यह अर्क पहले तामिलनाडू के थेनी जिले के श्री वीरियाचिननामल द्वारा दमे की दवाई के तौर पर बनाया गया था।
सामग्री
1. मुर्गी के 4—5 अंडे
2. 20—25 नींबू का रस
3. 500 ग्राम गुड़ या शीरा
तैयारी
एक बाल्टी में नींबू निचोड़ लें। प्लास्टिक, मिट्टी या शीशे के डिब्बे में नींबू का रस डाल दें। सारे अंडे नींबू के रस में डूब जाने चाहिए। धातु के डिब्बे का प्रयोग कभी ना करें। कस कर ढक्कन बंद कर दें। डिब्बे को 10 दिनों के लिए छांव में रख दें। 10वें दिन घोल के अंदर रखें अंडे रबड़ की गेंद जैसे बन जायेंगे। घोल के अंदर ही अंडों को छिलकों सहित हाथों से मसल दें। 250 ग्राम गुड़ को आधा लीटर पानी में उबाल लें। गुड़ घुलने के बाद इसे ठंडा होने के लिए रख दें।दोनों घोलों को बराबर मात्रा में लेना है। उदाहरण के लिए यदि नींबू—अंडे का घोल 2 लीटर है तो गुड़ का दो लीटर घोल लें। यदि नींबू—अंडे का घोल 3 लीटर है तो गुड़ का 3 लीटर घोल लें। 10 दिन बाद यह उपयोग के लिए तैयार है।
प्रयोग विधि
1. प्रति 10 लीटर पानी में 10 से 50 मि.ली. अंडे का अर्क (यानि अर्क में 200 से 1000 गुणा पानी) मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।
2. पानी की मात्रा फसल की वृद्धि के हिसाब से बदली जा सकती है। शुरूआत में 1000 गुणा पानी मिलाया जा सकता है। और बाद में फुटारे के समय या जब शाखाएं निकल रही हों, पानी को कम करके 200 गुणा किया जा सकता है।
3. इसका छिड़काव सारी फसलों जैसे धान, गेहूं, केला, सब्जी, साग और फलों के ऊपर किया जा सकता है। यह ध्यान रखें कि इसका छिड़का सुबह या देर शाम किया जाये।
लाभ
यह घोल फसलों के लिए बहुत बढ़िया खुराक है और वृद्धि में सहायक है। स्त्रोत अखिल भारत सजीव खेती समाज
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