फंगस विषाक्तता जिसे आमतौर पर माइकोटोक्सीकोसिस भी कहा जाता है एक प्रकार से पशुदाने में विष से बनने वाली बीमारी है। यह विष दाने में फंगस के बहुलीकरण से पैदा होते हैं। ऐसी कई फंगस है जो कि कई प्रकार के विष बनाती है जिसके पूरे समूह को माइको टोक्सीकोसिस का नाम दिया गया है। यह बीमारी ज्यादातर रोग विषेयक सब क्लीनिकल संक्रमण के रूप में पशुओं में व्याप्त रहती है तथा ऐसे में इसका निदान करना बहुत कठिन समझा जाता है। यह समस्या विश्व के ज्यादातर देशों में पायी जाती है लेकिन जिन देशों में ज्यादा गर्मी के साथ साथ अधिक नमी रहती है उन देशों में यह समस्या अधिक होती है।
आइये जानें इस रोग का फैलाव, लक्षण और रोकथाम के बारे में
रोग का फैलाव
• फंगस के विष दो प्रमुख माध्यमों से पशुओं में फैलते हैं
• फंगस के बीजाणुआों के अन्त: गृहण करने से यह बीजाणु स्वस्थ पशुओं के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो बाद में पशुओं में विष पैदा करते हैं।
• पशु आहार में पैदा हुई फंगस विष के पशुओं द्वारा अन्त: गृहण करने से भी यह बीमारी पैदा होती है। जिन दानों में ज्यादा नमी की मात्रा होती है तथा जो क्षतिग्रस्त रहते है तथा जिनका भंडारण उचित नहीं होता उनमें फंगस आसानी विष बनाती है।
लक्षण
फंगस विष द्वारा पशुओं में निम्न लक्षण पाये जाते हैं।
• पशुओं की वृद्धि दर का धीमा होना और वजन ना बढ़ना।
• भूख में कमी।
• रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना।
• शारीरिक अंगों को नुकसान पहुंचना।
• दूध उत्पादन में कमी होना।
निदान
प्रभावित पशुओं के दाने का लैब में रासायनिक जांच करने पर फंगस विष का चिन्ह और उनकी मात्रा का पता लगाया जा सकता है।
रोकथाम
फंगस विष से पशुओं को बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
• पशु आहार में मिलाने वाले सभी दानों का भंडारण उचित प्रकार का होना चाहिए ताकि उनमें नमी की मात्रा कम रहे और जिसमें फंगस का विष बनने से रोका जा सके।
• पशु आहार का भंडारण फंगस की वृद्धि रोकने वाली दवाइयों के साथ करना चाहिए।
• दाने में खनिज लवण व विटामिन मिलाने से भी फंगस के विष का प्रभाव कम किया जा सकता है क्योंकि खनिज लवण उनके प्रतिकूल प्रभावों को रोकते हैं।
• पशु आवास में दाने व बर्तनों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए ताकि उनके तल पर गीलापन ना रहे और विष को उत्पन्न होने से बचाया जा सके।
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