आजकल असंवेदनशील कृषि तकनीकों (रूढ़ीवादी) ने मिट्टी के उपजाऊपन को बिगाड़ दिया है और अगर ये तकनीकें भविष्य में भी जारी रही तो आंकड़ों के मुताबिक 2020 तक दुनिया की कुल भूमि का 30 % भाग अनउपजाऊ भूमि में बदल जायेगा। और यह फसल उत्पादन और भविष्य में खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
इसलिए अनउपजाऊ मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल तरीके – पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को लागू करना चाहिए। बैक्टीरिया और फंगस टीके में मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाकर रखने की क्षमता होती है। इन सूक्ष्म जीवों में फसली पौधों को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम और लोहे जैसे आवश्यक पोषक तत्व देने की क्षमता होती है।
इनमें से एक महत्तवपूर्ण मित्र फंगसनाशी आर्बस्कुलर माइकोराइजा है और यहां पर इनसे पौधों को होने वाले कुछ लाभ दिए गए हैं।
• ए एम के कवक तंतु पौधे तथा मिट्टी के बीच एक पुल का निर्माण करते हैं जो कि मुख्य रूप से फास्फोरस की उपलब्धता में वृद्धि करता है।
• ए एम टीका 15-25 प्रतिशत तक फसल की उपज में सुधार करने के लिए दिखाया गया है।
• ए एम के प्रयोग से पौधों में अल्प मात्रा में ग्रहण किए जाने वाले पोषक तत्व जैसे जस्ता, तांबा और लोहे इत्यादि की उपलब्धता में सुधार करता है।
• इसके प्रयोग से जड़ों के आस पास सूक्ष्मजीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्रिया तेजी से होती है।
• यह फसल को पादप रोगों जैसे – बैक्टीरिया, फंगस एवं वायरस से बचाता है तथा सूत्रकृमि से होने वाली हानियां कम करता है।
प्रयोग करने की विधि
• ए एम को बीज बोने से पहले खेत में समान रूप से छिड़क दें अथवा हल के पीछे बीज के साथ डालें।
• एक एकड़ के लिए 4-5 किलो ग्राम कवक टीके की सिफारिश की गई है, लेकिन इसकी मात्रा फसलों के साथ बदलती रहती है।
• ए एम का प्रयोग रोपित फसलों जैसे धान, टमाटर, गोभी इत्यादि बीज के साथ बोने से पहले किया जाना चाहिए।
• ए एम फंगस को नर्सरी तैयार करने के दौरान 50 ग्राम प्रति पौधा मिट्टी में मिक्स किया जा सकता है और इसे जैविक खाद जैसे कंपोस्ट के साथ भी डाला जा सकता है।
सावधानियां
• ए एम कल्चर को धूप तथा अधिक गर्मी से बचाकर रखें।
• इस कल्चर को रासायनिक खादों के साथ ना मिलाएं।
• इस कल्चर को हाथों से ना रगड़ें।
• कल्चर के भंडारण के लिए रेफ्रीजरेटर या ऐसे स्थान पर जहां वृक्ष की छाया रहती हो, एक फुट गहरा गड्ढा खोदकर कल्चर उसमें दबा दें और ऊपर से पानी का छिड़काव करें।
रेफरेंस – सूक्ष्म जीव विज्ञान संभाग भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
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