत मात्रा में पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। घुटनों व जोड़ों में समस्या है तो शिमला मिर्च खाओ। इससे आर्थराइटिस की समस्या में भी लाभ पाया जा सकता है। इसमें कैलोरी नहीं होती है जिससे कि आपका खराब कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है।
नूडल्स, बर्गर, पनीर टिक्का, चिकन रोस्टैड इत्यादि कई तरह के व्यंजनों में इसका जमकर इस्तेमाल किया जाता है। चाऊमीन में तो इसकी खपत सबसे ज्यादा होती है।
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