भारत में नदियों का निम्न स्तर, चिंता का विषय

नदियां धरती के सभी क्षेत्रों तक पानी और तत्व पहुंचाती हैं। यह पानी के निकास का माध्यम बन कर जल चक्र में भी महत्तवपूर्ण भूमिका निभाती है। नदियां धरती के 75 प्रतिशत भाग पर बहती हैं। नदियां धरती के बहुत सारे जीवों को रहने की जगह और भोजन प्रदान करती हैं।

पर भारत की सभी नदियां खत्म होने के भयानक स्तर पर हैं, जिसका भाव है कि आने वाले 15 से 20 वर्षों में ज्यादातर नदियां सदाबहार ना रह कर मौसमी बन कर रह जायेंगी।
• पूरा भारत एक भूरे मारूस्थल जैसा दिखाई देगा, क्योंकि सारी नदियां सूख जायेंगी।
• भारत में ऐसे बहुत इलाके हैं, जहां लोगों को पानी की प्राप्ति के लिए मजबूरन नदियों की पुटाई करनी पड़ती है।
• अब समय आ गया है जब हमें नदियों को वापिस तैयार करने के लिए सोचना पड़ेगा।

नदियां बचाने के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं :
• भारत की सारी नदियां जंगलों पर निर्भर करती हैं।
• क्योंकि जंगलों में वृक्षों की मदद से बूंदाबांदी से छोटे नाले तैयार होते हैं, जिनसे आगे छोटी नदियां बनती हैं और फिर बड़ी नदियां बनती हैं।
यदि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए नदियां बचाना चाहते हैं तो हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्ष उगाने चाहिए, क्योंकि हम पानी के बिना कुछ भी उगा नहीं सकते। यह खेतीबाड़ी से संबंधित हर क्रिया के लिए आधार है।
इसलिए हमें हर वर्ष 10 वृक्ष लगाने का संकल्प लेना चाहिए।

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