खर्चे से दो गुणा ज्यादा लाभ देने वाली फसल स्टीविया, कैसे की जाये काश्त

वर्तमान समय में नौजवान पीढ़ी की खेती की तरफ दिलचस्पी इसलिए नहीं बनती क्योंकि वे अपने परिवार और बुज़ुर्गों को सिर्फ गुज़ारा करते हुए ही देखती आ रही है और गेहूं धान की बिजाई से लेकर बिक्री तक उलझा हुआ परिवार अपनी अगली पीढ़ी के लिए अच्छा अनुभव भी नहीं छोड़ सकता। इसलिए समय की मांग के अनुसार खेती में नया करने की कोशिश करना अच्छी सोच है। इसी तरह की खेती है स्टीविया की खेती। इस ब्लॉग के द्वारा स्टीविया की खेती शुरू करने को लेकर दिमाग में आये सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश की जायेगी।

ज़मीन का चुनाव

यदि आपकी ज़मीन की पी एच 6.5-7.5 है और नमी को संभालने वाली है तो स्टीविया के लिए अनुकूल है। जिस ज़मीन में आलू की खेती हो सकती है उस ज़मीन में स्टीविया की खेती अच्छी हो सकती है क्योंकि इसे कम पानी की ज़रूरत है इसलिए मध्यम से भारी और रेतली ज़मीन फसल के लिए लाभकारी है। सीधे तौर पर कहना हो, तो पानी नहीं खड़े होना चाहिए क्योंकि खड़ा हुआ पानी इसे नुकसान कर सकता है।

बिजाई का समय

जून और दिसंबर को छोड़कर बाकी किसी भी महीने इसकी बिजाई हो सकती है।

पौधे लगाने का ढंग

एक खेत में लगभग 30000 पौधे लगाने का सुझाव दिया जाता है। यह पौधे 3 फुट के बैड बनाकर लगाये जाते हैं। पौधे से पौधे की दूरी और कतार से कतार की दूरी 1 फुट होनी चाहिए। बैड बनाने का फायदा है कि ज्यादा पानी खालियों में निकल जायेगा और फसल को नुकसान नहीं होगा।

पानी देने का समय

पानी देते समय सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात है कि एक तो पौधा लगाने के तुरंत बाद पानी लगाना चाहिए। इसके बाद गर्मियों में सिर्फ 15-20 मिनट तुपका सिंचाई तकनीक के द्वारा दूसरे या तीसरे दिन से होता है। यदि ड्रिप सिस्टम लगा हो तो श्रमिक और पैसे की बहुत बचत होती है। सर्दियों में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं। पौधे की जरूरत के अनुसार पानी दिया जा सकता है।

खादें

ज्यादा खादें और स्प्रे की जरूरत नहीं पड़ती। अधिक से अधिक यदि नीम का घोल बनाकर बिजाई से पहले मिट्टी में छिड़काव किया जा सकता है। खादें आवश्यकतानुसार और थोड़ी ही पड़ती हैं।

कटाई और देख रेख

फसल पकने के साथ की साथ कटाई कर लेनी चाहिए। बरसात वाले मौसम में तो बिल्कुल भी देरी नहीं होनी चाहिए। गर्मियों में कटाई के बाद गर्म हवा के साथ इसके पत्ते डंडियों से अलग करके पत्ते प्लास्टिक की थैलियों में जमा किये जा सकते हैं थैलियों में डालकर इसे सिलाई करके नमी से बचाकर स्टोर कर दें। इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है।

मंडीकरण

यह सबसे जरूरी है क्योंकि मंडीकरण के समय ही किसान को उसकी मेहनत का परिणाम मिलता है। जो भी कंपनी इसकी कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग करवाती है वह अगले कुछ वर्षों तक उसका खरीद मुल्य पहले ही निर्धारित कर देती है। कॉन्ट्रेक्ट करने वाली कंपनी स्टीविया के सफल किसान राजपाल सिंह गांधी जी के ग्रीन वैली फार्म और स्टीविया का पहला प्रोसेसिंग प्लांट लगा है।

इसके मंडीकरण को समझने के लिए यह सारणी देखें।

उदाहरण के तौर पर

  • बिजाई की – 1 फरवरी से 15 फरवरी
  • पहली कटाई – 1 मई से 7 मई तक
  • दूसरी कटाई – 25 जून से 30 जून
  • तीसरी कटाई – 25-30 सितंबर
  • चौथी कटाई – 25-30 नवंबर
  • कम से कम चार कटाइयां ली जा सकती हैं
  • पहले वर्ष लगभग 1800 किलो सूखे पत्तों की उपज मिलेगी।
  • मुल्य प्रति किलो – 100 रूपये
  • 1800 x 100 = 180000 कुल आमदन होगी

कृषि और पशुपालन के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपनी खेती एप्प डाउनलोड करें - एंड्राइड, आईफ़ोन