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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (IARI) द्वारा गन्ने की सुधारी गई किस्में

अगेती किस्में

Co 89003 (Co 7314 X Co 775): यह अधिक शर्करा और अधिक उपज देने वाली किस्म है। इसका गन्ना लंबा मध्यम मोटा होता है जो कि जामुनी रंग में होता है। जिसके कुछ हिस्से हरे रंग के होते हैं। इसका गन्ना नर्म छाल का होता है, जो चूसने के लिए उपयुक्त होता है। इस प्रजाती का गुड़ हल्के सुनहरे रंग का A1 क्वालिटी का होता है। इसकी खेती मुख्यत: हरियाणा और पंजाब राज्यों में की जाती है। यह किस्म काफी हद तक रतुआ रोग के प्रतिरोधक है। जड़ बेधक और सूखा रोग का प्रबंध इस प्रजाति के लिए अति आवश्यक है क्योंकि यह किस्म सूखे को सहनेयोग्य है और जल जमाव के प्रतिरोधक है। इसकी औसतन उपज 37.7 टन प्रति एकड़ होती है और शर्करा की मात्रा 18.45 प्रतिशत होती है।

Co 98014 (Karan-1): इस किस्म को Co 8316 X Co 8213 क्रॉस द्वारा उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है। यह लंबी और सीधी बढ़ने वाली, रंग में हरी पीली, कांटों व दरार रहित किस्म है। यह किस्म गर्मियों के मौसम के लिए उपयुक्त है। अधिक रेशा होने के कारण इस किस्म में कीटों, जंगली सुअरों का अक्रमण कम होता है। इसकी औसतन उपज 35-40 टन प्रति एकड़ होती है और इसमें शर्करा की मात्रा 17.89 प्रतिशत होती है। यह किस्म काफी हद तक रतुआ रोग और कांगियारी के प्रतिरोधक है और सूखे और जल जमाव को सहनेयोग्य है।

Co 0238 (Karan-4): इस किस्म को उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए Co 8102 X Co 775 क्रॉस द्वारा तैयार किया गया है। इस किस्म का गन्ना गहरे भूरे रंग का होता है जो कि मध्यम मोटा और बेलनाकार होता है। यह किस्म सूखे, जल जमाव और लवणीय मिट्टी में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म रतुआ रोग और कांगियारी रोगों के प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 33-40 टन प्रति एकड़ होती है और शर्करा की मात्रा 17.89 प्रतिशत होती है।

Co 0239 (Karan-6): यह किस्म 2010 में उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए जारी की गई है। इस किस्म के गन्ने मध्यम मोटे और हरे-जामुनी रंग के होते हैं। यह किस्म 17 प्रतिशत अधिक उपज, 21 प्रतिशत अधिक शूगर और 3.8 प्रतिशत अधिक शर्करा देती है। इसकी औसतन पैदावार 30-35 टन प्रति एकड़ होती है और 18.58 प्रतिशत शर्करा होती है।

Co 0237: यह किस्म 2012 में उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए जारी की गई है। यह किस्म जल जमाव क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म रतुआ रेग के प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 29-31 टन प्रति एकड़ होती है और शर्करा की मात्रा 18.78 प्रतिशत होती है।

Co 05009: यह किस्म 2013 में उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में बिजाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म के गन्ने लंबे, आकार में बेलनाकार और हल्के जामुनी रंग के होते हैं यह किस्म रतुआ रोग के काफी हद तक प्रतिरोधक है। इसकी औसतन पैदावार 31.6 टन प्रति एकड़ होती है और शर्करा की मात्रा 17.44 प्रतिशत होती है।

Co 0124 (Karan 5): यह किस्म उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में बिजाई के लिए जारी की गई है। इस किस्म के गन्ने मध्यम मोटे, पीले रंग के और बेलनाकार होते हैं। इसमें 12.65 प्रतिशत रेशे की मात्रा होती है और इस किस्म से बना गुड़ A2 क्वालिटी का होता है।

Co 05011: यह किस्म 2012 में जारी की गई है। इस किस्म के गन्ने मध्यम लंबे, मध्यम मोटे, जामुनी रंग के साथ हरे रंग के और आकार में बेलनाकार होते हैं। यह किस्म रतुआ रोग के प्रतिरोधक है। इस किस्म की औसतन उपज 34 टन प्रति एकड़ होती है और शर्करा की मात्रा 18 प्रतिशत होती है।

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