पीलिया रोग (येलो वेन मोज़ेक): पंजाब में जहां भिंडी उगायी जाती है, उन सभी स्थानों पर यह बीमारी आम देखने को मिलती है। यह बीमारी बरसाती भिंडी का बहुत नुकसान करती है। यदि बीमारी अगेती लग जाये तो उपज पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। बीमारी वाले पौधों के पत्तों की नाड़ियां पीली और मोटी हो जाती हैं। बीमारी के ज्यादा हमले से भिंडी के ज्यादातर पत्ते पीले पड़ जाते हैं, जो बाद में भूरे होकर सूख जाते हैं और पौधे से नीचे गिर जाते हैं। ऐसे बीमार पौधों को फल नहीं लगता, यदि बीमारी का हमला देरी से शुरू हो तो ऊपरी पत्ते पीले पड़ जाते हैं, पर तना हरा रहता है। बीमारी वाले पौधे के फल पीले, बेढंगे और सख्त होते हैं, जिन्हें मंडी में रेट नहीं मिलता।
बीमारी कैसे फैलती है: सफेद मक्खी इस रोग को बीमार पौधे से दूसरे पौधों तक फैलाती है। यह बीमारी कई नदीनों जैसे कि जंगली पुदीने पर भी पलती रहती है।
रोकथाम: इसकी रोकथाम के लिए सबसे महत्तवपूर्ण बात यह है कि बीज रोग रहित फसल से ही लेना चाहिए। बीमारी वाले पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए। बरसाती भिंडी पर इस विषाणु का हमला ज्यादा होता है। इसलिए बरसाती भिंडी बोने के लिए रोग रहित किस्मों जैसे कि पंजाब—7, पंजाब—8 और पंजाब पद्मनी की काष्त करें। सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए 560 मि.ली. मैलाथियोन का 100—125 लीटर घोल बनाकर छिड़काव करें। जंगली पुदीने के पौधों को खेत के आस पास ना रहने दें।
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