मुर्गियों में टीकाकरण का महत्व

मुर्गी पालन बहुत तेज गति से बढ़ रहा है और मुर्गियों पर बिमारियों का खतरा भी ऐसे ही तेजी से बढ़ रहा है। मुर्गी पालन में सफल व् कारगर टीकाकरण भी एक कला समान ही है। मुर्गीपालन को केवल वे ही किसान कारगर बना सकते हैं जो टीकाकरण की महत्वता को समझते हैं। क्योंकि मुर्गी फार्म पर हजारों की संख्या में मुर्गियां पास पास रहती हैं। अतः बीमारी फैलने का खतरा भी अधिक रहता है।

मुर्गियों में बिमारियों के बचाव के मुख्यत दो तरीके होते हैं।

जैव-सुरक्षा: जिसमे मुख्यत: मरी हुई मुर्गियों को गड्ढे में दबाना, पानी में जीवाणुनाशक दवाओं का प्रयोग, समय समय पर जीवाणुनाशक दवाओं का छिड़काव एवं गाड़ियों, मनुष्यों और आवारा पशुओं के फार्म पर आने जाने पर रोक।

समय पर बिमारियों के बचाव का टीकाकरण

बिना टीकाकरण के हम पोल्ट्री उद्योग से मुनाफा नहीं ले सकते।

पोल्ट्री में टीकाकरण के विभिन्न तरीके हैं:

1.आँखों/नाक में बूँद से
2.इंजेक्शन/टीके से
3.पीने के पानी में

पानी के माध्यम से टीकाकरण सबसे आसान हो जाता है क्योंकि इसके लिए न तो किसी विशेष उपकरण की जरूरत होती है और काफी पक्षी कम समय में सुरक्षित हो जाते हैं। परन्तु इस प्रणाली की काफी सीमायें हैं क्योंकि सफल टीकाकरण लगातार देखरेख पर निर्भर करता है। विशेषकर पक्षियों द्वारा पानी की मात्रा का पीना। ऐसे टीकाकरण में ध्यान रखें की पानी के बर्तन साफ़ हों और पानी में कोई दवाई खासकर जीवाणुनाशक दवा न डली हो।

1. सफल टीकाकरण के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।

2. टीकों को निर्देशित तापमान पर ही रखें। जहाँ से टीका खरीदें उसके यहाँ भी बिजली का पूरा बंदोबस्त व् फ्रिज का तापमान कभी भी 8 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो।

3. टीकाकरण दिन के ठन्डे समय में ही करें सुबह यान शाम को।

4. पुर्नगठित टीकों को फ्रिज यां बर्फ पर ही रखें।

5. पुर्नगठित टीकों को केवल 1 घंटे तक ही इस्तेमाल करें, इसके बाद इन्हे इस्तेमाल न करें।

6. एक बार टीकाकरण शुरू करने पर किसी दूसरे काम पर न जाएँ, इसे लगातार ही करें|

7. टीकों को इस्तेमाल करने की अंतिम तिथि अवश्य जाँच लें।

8. टीकों का मिश्रण अच्छी तरह से करें व् बीच में इन्हे जरूर हिलाएं।

9. सभी उपकरणों का जीवाणु रहित होना जरूरी है।

10. एक बार खुलने पर टीके की पूरी बोतल का इस्तेमाल करें और बचा हुआ टीका नष्ट कर दें।

11. टीकों के रख रखाव के लिए एक व्यक्ति की जिम्मेवारी निर्धारित करें।

12. सभी टीकों का व् टीकाकरण के समय का पूर्ण रिकॉर्ड रखें।

13. टीकों पर दिए गए निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ें।

14. टीका पानी में मिलाने से पहले पाउडर दोष 6 ग्राम प्रति लीटर पानी यां मलाई निकला हुआ दूध (50 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) में मिलाएं।

आम गलतियां:

  1. टीकों को सीधा सूर्य की किरणे लगने देना।

2. उचित तापमान पर टीकों का रख रखाव न करना।

3. उपकरणों का जीवाणु रहित न होना।

4. सुइयों का लगातार न बदलना। (500 पक्षियों के बाद सुई बदलें)

5. उचित मात्रा न लगाना।

6. ज्यादा गर्म समय पर टीकाकरण करना।

7. टीकाकरण के समय चाय पीने आदि के लिए रुकना।

8. पानी में टीके पिलाते वक्त उसमे अन्य दवाई इत्यादि मिला देना।

9. टीके की मात्रा को कुछ अंतराल पर चेक न करना।

10. समय व् मजदूरी बचने के लिए 2 टीकों को एकसाथ मिला कर लगाना।

परामर्श:

पोल्ट्री फार्मर को टीकाकरण के दौरान स्वयं उपस्थित होना चाहिए, केवल फार्म कर्मचारियों पर टीकाकरण की पूरी जानकारी न सौंपे।

ब्रायलर मुर्गों के लिए कुछ जरूरी टीके

1. रानीखेत बीमारी के लिए ऍफ़/बी-1 या क्लोन 4 से 6 दिन की आयु पर- आँख नाक में एक एक बूँद यां पीने के पानी में। दोबारा फिर 21 से 22 दिन बाद पीने के पानी में दें।

2. गांबोरो बीमारी के लिए स्टैण्डर्ड/जिओरजी का इंटरमीडियट प्लस यां एम् बी 12 से 14 दिन की आयु में- आँख में यां पीने के पानी में।

अंडे वाली मुर्गियों में यां ब्रीडर मुर्गियों में निम्नलिखित अनुसार यां जैसी तालिका कंपनी ने दी हो।

1. एम् डी बीमारी के लिए एच. वी. टी. क टीका 1 दिन की आयु के चूज़ों को 0.1 मिलीलीटर चमड़ी के निचे लगाएं।

2. रानीखेत बीमारी के लिए ऍफ़/बी-1 या क्लोन लसोटा आर २बी 4 से 6 दिन की आयु पर- आँख नाक में एक एक बूँद यां पीने के पानी में। 45 -50 दिन बाद फिर दोबारा से यही टीका लगाएं यां 60 दिन बाद आरडी कील्ड वैक्सीन (कील्ड 0.25-0.5 मिलीलीटर चमड़ी के नीचे)

3. गांबोरो बीमारी के लिए स्टैण्डर्ड/जिओरजी का इंटरमीडियट प्लस यां एम् बी 12 से 14 दिन की आयु में- आँख में यां पीने के पानी में।

4. फाउस पॉक्स यां माता रोग के लिए माता का टीका 42 दिन बाद पंखों के नीचे यां मांस में लगाएं।

5. गांबोरो, रानीखेत एवं आईबी (मल्टीकम्पोनेंट) कील्ड टीका 112 दिन बाद 0.5 मिलीलीटर चमड़ी के नीचे लगाएं।

पशु जन स्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग

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