डेयरी फार्म यदि बड़े स्तर पर किया जाता है तो उसमें मशीन द्वारा दूध निकालने से समय की बहुत बचत हो जाती है। इसके अलावा हाथ से दूध निकालने में कई बार पशु की पूंछ लगने से गोबर, बाल या मिट्टी बाल्टी में गिर जाता है पर मशीन द्वारा दूध निकालने से इससे बचाव हो जाता है।
• दूध निकालने वाली मशीन लगाने से पहले हर थन में से दूध की धार निकालकर दूध की जांच करें। यदि दूध में नुक्स लगे तो दूध हाथ से ही निकालें।
• मशीन के टीट कप पशु के पसमन और थनों को साफ करने के बाद लगाएं।
• जब कलस्टर के कलाव में दूध कम हो जाए तो वैक्यूम का बटन बंद करके कलस्टर को हाथों से उतारना चाहिए।
• कलस्टर लगाने और उतारने के समय टीट कप में कम से कम हवा दाखिल हो। इसलिए वैक्यूम का बटन बंद करके ही कलस्टर को उतारें।
• मशीन को थनों पर ना ही कम और ना ही ज्यादा समय के लिए रखें। यदि कलस्टर सही तरीके से लगा हो तो दूध निकालने के उपरांत 250-300 मि.ली. दूध ही रहना चाहिए। यदि दूध अधिक बचता है तो पूरा दूध नहीं निकला है और यदि कम बचता है तो दूध जरूरत से ज्यादा निकला है।
• यदि मशीन अधिक समय के लिए रखी जाये तो थनों के सुराख को नुकसान पहुंचता है। जिस कारण लेवे की सोजिश होने का खतरा अधिक होता है।
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