आजकल एनीमिया एक आम बीमारी है, जो कि ज्यादातर नौजवान लड़कियों, छोटे बच्चों, गर्भवती औरतों और लंबे समय से बीमार लोगों में पायी जाती है। हमारे शरीर में 3 तरह के कण होते हैं- लाल रक्ताणु, सफेद रक्ताणु और प्लेटलेट्स। लाल रक्ताणुओं में हीमोग्लोबिन नामक तत्व पाया जाता है, जिस कारण खून का रंग लाल होता है और यह फेफड़ों में से ऑक्सीजन ग्रहण करके शारीरिक कोशिकाओं तक ले जाता है। यदि हमारे शरीर को आवश्यकतानुसार आयरन (लोह तत्व) या प्रोटीन ना मिले तो हीमोग्लोबिन आवश्यक मात्रा में नहीं बनता और इस कारण खून में फीकापन आ जाता है। जब खून सभी अंगों को कम मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचा पाता है, तो काम करने में थकावट महसूस होती है। इस अवस्था को एनीमिया (खून की कमी) कहा जाता है।
लक्षण
• धड़कन का तेज और असामान्य होना
• मासिक धर्म का कम होना अथवा मासिकधर्म के समय अधिक रक्तस्त्राव होना।
• हाथों-पैरों का ठंडा होना
• चक्कर आना या बेहोशी
• सांस फूलना या छाती में दर्द
• सिर दर्द
• कमज़ोर/थकान महसूस करना
• भूख कम लगना
• त्वचा, आंख, नाखून व जीभ की लालिमा में कमी
• बार-बार बीमार होना
कारण
• शरीर द्वारा लौह तत्व के उपयोग में समस्या।
• लौहतत्व से भरपूर भोजन पर्याप्त मात्रा में न खाना।
• रक्तस्त्राव या रक्त का अधिक बह जाना, जैसे कि मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्त्राव द्वारा।
• शीघ्र या लगातार गर्भधारण।
• शरीर में फोलेट या बी -12 विटामिन की कमी।
• कैंसर जैसी कुछ बीमारियों का इलाज, जो शरीर द्वारा नई लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को अधिक कठिन बना देते हैं।
रोकथाम और उपचार
• यदि ऊपर बताये लक्षणों में एक भी या अधिक दिखाई दें तो सबसे पहले नज़दीकी डॉक्टर से मिलें या डिस्पैंसरी/हस्पताल जायें।
• आहार में सुधार करें और निम्नलिखित अनुसार खुराक लें।
• लोहतत्वों से भरपूर भोजन जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, विशेष कर पालक, बाथू, सरसों, मेथी, चौलाई, गोभी व मूली के पत्तों, भूना चना, मूंगफली, पोहा, गुड़ एवं तिल आदि का सेवन करें।
• अंकुरित अनाज और अंकुरित दाल खायें, इससे उनमें पोषक तत्वों के साथ साथ विटामिन सी की मात्रा बढ़ जाती है।
• तिल से बने खाद्ययोग्य पदार्थों का सेवन करें।
• डॉक्टर की सलाह पर विटामिन या लौह पूरक लें।
• लोह तत्वों के अतिरिक्त अन्य पोषक तत्व जैसे फोलिक एसिड, विटामिन बी-12, विटामिन ए, जिंक आदि का सेवन भी एनीमिया से बचाता है।
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