पी ए यू मगज़ कद्दू-1 भारत की छिल्का रहित बीज वाली पहली किस्म

हलवा कद्दू ज्यादा उपज, खुराकी तत्वों से भरपूर और लंबे समय तक उपलब्धता के कारण सब्जियों में विशेष स्थान रखता है। इसके कच्चे या पके फल विभिन्न विभन्न व्यंजनों के तौर पर खाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसका बीज खाने में स्वाद होता है और तेल खाने के तौर पर प्रयोग किया जाता है। हलवा कद्दू का बीज ओमेगा फैटी एसिड से भरपूर होता है। भारत में मगज़ तैयार करने के लिए खरबूजा, ककड़ी, खीरा और तरबूज के बीजों का छिल्का उतारा जाता है। जिसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, लुधियाना की तरफ से हलवा कद्दू की नई किस्म विकसित की गई है। जिसके बीज की गिरी के ऊपर का छिल्का नहीं बनता और सीधा मगज़ के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसे पी ए यू मगज़ कद्दू—1 का नाम दिया गया है।

बीज की मुख्य विशेषताएं —

पी ए यू मगज़ कद्दू-1 — यह कद्दू की छिल्का रहित किस्म है जिसका बीज सीधे मगज़ के तौर पर खाया जा सकता है। इसके पौधे झाड़ीदार और गहरे हरे रंग के होते हैं। फलों का आकार दरमियाना, गोल और पकने के उपरांत रंग पीला—संतरी होता है। पके हुए बीजों का आकार दरमियाना और पीला हरा होता है। यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है। जिसकी औसतन उपज 2.9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।

काश्त का ढंग — गर्म मौसम के दौरान काश्त की जाने वाली यह किस्म मैरा ज़मीनों में अच्छी प्रफुल्लित होती है। एक एकड़ के लिए 1.5 किलो बीज 1.35 मीटर चौड़ी मेंड़ों के ऊपर दोनों ओर 45 सैं.मी. के फासले पर लगाने चाहिए।

खादें और पानी — खेत में बीज लगाने के उपरांत हल्का पानी लगाएं। ज़मीन और मौसम को ध्यान में रखते हुए 6—7 दिनों के फासले पर पानी देते रहें। खेत को तैयार करने के समय 15 टन गली सड़ी रूड़ी खेत में अच्छी तरह मिलाएं। इसके अलावा 90 किलो यूरिया, 125 किलो सिंगल सुपर फास्फेट और 25 किलो पोटाश प्रति एकड़ डाला जाता है। बिजाई के समय यूरिया का तीसरा हिस्सा और बाकी खादों की पूरी मात्रा डालें। बाकी यूरिया 30—40 दिनों में दो बार खालियों में डालें।

तुड़ाई — फल शुरू होने से 45—50 दिनों के बाद पीले संतरी रंग में परिवर्तित हो जाता है और इसका छिल्का सख्त हो जाता है। इस समय फलों की तुड़ाई शुरू हो जाती है। फलों को तोड़ने के बाद 10—15 दिन छांव में रख लेना चाहिए। उसके उपरांत बीज निकालकर पानी से धो लें अैर छांव में अच्छी तरह सुखाएं।

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