धान की पराली को खेत में जलाने की बजाय इससे गुणकारी खाद तैयार की जा सकती है। जिसके प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ायी जा सकती है। खाद बनाने के लिए पराली का गलना और सड़ना बहुत ज़रूरी है और अच्छी तरह से गलने—सड़ने के लिए ढेर में हवा का सही संचार और नमी की सही मात्रा होनी जरूरी है। खेतों में बिखरी पराली को एक जगह इक्ट्ठी करने के बाद इसकी 10—15 किलो भार की गठ्ठरियां बांध लें। इन गठ्ठरियों को यूरिया खाद और ताजे गोबर के घोल में लगभग 2—3 मिनट के लिए डुबोकर रखें। पराली की गठ्ठरियों को डुबोकर निकालने के बाद, इन्हें निचुड़ने दें। ज़मीन से 6 इंच ऊंचे और 1.5 मीटर चौड़े बना लें। इसके लिए कपास या वृक्षों की 2—6 सैं.मी. घेरे वाली टहनियां बीच में देनी चाहिए। बैडों की लंबाई आवश्यकतानुसार कम या ज्यादा की जा सकती है। गठ्ठरियों में से पानी निचुड़ने के बाद, गांठे खोलकर पराली बैडों पर बिछा दें। पराली के इन बैडों में सरल ढंग से पानी लगाने के लिए ऐसे दो बैडों के बीच एक मीटर का फासला होना चाहिए।
नमी को संभालने के लिए प्रत्येक बैड पर 20—30 सैं.मी. सूखी पराली की तह बिछा देनी चाहिए। यदि पराली में नमी का स्तर 70 फीसदी तक बरकरार रखा जाए तो पराली से कंपोस्ट जल्दी बन जाती है। पराली के ढेर के अंदर तक पानी पहुंचाने के लिए, तिरछे मुंह वाली लोहे की पाइप का प्रयोग किया जा सकता है। इसी तरह पराली के ढेर में हवा के सही संचार के लिए पराली के ढेर को हर पंद्रह दिनों के फासले पर पलटकर हवा लगवानी चाहिए। हवा लगवाने के बाद पराली को पहले की तरह ढेर लगा दें। ऐसा करने से 80—90 दिनों में ही कंपोस्ट तैयार हो जाती है। इस तरह तैयार की कंपोस्ट में खुराकी तत्व नाइट्रोजन, फासफोरस और पोटाश की मात्रा क्रमवार 1.75 फीसदी, 2.20 फीसदी, 2.47 फीसदी होती है।
फास्फो कंपोस्ट बनाने की विधि
धान की पराली से कंपोस्ट में फास्फोरस की मात्रा बढ़ाने के लिए इसे फास्फोरस युक्त भी किया जाता है। कंपोस्ट में, फास्फोरस की मात्रा बढ़ाने के लिए रॉक—फास्फेट का प्रयोग किया जाता है। रॉक फास्फेट को अच्छी तरह पीसकर बारीक कर लेना चाहिए। इसका प्रयोग यूरिया और गोबर के घोल में डुबोने के बाद, बैडों पर पराली की तह बिछाते समय करनी चाहिए। इसलिए 500 किलो पराली के ढेर के लिए 30 किलो रॉक फास्फेट हर तह के बीच बराबर मात्रा में डाल दें। इसके बाद ऊपर बतायी गई विधि का प्रयोग करें और यह खाद भी 80—90 दिनों में ही तैयार हो जाती है। धान की पराली से तैयार कंपोस्ट को रूड़ी की खाद की तरह ही किसी भी फसल के लिए प्रयोग किया जा सकता है। ज़मीन में कंपोस्ट के प्रयोग से ज़मीन के भौतिक, रासायनिक और जीवन गुणों में सुधार होता है।
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