महत्तवपूर्ण फसली चक्रों की बिजाई का समय
1.मक्की/धान—आलू—गेहूं: जून के अंत में थोड़े समय में पकने वाली फसल मक्की या धान की किस्म बोयें। आलुओं को सितंबर के अंत में बोयें। आलुओं की पुटाई कर पिछेती गेहूं की बिजाई करें।
2.धान—आलू/तोरिया—सूरजमुखी: जून के शुरू में धान की थोड़े समय में पकने वाली किस्म लगाएं, आलुओं को सितंबर के तीसरे सप्ताह में बो कर दिसंबर अंत में पुटाई कर लें। आलुओं के बदले धान के बाद तोरिया भी बोया जा सकता है। सूरजमुखी की बिजाई जनवरी के पहले पखवाड़े में पूर्व पश्चिम दिशा में दक्षिण की तरफ करें।
3.मक्की— आलू/तोरिया—सूरजमुखी: मक्की की बिजाई जून के शुरू में करें और सितंबर के दूसरे पखवाड़े में आलुओं की बिजाई करें। मक्की के बाद तोरिये की थोड़े समय में पकने वाली किस्म बोयी जा सकती है। जनवरी के पहले पखवाड़े में पूर्व पश्चिम दिशा में मेंड़ बनाकर दक्षिण की तरफ सूरजमुखी की बिजाई करें।
4.मक्की—आलू—प्याज: मक्की की बिजाई मध्य जून तक, आलुओं की बिजाई अक्तूबर के पहले सप्ताह में और प्याज की बिजाई 15 जनवरी तक।
5.मक्की—आलू—मैंथा: मक्की को मध्य जून में बोयें। इसके बाद आलू अक्तूबर के पहले सप्ताह में बोयें। जनवरी के दूसरे पखवाड़े में मैंथा लगाएं।
6.मक्की/धान—गोभी—सरसों—गर्म ऋतु की मूंगी: मक्की/धान की बिजाई जून के पहले पखवाड़े, गोभी सरसों की 10—30 अक्तूबर और गर्म ऋतु की मूंग की बिजाई अप्रैल के पहले पखवाड़े में करें।
7.धान—चने: धान की पनीरी की बिजाई जून के दूसरे पखवाड़े में करें। धान के बाद चने को अक्तूबर से नवंबर तक बोयें।
8.बासमती—बरसीम (चारा और बीज): बासमती की पनीरी मध्य जुलाई में लगाएं। बरसीम को बीज के लिए आखिरी नवंबर में बोयें। इससे चारे के लिए तीन कटाइयां लेने के उपरांत फसल को बीज के लिए छोड़ें।
9.हरी खाद (जंतर/लोबिया/सन)—धान—गेहूं: गेहूं की कटाई के बाद पहला पानी लगाकर जंतर या सन 20 किलो प्रति एकड़ और लोबिया 12 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से अप्रैल के अंत में बो दें। जंतर/सन/लोबिया को 6—7 सप्ताह के बाद (धान लगाने के एक या दो दिन पहले), जून के दूसरे सप्ताह में खेत में जोत दें।
10.लोबिया/बाजरा/मक्की (चारा)—मक्की/धान—गेहूं: गर्मी ऋतु के चारे, गेहूं की कटाई के बाद सिफारिश किए बीज और दूसरी सिफारिशें अपनाकर अप्रैल के आखिरी सप्ताह बोयें।
11.हरी खाद—मक्की—गेहूं: गेहूं के कटाई के बाद अप्रैल के आखिर में जंतर/सन/लोबिया बोयें और सप्ताह के बाद खेत में दबाएं और 10—12 दिनों के बाद जून के अंत में मक्की बोयें।
12.गर्म ऋतु की मूंगफली—आलू/तोरिया/मटर/पिछेती खरीफ का चारा: मूंगफली को अंत अप्रैल या शुरूआती मई में गेहूं के बाद बोयें। आलू या अगेते मटर या तोरिया या पिछेती मक्की का चारा सितंबर के दूसरे पखवाड़े में बोयें। इसके बाद गेहूं की पिछेती किस्म बोयी जा सकती है।
13.गर्म ऋतु की मूंगफली—आलू—बाजरा (चारा): मूंगफली की बिजाई मई के पहले सप्ताह में, आलुओं की बिजाई अक्तूबर के पहले सप्ताह और चारे वाले बाजरे की बिजाई मार्च के पहले पखवाड़े में करें।
14.मक्की/धान—आलू—गर्म ऋतु की मूंग: मूंग की बिजाई मध्य मार्च से अंत मार्च में कर लेनी चाहिए। मक्की या धान की बिजाई जून के पहले पखवाड़े में कर दें ताकि आलू की बिजाई के समय से सितंबर के दूसरे पखवाड़े में हो सके।
15.बासमती—करनौली—बाजरा (चारा): बासमती की पनीरी मध्य जुलाई में लगाएं, दिसंबर महीने में करनौली की पनीरी लगाएं और इसके बाद बाजरे की चारे के लिए फसल लें।
16.मक्की (अगस्त)—गेहूं/करनौली—बाजरा (चारा): मक्की को अगस्त के दूसरे पखवाड़े में बोयें। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में गेहूं की पिछेती किस्म या करनौली की पनीरी के द्वारा बिजाई करें। मई के पहले पखवाड़े में बाजरे (चारे) की बिजाई करें।
चारे के लिए फसली चक्र
1.मक्की—बरसीम— बाजरा: सारा वर्ष हरा चारा लेने के लिए मक्की को अगस्त के दूसरे सप्ताह बोयें, बिजाई के 50—60 दिनों के बाद कटाई करें और अक्तूबर के पहले या दूसरे सप्ताह बरसीम बोयें जिससे 4—5 कटाइयां ली जा सकती हैं। जून के दूसरे सप्ताह बाजरा बो कर, बिजाई के 45—55 दिनों के बाद कटाई करें।
2.मक्की—बरसीम—मक्की + लोबिया: मक्की को अगस्त के दूसरे सप्ताह बोकर बिजाई के 50—60 दिनों के बाद कटाई करें और अक्तूबर के पहले या दूसरे सप्ताह बरसीम बोयें। जिससे 4—5 कटाइयां ली जा सकती हैं। जून के दूसरे सप्ताह मक्की + लोबिया को मिलाकर बोयें और बिजाई के 50—60 दिनों के बाद कटाई करें।
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