पशुओं में अफारे की समस्या आमतौर पर ज्यादा आती है। भैंसों/गायों की तरह बकरियों में भी अफारे की समस्या बहुत होती है। बकरी पालक को यदि बकरियों की बीमारी की पहचान होगी, तो वे समय पर उसका इलाज कर सकते हैं।
अफारे के दो कारण हो सकते हैं या तो खुराकी तत्व ज्यादा खाने के कारण या फिर पहले बनी हुई गैस, जब किसी कारण बाहर नहीं निकलती। कई बार पेट में इक्ट्ठी हुई गैस, पेट की खाने की नली में कोई खुराकी तत्व फंसा होने के कारण बाहर निकल नहीं सकती, जिस कारण अफारा हो जाता है। इस अफारे से जानवर को सांस लेने में तकलीफ आती है और वे सांस लेने के लिए जीभ बाहर निकालकर गर्दन आगे की ओर खींचकर सांस लेता है। यह अफारा 6-8 घंटों में जानवर की जान ले सकता है। इस समय जानवर की बायीं पार्श्व (बगल) को थपथपाने से ढोल जैसी आवाज़ आती है।
• अफारे की हालत में जानवर की अगली टांगे ऊंची जगह पर और पिछली टांगे निचली जगह पर रखें। इस तरह गैस मुंह से बाहर निकलेगी।
• सरसों, अलसी का तेल 30 मि.ली. देने से भी अफारा कम हो जाता है।
• यदि अफारा ज्यादा हो गया हो तो इमरजेंसी में डॉक्टर द्वारा जानवर की बायीं पार्श्व (बगल) में मोटी सुई मारकर गैस बाहर निकाली जा सकती है।
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