क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिसीज़़ (सी.आर.डी.) कीटाणुओं के कारण होने वाली एक खतरनाक सांस की बीमारी है। यह बीमारी बड़े और छोटे दोनों पक्षियों में होती है।
क्या यह बीमारी एक पक्षी से दूसरे पक्षी में फैल सकती है?
यह बीमारी मुर्गियों से अंडों के द्वारा और एक मुर्गी से दूसरी मुर्गी में फैल सकती है।
लक्षण
- भूख का कम होना और चूज़ों में भार का ना बढ़ना।
2. सांस लेने में तकलीफ, नाक से पानी बहना, खांसी होना आदि।
3. आंखों में सोजिश, मुंह, चोंच और सिर का कालापन।
4. मुंह खोलकर सांस लेना, सांस लेते समय आवाज आना।
कारण
• माइकोप्लाज़मा गेलीसेप्टीकस
पोस्टमार्टम जांच
1.हवा की झिल्लियों का धुंधलापन
2.जिगर और दिल के बाहर फाइब्रिन जम जाता है।
3.नाक, सांस नली और फेफड़ों में गाढ़ा पानी जम जाता है।
बचाव
1.माइकोप्लाज़मा रहित चूज़े ही पालें।
3.हवादार शैड बनाएं।
माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम की वजह से होने वाले संक्रमणों को रोकना मुश्किल है क्योंकि रोग अण्डों से फैलता है और किसी नए पक्षी को रोग से मुक्त होना चाहिए। टीकाकरण से इसका सही इलाज अभी तक भी साबित नहीं हुआ है क्योंकि सीआरडी अक्सर अंतर्निहित (Underlying) जटिल रोग है।सावधानीपूर्वक प्रबंधन रणनीतियों से जो तनाव को कम करती हैं और सीआरडी के स्तर को निर्धारित करने की क्षमता उपचार में महत्वपूर्ण रोकथामकारी उपाय हैं और माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम संक्रमण को सावधानियों द्वारा ही रोका जा सकता है।
पहचान
1.लक्षण और पोस्टमार्टम जांच
2.कीटाणुओं की पहचान
इलाज
एंटीबायोटिक (टेटरासाइक्लिन, डॉक्सी-साइक्लिन, टाइलोसिन टारट्रेट)
एकनॉलेजमेंट
गुरु अंगद देव वेटनरी यूनिवर्सिटी
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